उत्तर प्रदेश के मध्य-पूर्व और नेपाल की सीमा से सटे बहराइच जिले का एक शानदार अतीत रहा है. यह अपने पौराणिक और ऐतिहासिक पहचान के लिए भी जाना जाता है.
बहराइच के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह "सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा" की राजधानी था. इसका मूल नाम ब्रहमाइच था जो आगे चलकर बोलचाल की भाषा में बहराइच हो गया.
बहराइच महर्षि बालार्क की तपोस्थली रहा है. मौर्य काल में यह शहर बौद्ध संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र था. एक अन्य मान्यता के अनुसार, भर जातियों के निवास स्थान के कारण इस इलाके को भराइच या बहराइच कहा जाने लगा. बहराइच भरों के राजा महाराजा सुहेलदेव की राजधानी रहा है. विदेशी आक्रांता सैय्यद सालार मसूद गाजी और सुहेलदेव के बीच युद्ध इसी बहराइच की सरजमीं पर हुआ था.
गाजी 11वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध इस्लामिक कट्टरपंथी और विदेशी आक्रांता था जिसकी दरगाह शहर में मौजूद है. उसकी दरगाह मुसलमानों के लिए एक श्रद्धास्थल है जिसे फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था. इतिहासकारों के मुताबिक, 11वीं सदी में महाराजा सुहेलदेव ने विभिन्न आस-पड़ोस के राजाओं के साथ मिलकर एक संयुक्त सेना बनाई, और फिर गाजी की सेना को परास्त किया था. सुहेलदेव ने जिस स्थान पर गाजी का सिर कलम किया, वो शहर के बीचो-बीच घण्टाघर पर मजार (खंजर शहीद बाबा) के नाम से विख्यात है.
अभी तक गाजी मियां को जहां बहराइच जिले की प्रमुख सांस्कृतिक स्मृति के रूप में पेश किया जाता था, वहीं जनभावनाओं और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव के बलिदान और पराक्रम के आधार पर इस जिले को नई पहचान देना शुरू किया है.
इसी क्रम में सीएम योगी 10 जून को बहराइच जिले के चित्तौरा ब्लॉक के मसीहाबाद ग्रामसभा में महाराजा सुहेलदेव के विजयोत्सव कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे. योगी ने वहां 40 करोड़ रुपये की लागत से बने महाराजा सुहेलदेव स्मारक का उद्घाटन और महाराजा सुहेलदेव की कांस्य की 40 फिट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. मुख्यमंत्री ने बहराइच जिले के लिए 1243 करोड़ की 384 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास भी किया.
इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि एक हजार वर्ष पहले महाराजा सुहेलदेव ने विदेशी आक्रांताओं को जवाब देने की मिसाल प्रस्तुत की थी, लेकिन इतिहास में उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए था, वो नहीं मिला. पीएम मोदी के विकास और विरासत के अभियान को बढ़ाते हुए बीजेपी की डबल इंजन सरकार ने उन्हें सम्मान देने का संकल्प लिया था. इसी क्रम में बहराइच के मेडिकल कॉलेज का नाम महाराजा सुहेलदेव, हॉस्पिटल का नाम बालार्क ऋषि और आजमगढ़ के राज्य विवि का नामकरण भी महाराजा सुहेलदेव के नाम पर रखा गया है.
यह कार्यक्रम महापुरुषों के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बहराइच का मुख्य आयोजन महाराजा सुहेलदेव, बालार्क ऋषि और इस मंडल का मुख्य आयोजन मां पाटेश्वरी के नाम पर होगा, किसी विदेशी आक्रांता के नाम पर नहीं. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी ने कार्यक्रम में मौजूद प्रियंका, सुमित्रा, सावित्री, सीमा और रजनी के बच्चों का अन्न-प्राशन कराया और इनके बच्चों का नामकरण महाराजा सुहेलदेव के नाम पर किया.
बहराइच में तैनात रहे और वर्तमान में इस जिले से सटे बाराबंकी में रामनगर पीजी कॉलेज में राजनीतिक शास्त्र विभाग के प्रभारी आजाद प्रताप सिंह बताते हैं, "महाराजा सुहेलदेव को जितना स्थान हमारे इतिहास में मिलना चाहिए था, उतना अब तक नहीं मिला. अब राजा सुहेलदेव के जरिए बहराइच को अपनी असली पहचान मिलेगी."
1034 ईस्वी में बहराइच के पास चित्तौरा झील के किनारे राजा सुहेलदेव ने 21 राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी से युद्ध किया और उन्हें मार डाला था. राज्य का पर्यटन विभाग अब चित्तौरा झील को विश्वस्तरीय धार्मिक-सांस्कृतिक स्थल के रूप में विकसित कर रहा है. झील के किनारे महाराजा सुहेलदेव स्मारक की स्थापना की गई है. यहां पर सुहेलदेव की 40 फिट ऊंची कांसे की प्रतिमा लगाई गई है जो कि यूपी में सबसे ऊंची अश्वारोही प्रतिमा है. इसके अलावा यहां संग्रहालय और लाइट एंड साउंड शो की भी व्यवस्था की जा रही है.
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी ने बहराइच जिले में राजा सुहेलदेव की याद में स्मारक बनाने की रूपरेखा को मूर्तरूप देना शुरू किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्मारक परियोजना का शुभारंभ किया था. इसमें ऐतिहासिक चित्तौरा झील के पास पर्यटन विकास के साथ ही महाराजा सुहेलदेव की अश्वारोही प्रतिमा की स्थापना भी शामिल थी.
आजाद प्रताप सिंह बताते हैं, "मुख्यमंत्री योगी ने यूपी की सत्ता संभालने के बाद से ही बहराइच जिले पर खास ध्यान दिया है. वर्ष 2017 के बाद से अब तक योगी 20 से अधिक बार बहराइच आ चुके हैं जो किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा सर्वाधिक आंकड़ा है. अब महाराजा सुहेलदेव के जरिए योगी बहराइच की संस्कृति को न केवल एक अलग पहचान दे रहे हैं बल्कि पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाली राजभर जाति को भी सकारात्मक संदेश दे रहे हैं."
राजभर समाज के लोग राजा सुहेलदेव को अपने आराध्य के रूप में मानते हैं. राजभर जाति से जुड़े मतदाताओं की पूर्वी यूपी के जिलों में अच्छी खासी मौजूदगी है. यूपी की 153 विधानसभा सीटों पर राजभर (भर) और इनकी समकक्ष जातियों के वोटरों का प्रभाव है. इन सीटों पर 20,000 से लेकर 90,000 तक राजभर समाज के वोटर हैं. अवध और पूर्वांचल के 24 जिलों में ओबीसी समुदाय के तहत आने वाले राजभर वोटरों की अच्छी-खासी संख्या है.
अर्कवंशी, बारी, खरवार, बियार जातियों को यूपी में भर या राजभर की समकक्ष बिरादरी में गिना जाता है. अर्कवंशी जाति के मतदाता गाजियाबाद, नोएडा, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई जिलों के अलावा बुंदेलखंड की सभी 19 विधानसभा सीटों पर प्रत्येक में 20,000 से अधिक की संख्या में हैं. बारी और खरवार जाति के मतदाता प्रदेश के 75 सीटों पर असर रखते हैं.
राजा सुहेलदेव के जरिए सीएम योगी प्रदेश भर और खासकर पूर्वी यूपी में फैले राजभर समाज को साधने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. इसी क्रम में योगी सरकार ने बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित होने वाले सालाना मेले पर भी रोक लगा दी है. योगी सरकार बहराइच में ही सुहेलदेव के नाम पर एक म्यूजियम की स्थापना करने जा रही है.
इसके अलावा पूर्वी जिले आजमगढ़ में मेडिकल कॉलेज का नामकरण सुहेलदेव के नाम पर किया गया है. सुहेलदेव को बहराइच की सांस्कृतिक पहचान बनाने पर जिले में आने वाले दिनों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. अब जिले के पर्यटन साइनबोर्ड, शैक्षिक सामग्री और सांस्कृतिक उत्सवों में गाजी के स्थान पर महाराजा सुहेलदेव को प्रमुख स्थान दिया जाएगा.
इस सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बदलाव का राजनीतिक नतीजा तो वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में ही दिखाई देगा. नतीजों से यह भी तय होगा कि सुहेलदेव के जरिए सीएम योगी विपक्ष के पीडीए नैरेटिव को कितना पलट पाते हैं.