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राजस्थान के हनुमानगढ़ में एथेनॉल फैक्ट्री के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन कैसे हुआ हिंसक?

राज्य सरकार ने पिछले साल 'राइजिंग राजस्थान समिट' के दौरान हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र में इस एथेनॉल फैक्ट्री को लगाने का प्रस्ताव मंजूर किया था

Hanumangarh farmers protest
हनुमानगढ़ में किसानों और पुलिस की झड़प के बाद का मंजर
अपडेटेड 13 दिसंबर , 2025

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र में एक एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर भड़का विवाद आखिरकार हिंसा में बदल गया. एक तरफ उपजाऊ जमीन बचाने को डटे किसान और दूसरी तरफ किसी भी कीमत पर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने को आतुर पुलिस व प्रशासन. इसका अंजाम 10 दिसंबर को टिब्बी के पास राठीखेड़ा गांव में किसानों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प के तौर पर सामने आया. 

इसमें कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया समेत कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हो गए. इससे पहले दो दिन से पूरे इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई थी. किसानों ने फैक्ट्री के विरोध में आगामी 17 दिसंबर को हनुमानगढ़ जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने फिर महापंचायत बुलाई है. 

राजस्थान सरकार ने पिछले साल राइजिंग राजस्थान समिट में ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से 450 करोड़ रुपए के इस निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इसके तहत टिब्बी के राठीखेड़ा गांव में गन्ना, मक्का, चावल के अपशिष्ट और कच्चे माल का उपयोग करके एथेनॉल फैक्ट्री लगाई जाने का प्रस्ताव था. 

निवेश प्रस्ताव में यहां की जमीन को बंजर बताते हुए स्थानीय स्तर पर हजारों लोगों को रोजगार दिए जाने का दावा किया गया था. बताया जा रहा है कि फैक्ट्री के लिए इस क्षेत्र को इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां नहरी और जमीनी पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और एथेनॉल के लिए जरूरी चावल, गन्ना, मक्का जैसी फसलों का यहां भरपूर उत्पादन होता है. टिब्बी के इस इलाके को राजस्थान का सबसे उपजाऊ ‘ग्रीन बेल्ट’ माना जाता है.

निवेश प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के शुरुआती एक साल तक इस जमीन का उपयोग खेती के लिए किया गया मगर पिछले एक माह से राठीखेड़ा गांव की 100 बीघा जमीन पर फैक्ट्री लगाए जाने का काम चल रहा था. क्षेत्र के किसानों को जब इसकी सूचना मिली तो वे इसके विरोध में लामबंद हो गए. 

किसानों के विरोध के चलते 18 नवंबर से पूरे क्षेत्र में धारा 163 लागू कर दी गई. 10 दिसंबर को फैक्ट्री के विरोध में किसानों ने राठीखेड़ा गांव में महापंचायत बुलाई थी. हिंसा की आशंका के चलते प्रशासन ने 9 दिसंबर की रात से ही इंटरनेट सेवा बंद कर दी और फ्लैग मार्च निकाला. लेकिन अगले दिन किसान ट्रैक्टर लेकर फैक्ट्री के पास पहुंच गए. पुलिस के साथ झड़प के बाद किसान आक्रोशित हो गए और फैक्ट्री की दीवारें गिरा दी. इसके बाद पुलिस और किसानों के बीच हिंसक भिड़ंत हो गई. आक्रोशित लोगों ने वहां खड़ी पांच कारों और दर्जनों दुपहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया. 

आंदोलन के अगुवा किसान नेता मंगेज चौधरी का कहना है, ‘‘किसान लगातार इस फैक्ट्री को कहीं और बंजर जमीन पर शिफ्ट करने की मांग कर रहे थे मगर प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की. 10 दिसंबर को जब किसान इसके खिलाफ इकट्ठा हुए तो पुलिस ने किसानों पर फायरिंग और लाठीचार्ज कर दिया. फैक्ट्री के लिए पर्यावरणीय प्रभाव,  भूजल सर्वे, जमीन की उपजाऊ क्षमता की जांच और सामाजिक प्रभावों का भी आकलन नहीं किया गया.’’ 

हालांकि, पुलिस व प्रशासन का दावा किसानों से कुछ अलग है. राजस्थान पुलिस के एडीजी (क्राइम) वीके सिंह को शांति और व्यवस्था बनाने के लिए टिब्बी भेजा गया है. उनका कहना है, ‘‘स्थानीय लोगों को फैक्ट्री से कोई परेशानी नहीं है. बाहरी लोगों ने उपद्रव भड़काया है. पुलिस ने फायरिंग नहीं की बल्कि किसानों के पथराव के कारण तीन दर्जन पुलिस व होमगार्ड के जवान घायल हुए हैं. किसान नेता जो गोलियों के खोल दिखा रहे हैं वे पुलिस के नहीं हैं. हिंसा भड़काने वाले 107 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं.’’ 

हनुमानगढ़ के जिला कलेक्टर डॉ. खुशाल यादव बताते हैं कि प्रस्तावित एथेनॉल कारखाने के लिए सभी जरूरी मंजूरियां ली गई हैं और यह फैक्टरी 2022 की परियोजना का हिस्सा है जिसे ‘राइजिंग राजस्थान समिट' के दौरान मंजूरी दी गई थी. यादव के मुताबिक, “किसानों को शांतिपूर्ण महापंचायत की अनुमति दी गई थी लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए कारखाने की ओर मार्च किया जिसके कारण यह बवाल हुआ.’’

आंदोलन के दौरान मौजूद रहे हनुमानगढ़ के संगरिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया का आरोप है कि इस फैक्ट्री की वजह से आसपास के लोगों का जीना मुहाल हो जाएगा. वे दावा करते हैं, ‘‘फैक्ट्री के आस-पास 80 गांव और ढाणियां हैं जिनमें हजारों लोग रहते हैं. फैक्ट्री से जल और वायु प्रदूषण बढ़ेगा जिससे इन लोगों की जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. सरकार ने किसानों को बिना बताए इस जहरीली फैक्ट्री को मंजूरी दे दी.’’

माकपा के पूर्व विधायक बलवान पूनिया इस फैक्ट्री को खेती-किसानी की बर्बादी से जोड़ते हैं और आरोप लगाते हैं कि पुलिस और प्रशासन तमाम नियम कायदों को दरकिनार कर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बेटे की इस एथेनॉल फैक्ट्री को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड चंडीगढ़ में रजिस्टर्ड कंपनी है और जतिंदर अरोड़ व रॉबिन जिंदल इसके डायरेक्टर हैं.  

इस बीच नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी 12 दिसंबर को इस फैक्ट्री का मामला संसद में उठाया और बिना नाम लिए नितिन गडकरी की तरफ इशारा किया. बेनीवाल ने कहा, ‘‘फैक्ट्री लगाने से पहले प्रशासन ने स्थानीय लोगों को भरोसे में नहीं लिया. इस फैकट्री में केंद्र के मंत्री की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए.’’ 

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