उत्तर प्रदेश अब पुलिस भर्ती में पूर्व अग्निवीर जवानों को 20 फीसद आरक्षण देने वाला पहला राज्य बन गया है. इस फैसले को लेकर योगी सरकार का कहना है कि यह कदम प्रशिक्षित सैन्य युवाओं को मुख्यधारा में रोजगार देने के वादे को पूरा करने के लिए उठाया जा रहा है.
जून की 3 तारीख को इस प्रस्ताव को राज्य सरकार के कैबिनेट से मंजूरी मिली थी, जिसके तहत पुलिस कांस्टेबल, पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र बल) कर्मियों, घुड़सवार कांस्टेबल और फायरमैन जैसे पदों पर अग्निवीरों के लिए क्षैतिज आरक्षण लागू किया जा रहा है.
क्षैतिज आरक्षण को एक उदाहरण से ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए यूपी पुलिस में 100 पदों पर वैकेंसी निकलती है. इसमें ऊर्ध्वाधर आरक्षण के तहत सामान्य वर्ग की 50 सीटें, ओबीसी (OBC) की 27 सीटें, अनुसूचित जाति (SC) की 15 सीटें और अनुसूचित जनजाति (ST) की 8 सीटें हैं.
क्षैतिज आरक्षण के तहत अगर अग्निवीर को 20 फीसद आरक्षण मिला है तो इसका मतलब ये होगा कि सामान्य वर्ग की 50 सीटों में से 20 फीसद यानी 10 सीटें अग्निवीरों के लिए रिजर्व होंगी. इसी तरह OBC वर्ग की 27 सीटों में से 20 फीसद यानी करीब 5 पद अग्निवीरों के लिए आरक्षित रहेंगे.
7 जून को गृह विभाग ने नोटिफिकेशन के जरिए आरक्षण का आदेश जारी कर दिया है. सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य पूर्व अग्निवीरों को करियर के अवसर प्रदान करना है. साथ ही इसके जरिए राज्य की सुरक्षा व्यवस्था में प्रशिक्षित जवानों को शामिल कर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करना है.
राज्य के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य सेना की अग्निपथ योजना के तहत चार साल का कार्यकाल पूरा करने वाले अग्निवीरों के लिए सेवा-पश्चात रोजगार सुनिश्चित करना है.
उन्होंने कहा कि आरक्षण सभी श्रेणियों (सामान्य, एससी, एसटी और ओबीसी) में उनके संबंधित समूहों के भीतर लागू होगा. उदाहरण के लिए, एससी श्रेणी के अग्निवीर को उसी श्रेणी में लाभ मिलेगा.
इतना ही नहीं इन पदों पर आवेदन करने वाले पूर्व अग्निवीरों को तीन साल की आयु छूट मिलेगी. भर्ती का पहला बैच 2026 में शुरू होने की उम्मीद है, जो अग्निवीरों के पहले बैच की वापसी के साथ ही शुरू होगा.
केंद्र सरकार द्वारा 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत युवा चार साल की अवधि के लिए अग्निवीर के रूप में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना में नियुक्त होते हैं.
इस योजना में छह महीने का प्रशिक्षण शामिल है. पूरा होने पर, 25 फीसद अग्निवीरों को प्रदर्शन के आधार पर नियमित सेवा में शामिल किया जाता है, जबकि शेष 75 फीसद को अन्य कैरियर में मौके खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
योगी सरकार का यह फैसला राजनीतिक विश्वसनीयता को मजबूत करने, जनभावनाओं को नियंत्रित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े नैरेटिव का जवाब देने के लिए उठाया जाने वाला एक सोचा-समझा कदम भी लगता है.
इस फैसले को सरकार द्वारा अपने वादे को पूरा करने के प्रयासों के रूप में भी देखा जा सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2022 में अग्निपथ योजना के शुभारंभ पर राज्य पुलिस और PAC में अग्निवीरों को प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया था. यह फैसला उस वादे को पूरा करता है.
सीमा पर बढ़ते तनाव के साथ ही देश में बढ़ रही राष्ट्रवादी भावनाओं के बीच इस फैसले का समय भी उतना ही महत्वपूर्ण है. पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच विपक्षी दल BJP सरकार पर अग्निपथ योजना को लेकर सवाल खड़े कर रहे थे. उनका कहना है कि सीमा पर जान की बाजी लगाने वाले अग्निवीर जवानों के लिए नौकरी की भी गारंटी नहीं है.
हालांकि केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना को इस तरह पेश किया कि वह तीनों सेनाओं को ज्यादा युवा बनाना चाहती है और इस तरह उसे देशभक्ति की पहल बताया. वहीं प्रशिक्षित अग्निवीरों को पुलिस में शामिल करके योगी सरकार इस राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के साथ तालमेल का संकेत देती है. यूपी सरकार का यह फैसला एक ऐसा रुख है, जो BJP के मूल मतदाताओं के साथ उसे गहराई से जोड़ता है. यह कदम युवाओं के बीच बेरोजगारी की लंबे समय से चली आ रही चुनौती से निपटने में भी मदद करता है.
यूपी सरकार की अग्निवीरों को 20 फीसद आरक्षण की घोषणा हरियाणा और ओडिशा सरकार द्वारा 10 फीसद आरक्षण दिए जाने से ज्यादा है. इस तरह यूपी सरकार का यह निर्णय उसे अग्निवीरों का समर्थन करने वाले राज्य के तौर पर स्थापित करता है.
राजनीतिक रूप से यह निर्णय BJP को युवा कल्याण और राष्ट्रीय सेवा के आसपास के मुद्दों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका देता है. उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने रोजगार सृजन और अग्निपथ योजना की कथित खामियों को लेकर BJP सरकार पर सवाल खड़े किए थे.
अब देश में अग्निवीरों के लिए सबसे ज्यादा आरक्षण कोटा लागू करके यूपी सरकार न केवल उस आलोचना को बेअसर करना चाहती है, बल्कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक बेंचमार्क भी स्थापित करना चाहती है.