12 दिसंबर 2023 को केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे के हाथ में पर्ची थमाकर उसे सबके सामने पढ़ने के लिए कहा. उस पर्ची में राजस्थान के मुख्यमंत्री के लिए भजनलाल शर्मा का नाम देखकर एक बारगी तो राजे भी चौंक गई और बगले झांकने लगी थी.
सीएम की पर्ची खुलने का वह पल गाहे-बगाहे अब भी चर्चा में बना रहता है मगर अब राजस्थान के सियासी फैसले ही नहीं बल्कि दफ्तरशाही के फैसले भी लुटियंस दिल्ली से तय होने लगे हैं. प्रदेश में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद अफरशाही के दोनों मुखिया दिल्ली से तय किए गए हैं.
पहले 1991 बैच के आईएएस सुधांश पंत और अब 1989 बैच के आईएएस वी. श्रीनिवास को राजस्थान की नौकरशाही का मुखिया बनाने के लिए दिल्ली से जयपुर भेजा गया है. 15 दिसंबर 2023 को भजनलाल शर्मा की ताजपोशी होने के 15 दिन बाद ही उस वक्त नई दिल्ली में परिवार कल्याण व स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत सुधांश पंत को राजस्थान का मुख्य सचिव बनाकर भेजा गया था. पंत की नियुक्ति के साथ ही ये कयास लगाए जाने लगे थे कि प्रदेश में अब प्रशासनिक ही नहीं बल्कि सियासी फैसले भी मुख्य सचिव की सहमति से होंगे.
कुछ दिन बाद ही जब विपक्ष ने सुधांश पंत पर समानांतर सरकार चलाने के आरोप लगाए तो इन कयासों को बल मिला. हालांकि, राजस्थान में अब तक अधिकांश मुख्य सचिव मुख्यमंत्री की पसंद के अनुसार बनाए जाते रहे हैं मगर हाल के ये दो उदाहरण बता रहे हैं कि अब नौकरशाही के मुखिया दिल्ली से तय होने लगे हैं. सियासी जानकार बताते हैं कि राजस्थान की सियासत में कभी भी मुख्य सचिव का पद इतना प्रभावशाली नहीं रहा जितना सुधांश पंत का रहा. प्रशासनिक मामलों के जानकार गजेंद्र सिंह कहते हैं, '' मुख्य सचिव ने नौकरशाही के साथ ही राजनीतिक शक्ति का भी ऐसा गुरुत्वाकर्षण हासिल कर लिया था जिसके सामने सरकार के मुखिया की छाया भी फीकी पड़ने लगी थी.''
माना जा रहा है कि पंत की कार्यप्रणाली के कारण मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच शक्ति संघर्ष बढ़ गया था जिसके चलते नीतिगत निर्णयों में रुकावट आ रही थी. इसी के चलते सुधांश पंत को वापस दिल्ली बुलाया गया है. हालांकि, पंत का कार्यकाल फरवरी 2027 में समाप्त होना था मगर उन्हें 15 माह पहले ही मुख्य सचिव पद से हटा दिया गया. अब पंत की नियुक्ति केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय में विशेषाधिकारी के पद पर की गई है.
राजस्थान में सियासी समीकरण साधने के लिए अब पंत की जगह वी. श्रीनिवास को नौकरशाही का नया मुखिया बनाया गया है. श्रीनिवास को बेहतर प्रशासनिक दृष्टि वाले अधिकारी के तौर पर जाना जाता है. बताया जाता है कि सियासी मामलों में उनकी दखलंदाजी कम रहती है. वे राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में दूसरे वरिष्ठतम अधिकारी हैं और फिलहाल केंद्र में प्रशासनिक सुधार मंत्रालय में सचिव के तौर पर काम कर रहे थे. अपने 34 साल के प्रशासनिक कार्यकाल में श्रीनिवास 18 साल तक दिल्ली में कार्यरत रहे हैं.
अब श्रीनिवास राजस्थान के 46वें मुख्य सचिव बनने जा रहे हैं. तीन साल तक उन्होंने वाशिंगटन (अमेरिका) में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में बतौर तकनीकी सहायक के तौर पर काम किया है. इसलिए उन्हें केंद्र व राज्य सरकार के कामकाज के अलावा प्रशासनिक मामलों का अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी रहा है. बताया जा रहा है कि राजस्थान के मुख्य सचिव के लिए वी. श्रीनिवास के नाम पर काफी समय पहले ही मुहर लग चुकी थी. इसी कड़ी में 14 नवंबर को जोधपुर हाउस में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और श्रीनिवास की मुलाकात हुई.
मुख्य सचिव सुधांश पंत की केंद्रीय सचिव के रूप में नियुक्ति होने के बाद से प्रदेश में नए मुख्य सचिव की दौड़ में उनका नाम सबसे आगे चल रहा था. 14 तारीख की देर रात श्रीनिवास राव को राजस्थान के लिए रिलीव करने के आदेश जारी हुए. राजस्थान के मुख्य सचिव पद के लिए उनके अलावा 1992 बैच के आईएएस अभय कुमार और रजत मिश्रा, 1993 बैच के आईएएस तन्मय कुमार और अखिल अरोड़ा के नाम पर भी चर्चा चल रही थी.
राजस्थान के मुख्य सचिव का यह बदलाव सिर्फ एक “ट्रांसफर” नहीं बल्कि पिछले कुछ समय से बिगड़े सियासी समीकरण साधने की जुगत भी है. श्रीनिवास की नियुक्ति यह संकेत भी है कि भविष्य में नौकरशाही के मुखिया जैसे पदों पर तैनातियां सिर्फ वरिष्ठता पर नहीं बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों की प्राथमिकताओं पर भी निर्भर करेंगी.

