बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद पर एक बार फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें पार्टी का मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया है. इसी साल मार्च में संगठन से निकाले जाने के बाद 13 अप्रैल को आकाश आनंद को दोबारा पार्टी में वापस शामिल किया गया था.
मायावती ने 18 मई को दिल्ली स्थित पार्टी केंद्रीय कार्यालय में आयोजित बीएसपी की अखिल भारतीय बैठक में आकाश आनंद को मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त करने की घोषणा की. बीएसपी में पहली बार बनाया गया उनका नया पद, निष्कासन से पहले आकाश के राष्ट्रीय समन्वयक पद से एक कदम ऊपर है.
सूत्रों के मुताबिक अब आकाश देश की सभी राज्य इकाइयों के लिए बीएसपी की रणनीतियों के प्रभारी होंगे. बैठक में मायावती ने कहा, "आकाश पार्टी और इसके आंदोलन को मजबूत करने के लिए लगन और सावधानी से काम करेंगे."
30 वर्षीय आकाश को सबसे पहले 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद बीएसपी का राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया गया था और उन्हें पार्टी के 2024 के लोकसभा अभियान को संभालने का काम सौंपा गया था. मई 2024 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मायावती ने पहली बार आकाश को पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के पद से हटाया था. तब आकाश ने मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी का पद भी खो दिया था. चुनाव के दौरान सीतापुर में नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले में आकाश आनंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद मायावती ने यह कदम उठाया.
करीब डेढ़ महीने बाद 23 जून 2024 को मायावती ने आकाश को महत्वपूर्ण पदों पर बहाल किया और उन्हें हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में विधानसभा चुनावों में पार्टी अभियान का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा. इसी बीच 15 जनवरी को मायावती के 69वें जन्मदिन पर आयोजित एक कार्यक्रम में आकाश के छोटे भाई ईशान आनंद बीएसपी नेताओं के बीच पहली बार सक्रिय रूप से देखे गए थे.
इसके बाद से अटकलें लगाई जाने लगीं कि ईशान को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है. तब आकाश आनंद और मायावती के रिश्तों पर भी अटकलें लगने लगी थीं. ये सही भी साबित हुईं. जब मायावती ने 3 मार्च को आकाश आनंद को पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के अहम पद से हटा दिया था. यह दूसरी बार था जब उनसे यह जिम्मेदारी वापस ली गई थी. अगले दिन 4 मार्च को आकाश को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ पर पार्टी में उम्मीदवारों के चयन, प्रचार कोष जुटाने और रणनीति बनाने सहित कई मामलों में एकतरफा फैसले लेने और आकाश पर अपने ससुर के साथ सांठगांठ करने के आरोप लगे थे. इसके बाद पार्टी मामलों को चलाने के लिए मायावती ने तीन वरिष्ठ नेताओं रामजी गौतम, रणधीर सिंह बेनीवाल और राजा राम को उस समय राष्ट्रीय समन्वयक के पद पर पदोन्नत किया था.
हालांकि 13 अप्रैल को मायावती ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगे जाने के बाद आकाश आनंद को पार्टी में बहाल कर दिया, लेकिन उन्हें संगठन में तत्काल कोई पद नहीं दिया. उस समय उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से पार्टी के कामों के प्रबंधन में उनका समर्थन और प्रोत्साहन करने को कहा था, जिससे संकेत मिलने लगा था कि आकाश को बीएसपी में किसी बड़े पद पर बहाल किया जाएगा. अब मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक का पद आकाश के लिए पदोन्नति का प्रतीक है. इसका मतलब यह भी है कि आकाश पार्टी में दूसरे नंबर की स्थिति में वापस आ गए हैं और उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं को पीछे छोड़ दिया है.
भले ही बसपा लगातार विधानसभा और लोकसभा चुनाव हार रही हो और उसका जनाधार कम हो रहा हो, लेकिन मायावती ने पार्टी पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है. बावजूद इसके मायावती ने आकाश आनंद को बेहद अहम जिम्मेदारी सौंपी है.
इस घटनाक्रम से कुछ अहम सवाल उठ रहे हैं. आकाश को दो बार संगठनात्मक पद से हटाया गया, एक बार पार्टी से निष्कासित किया गया, फिर बहाल किया गया और फिर महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया तो अब असल सवाल है कि वे मायावती के लिए जरूरी क्यों हो गए हैं? क्या इससे मायावती की आकाश आनंद को लेकर दुविधा तो सामने नहीं आ रही? लखनऊ में जय नारायण डिग्री कालेज में राजनीतिक शास्त्र विभाग के प्रोफेसर ब्रजेश मिश्र बताते हैं, “आकाश के निष्कासन के बाद पार्टी में कोई प्रमुख युवा चेहरा नहीं बचा था. युवा दलित मतदाता भीमा आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की तरफ जा रहे हैं, ऐसे में इनको लुभाने के लिए बीएसपी को एक युवा नेता की जरूरत थी. पार्टी के तीन राष्ट्रीय समन्वयक- रामजी गौतम, रणधीर सिंह बेनीवाल और राजा राम- पुराने योद्धा माने जाते थे और इनका युवाओं के साथ कनेक्ट न के बराबर है. इसलिए नई राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए आकाश आनंद पर एक बार फिर मायावती को भरोसा करना पड़ा.”
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बीएसपी में युवा नेताओं की पौध न के बराबर है. परिवार से, आकाश आनंद को अगली पीढ़ी के रूप में देखा जाता था, जिन्हें मायावती पार्टी की बागडोर संभालने के लिए तैयार कर रही थीं, ताकि बीएसपी में पुराने नेताओं से नई पीढ़ी तक नेतृत्व का सहज स्थानांतरण हो सके. आकाश आनंद ने भी युवा दलितों के बीच पैठ बनानी शुरू की थी. सोशल मीडिया पर बीएसपी को नए कलेवर में पेश आकाश आनंद ने ही किया था.
बृजेश मिश्र के मुताबिक कई पहलुओं पर विचार करने के बाद ही मायावती को आकाश आनंद में ही वह “स्पार्क” दिखा जो पार्टी के मिशन में युवा ऊर्जा का संचार कर सकता था. 18 मई को बीएसपी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया, "बैठक में आकाश जी को एक युवा के रूप में पेश किया गया, जिन्हें एक नेता के रूप में तैयार किए जाने की जरूरत है. बहन जी (मायावती) ने हमसे कहा है कि अगर आकाश कोई गलती करते हैं तो उन्हें निजी तौर पर बताएं.” हालांकि मायावती ने आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी तो नहीं बनाया लेकिन बैठक में उनका बयान यह जरूर संकेत दे रहा था कि वह पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन के लिए लंबी अवधि की तैयारी कर रही हैं.