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आखिर बिहार में ही इतने पुल क्यों गिरते हैं?

बिहार में पिछले 16 दिनों में दस पुल धराशायी हुए हैं. इनमें से पांच तो केवल तीन जुलाई को ही गिरे

4 जुलाई को सिवान के महाराजगंज प्रखंड में गिरा पुल
4 जुलाई को सिवान के महाराजगंज प्रखंड में गिरा पुल
अपडेटेड 5 जुलाई , 2024

बिहार में लगातार गिरते पुलों को देखते हुए सोशल मीडिया पर यह चुटकुला चल रहा है कि अगर आप बिहार घूमने निकले हैं और आगे कोई पुल दिखे तो गाड़ी वापस मोड़ लेने में ही भलाई है. हादसे को ह्यूमर में बदल देना हमारे देश का हुनर है जबकि सरकारों, प्रशासनिक अमलों का हुनर ये है कि वे भयानक से भयानक त्रासदियों में भी चैन की नींद सो सकती हैं.

बिहार में पिछले 16 दिनों में दस पुलों के धराशायी होने की खबरें सामने आई हैं, और ऐसा नहीं है कि ये घटनाएं पहली बार हुई हैं. बिहार में पुलों का गिरना जैसे इस राज्य की पहचान बन चुका है. सिर्फ पुराने ही नहीं, निर्माणाधीन पुल भी इस नियति से सुरक्षित नहीं हैं. ऐसे में सवाल मौजूं हो उठता है कि आखिर बिहार में लगातार पुलों के गिरने की वजह क्या है?

पुलों के ढहने के ताजा सिलसिले की बात करें तो राज्य में बीते 18 जून को सबसे पहले अररिया जिले में सिकटी प्रखंड में एक पुल गिरा था. यह पुल अररिया के ही दो ब्लॉक सिकटी और कुर्साकांटा को जोड़ने के लिए बन रहा था. इसके बाद बीते एक पखवाड़े में कम से कम 10 पुलों के गिरने की घटनाएं हुई हैं. तीन जुलाई को एक ही दिन में कम से कम पांच पुल गिरे, जिनमें से सिवान जिले में छाड़ी नदी पर बने दो पुल शामिल हैं.

सिवान के अलावा अररिया, पूर्वी चंपारण, किशनगंज और मधुबनी ऐसे जिले रहे हैं जहां पिछले दिनों पुलों के गिरने की घटनाएं हुईं. ध्वस्त हुए इन पुलों में से तीन निर्माणाधीन जबकि दो तैयार पुल थे. बाकि सभी पुराने पुल थे जिनकी उम्र 30 से 80 सालों के बीच थी. इन घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 जुलाई को अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की, और उन्होंने राज्य के सभी पुराने पुलों का तुरंत सर्वेक्षण करने और उन पुलों की पहचान करने का निर्देश दिया जिनकी मरम्मत की तत्काल जरूरत है.

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने विभाग प्रमुखों को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है. लेकिन देखा जाए तो नीतीश कुमार के ये निर्देश वही "ढाक के तीन पात" वाली कहावत दोहराते दिखते हैं क्योंकि पुलों का गिरना बदस्तूर जारी है. बार-बार पुल ढहने की ये घटनाएं काम की गुणवत्ता और निर्माण में प्रयुक्त सामग्री पर सीधे सवाल उठाती हैं.

पिछले साल जून में बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहा अगुवानी-भागलपुर पुल का एक हिस्सा गिर गया था. भागलपुर और खगड़िया को जोड़ने वाले इस पुल की लागत करीब 1,717 करोड़ रुपये थी. यह दूसरी बार था जब यह पुल गिरा, इससे पहले अप्रैल 2022 में यह घटना हुई थी. सीएम नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर 3.16 किलोमीटर लंबे इस पुल की आधारशिला 23 फरवरी, 2014 को खगड़िया जिले के परबत्ता में खुद मुख्यमंत्री ने रखी थी.

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उस समय भी नीतीश ने इस घटना की जांच के आदेश दिए थे. आईआईटी रुड़की को इस पर एक जांच रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया. उस रिपोर्ट में जांच दल ने क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत के बजाय नया पुल बनाने की सिफारिश की थी. तब केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी भागलपुर पुल हादसे के लिए घटिया निर्माण सामग्री को जिम्मेदार ठहराया था.

नवंबर 2022 में मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा में भी पुल गिरने की घटना हुई थी, जब एक निर्माणाधीन पुल ताश के पत्तों की तरह ढह गया. इस हादसे में एक मजदूर की जान चली गई और एक घायल हो गया था. स्थानीय लोगों का कहना था कि ये सब प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुआ. इसके एक महीने बाद ही बेगूसराय में 13 करोड़ की लागत से बना नवनिर्मित पुल उद्घाटन से पहले ही दो टुकड़ों में टूटकर नदी में गिर गया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में उस पुल के अगले हिस्से में दरार देखी गई थी और इस सिलसिले में अधिकारियों को एक पत्र भी लिखा गया. लेकिन हाकिमों ने उस पत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया.

इसी तरह जुलाई 2020 में पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया शहर में गंडक नदी पर बना पुल ढह गया था. इस पुल का उद्घाटन महज एक महीने पहले ही हुआ. तब कहा गया कि यह पुल गंडक नदी के दबाव को झेल नहीं पाया. अब ये कुछ उदाहरण हैं जो बताते हैं कि बिहार में इतनी बड़ी संख्या में पुल ध्वस्त क्यों हो रहे हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, खराब डिजाइन, घटिया निर्माण सामग्री, लापरवाही, पुराने होते पुलों का गैर-जिम्मेदार तरीके से रखरखाव, दोषपूर्ण बोली-प्रक्रिया ये कुछ प्रमुख कारण हैं जो इन घटनाओं के पीछे जिम्मेदार हैं.

इसके अलावा प्राकृतिक आपदाएं भी सबसे बड़ी वजहों में से हैं जिनके चलते पुल के गिरने की घटनाएं होती हैं. एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में बाढ़ की वजह से ही करीब 52 फीसदी पुल गिरते हैं और इसका एक बड़ा कारण सीमा से ज्यादा बालू का खनन है, जिससे पुल की जड़ें कमजोर हो जाती हैं. बिहार, जो एक बाढ़ से प्रभावित राज्य है, वह भी इसकी मार से अछूता नहीं है.

पुलों के गिरने के बाद राज्य की सियासत भी कम अहम नहीं है जो जिम्मेदारी की गेंद को अपने पाले से हटाकर दूसरे खेमे में डालना चाहती है. भागलपुर पुल हादसे के समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विपक्ष में थी. तब उस घटना पर बिहार में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने काफी निराशा जाहिर की थी और जदयू-राजद की महागठबंधन सरकार पर कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. आज विजय सिन्हा बिहार सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं.

दिलचस्प है कि तेजस्वी यादव, जो उस समय राज्य सरकार में उप मुख्यमंत्री थे, उन्होंने पुल ढहने की घटना को उचित ठहराया था और कहा था कि सरकार ढांचागत खामियों के कारण निर्माणाधीन पुल को गिराने की खुद योजना बना रही थी. लेकिन यही तेजस्वी जब 2020 में विपक्ष के नेता थे, तब उन्होंने पूर्वी चंपारण में एक माह पहले बने पुल के जमींदोज हो जाने पर सीएम नीतीश को आड़े हाथों लिया था.

तब तेजस्वी ने कहा था, "आठ साल में बना पुल उद्घाटन के 29 दिन बाद ही ढह गया. संगठित भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह नीतीश कुमार इस पर एक शब्द भी नहीं बोलेंगे और न ही सड़क निर्माण मंत्री को बर्खास्त करेंगे." भागलपुर पुल हादसे के समय नीतीश महागठबंधन की सरकार में सीएम थे और तेजस्वी उप मुख्यमंत्री थे. इस साल की शुरुआत में नीतीश कुमार के एक बार फिर पाला बदल लेने के बाद तेजस्वी विपक्ष के नेता हैं, और पुल गिरने की घटनाओं पर फिर से नीतीश कुमार को घेर रहे हैं.

वहीं, विजय कुमार सिन्हा की पार्टी भाजपा इस वक्त सरकार में है, और तेजस्वी के इन हमलों का सामना कर रही है. एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश भर में पुलों के गिरने की घटनाओं में कमी आई है. 2012-2013 में पुल गिरने की घटनाएं औसतन 45 थीं जो 2021 में घटकर आठ हो गईं. लेकिन इसके बावजूद बिहार में लगातार पुल गिरने की घटनाएं काफी चिंताजनक हैं.

आंकड़े बताते हैं कि भारत में पुलों की औसत आयु 35 साल है जबकि वैश्विक स्तर पर यह 50 है. भारतीय पुल प्रबंधन प्रणाली (आईबीएमएस) की रिपोर्ट में जिक्र है कि देश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1,72,517 बड़े और छोटे पुल और पुलिया हैं. इनमें से 1,34,229 पुलिया, 32,806 छोटे पुल, 3,647 बड़े पुल और 1,835 अतिरिक्त लंबे पुल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से करीब 30 फीसद पुलिया, 12-15 फीसद छोटे पुल, 8-10 फीसद बड़े पुल और 5 फीसद अतिरिक्त लंबे पुल खराब स्थिति में हैं.

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