उत्तर प्रदेश की राजनीति में 22 जनवरी की तारीख एक महत्वपूर्ण इतिहास को समेट चुकी है. इसी दिन 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. ठीक एक साल बाद 22 जनवरी 2025 को सारी सरगर्मियां प्रयागराज में संगम के किनारे केंद्रित हो गई हैं.
यहां अरैल के त्रिवेणी संकुल पर सरकारी सुरक्षा एजेंसियों का जमावड़ा बढ़ गया है. माना जा रहा है इसी जगह 22 जनवरी को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की कैबिनेट बैठक होगी. यूपी कैबिनेट इस दिन लखनऊ के बाहर अपनी चौथी बैठक आयोजित करने की तैयारी कर रही है, जब तमाम मंत्री प्रयागराज महाकुंभ में जुटेंगे होंगे.
बैठक के बाद, मंत्रियों के संगम में पवित्र डुबकी लगाने की भी संभावना है. डीएम, महाकुंभ नगर, विजय किरण आनंद बताते हैं, "हमने अपनी तरफ से तैयारी शुरू कर दी है." मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी मंत्रिपरिषद के साथ अक्षयवट और सरस्वती कूप भी जाएंगे, दोनों को एक नए गलियारे से जोड़ा गया है. मेला एसएसपी राजेश द्विवेदी ने जानकारी दी है, "मेला पुलिस और सभी सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं. हमने इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित एक विस्तृत योजना तैयार की है."
वर्ष 2019 के कुम्भ में, कैबिनेट की बैठक मौनी अमावस्या स्नान के सबसे महत्वपूर्ण कुंभ स्नान से पांच दिन पहले 29 जनवरी को हुई थी. इस बार भी योगी कैबिनेट की बैठक 29 जनवरी को होने वाले मौनी अमावस्या स्नान से एक सप्ताह पहले होगी. 22 जनवरी को अयोध्या में राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का एक वर्ष भी अंग्रेजी कैंलेंडर के अनुसार पूरा होगा. योगी सरकार की लखनऊ से बाहर होने वाली यह चौथी कैबिनेट बैठक होगी. पहली बैठक 2019 में प्रयागराज में कुम्भ के दौरान हुई थी, उसके बाद वाराणसी में और फिर पिछले साल नवंबर में देव दीपावली से पहले अयोध्या में हुई थी.
योगी सरकार 22 जनवरी का दिन यादगार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी. माना जा रहा है कि प्रयागराज में महाकुंभ में बुलाई जाने वाली विशेष कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आर्थिक विकास के लिए 'धार्मिक पर्यटन' का लाभ उठाने और इसे औद्योगिक और बुनियादी ढांचे के विकास के साथ जोड़ने के लिए वाराणसी-प्रयागराज क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की घोषणा कर सकते हैं.
अधिकारियों के मुताबिक विकास प्राधिकरण, जिसकी अवधारणा नीति आयोग की सिफारिशों पर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए बनाई गई थी, राज्य के सात जिलों में 20,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करेगा. इन जिलों में प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और मिर्जापुर शामिल हैं. राजनीतिक विश्लेषक महाकुंभ में योगी सरकार की कैबिनेट बैठक को राजनीतिक नजरिए से भी देख रहे हैं. प्रयागराज के समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक अजीत सिंह कहते है “महाकुंभ में पूरी दुनिया की नजर है. ऐसे में वाराणसी और प्रयागराज क्षेत्रीय प्राधिकरण की घोषणा कर योगी सरकार हिंदुत्व के साथ विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाएगी. यह यूपी को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के दिशा में भी एक प्रयास होगा. ”
महाकुंभ में योगी कैबिनेट की तैयारियों में जुटे एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “सरकार आर्थिक और भौगोलिक कारकों के आधार पर राज्य भर में ऐसे और विकास क्षेत्र स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसमें वाराणसी-प्रयागराज क्षेत्र ऐसा पहला प्रयोग है. वाराणसी और प्रयागराज प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र हैं और इन क्षेत्रों और उनके आसपास के जिलों में योजनाबद्ध विकास और औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए इसका लाभ उठाने का विचार है.”
योगी सरकार की इस नई पहल में वाराणसी, प्रयागराज और विंध्य क्षेत्र शामिल होंगे. योजना में विनिर्माण, पर्यटन, कृषि के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना शामिल होगा. उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र ने महाकुंभ की तैयारी में प्रयागराज में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बड़ी मात्रा में धन खर्च किया है. वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पहले ही विकसित किया जा चुका है.
इस साल महाकुंभ के लिए प्रयागराज को तैयार करने के लिए राज्य सरकार का बजट 7000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. इससे पहले, सीएम आदित्यनाथ ने इस साल के महाकुंभ के माध्यम से 2 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक वृद्धि हासिल करने का लक्ष्य दिया था.