मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल के 5 मार्च को हुए पहले मंत्रिमंडल विस्तार में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के अलावा राष्ट्रीय लोकदल के अनिल कुमार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुनील शर्मा और दारा सिंह चौहान को बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किया गया था.
एक हफ्ते बाद 12 मार्च को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नए शामिल मंत्रियों को विभागों का बंटवारा किया तो ओम प्रकाश राजभर महत्वपूर्ण पंचायती राज विभाग पाकर सबसे फायदे में दिखाई दिए. राजभर को पंचायती राज के अलावा अल्पसंख्यक कल्याण, हज और मुस्लिम वक्फ विभाग की भी जिम्मेदारी दी गई है.
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के बाद भूपेन्द्र चौधरी ने योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद योगी ने चौधरी का पंचायती राज विभाग अपने पास रख लिया था. दारा सिंह चौहान को जेल विभाग, सुनील शर्मा को आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग और अनिल कुमार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग आवंटित किया गया.
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने जिस तरह से कैबिनेट मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण विभाग देकर ओम प्रकाश राजभर को तवज्जो दी, उससे लोक सभा चुनाव से पहले पूर्वांचल में पिछड़ों को साधने की कवायद मानी जा रही है.
जहूराबाद से विधायक राजभर के भाजपा और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के साथ नरम-गरम रिश्ते रहे हैं. राजभर 2017 में सत्ता में आई भाजपा के नेतृत्व वाली पहली राज्य सरकार का हिस्सा थे, लेकिन दो साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने एनडीए से नाता तोड़ लिया. सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के हिस्से के रूप में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था.
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान राजभर ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर तल्ख टिप्पणी की थी. राजभर ने दावा किया था कि विधानसभा चुनाव के बाद वह योगी आदित्यनाथ को मंदिर में वापस भेज देंगे. अब राजभर न केवल योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट में शामिल हुए हैं बल्कि खुद को मुख्यमंत्री के बाद दूसरा सबसे पावरफुल नेता बता रहे हैं. योगी सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल होने के दो दिन बाद राजभर की विवादास्पद टिप्पणी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी असहज कर दिया.
पिछले वर्ष एनडीए में शामिल होने के बाद करीब छह महीने के इंतजार के बाद कैबिनेट मंत्री बनने के बाद पहली बार 07 मार्च को पूर्वी यूपी में राजभर मतदाताओं की अच्छी आबादी वाले जिले मऊ पहुंचने पर ओम प्रकाश राजभर पूरे उत्साह में थे. एक रैली को संबोधित करते हुए राजभर ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा कि अब से उन्हें पुलिस स्टेशन जाते समय पीले रंग का गमछा (सुभासपा का प्रतीक) पहनना चाहिए. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी पीले गमछे में राजभर का चेहरा देखेंगे और "उनकी बात नम्रता से सुनेंगे", क्योंकि वे अपने मंत्री से सवाल करने की हिम्मत नहीं करेंगे.
इसी भाषण के दौरान राजभर ने खुद को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के बाद राज्य का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति घोषित कर दिया. वह बोले, "जो पावर मुख्यमंत्री जी के पास है, उसके बाद अगर पावर है तो ओम प्रकाश राजभर के पास है." राजभर के इस बड़बोलेपन को नजरअंदाज कर उन्हें एक शक्तिशाली नेता के रूप में योगी कैबिनेट में शामिल करने के बाद विधान परिषद् चुनाव में भी एक सीट देने को पूर्वांचल के जातीय गणित को साधने की भाजपा की रणनीति बताई जा रही है.
सामाजिक न्याय समिति, 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी की पिछड़ी जातियों में राजभर (भर) जाति का प्रतिशत 2.44 है. हालांकि पूर्वांचल की 28 लोकसभा सीटों पर राजभर मतदाता 10 से 20 प्रतिशत के बीच हैं. अर्कवंशी, बारी, खरवार, बियार जातियों को यूपी में भर या राजभर की समकक्ष बिरादरी में गिना जाता है. अर्कवंशी जाति के मतदाता पश्चिमी, मध्य यूपी और बुंदेलखंड में अच्छी संख्या में हैं. बारी और खरवार मतदाता पूरे प्रदेश में हैं.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मछली शहर सीट पर भाजपा ने महज 181 वोटों से जीत हासिल की थी. इस सीट पर सुभासपा को 11,223 वोट मिले थे. बलिया लोकसभा सीट पर भाजपा ने सपा को 15,519 वोटों से हराया था. इसी सीट पर सुभासपा उम्मीदवार को 35,900 वोट मिले थे. वर्ष 2017 के विधानासभा चुनाव में सुभासपा ने भाजपा से गठबंधन कर 8 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटें जीतीं. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने सपा से गठबंधन कर 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और 6 सीटें जीतीं.
बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ में इतिहास विभाग के प्रोफेसर और "यूपी की राजनीति में जातियों की भूमिका" विषय पर शोध करने वाले सुशील पांडेय बताते हैं, "वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में राजभर मतदाताओं के प्रभाव वाले आजमगढ़, आंबेडकरनगर, गाजीपुर, बलिया, बस्ती जैसे जिलों में भाजपा के खराब प्रदर्शन ने पार्टी को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले रणनीति बदलने को मजबूर किया है. इसी कारण भाजपा सुभासपा का साथ लेने को आतुर दिखाई दे रही है."
पांडेय के अनुसार, राजभर समाज का एकमुश्त वोट मिलने पर भाजपा को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की घोसी, गाजीपुर, जौनपुर, लालगंज, श्रावस्ती और आजमगढ़ सीट पर फायदा हो सकता है. इसीलिए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद सपा और सुभासपा के बीच दूरियां बढ़ते ही भाजपा इसमें अपनी संभावनाएं तलाशने लगी थीं. योगी सरकार में उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दया शंकर सिंह ने समय-समय पर ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात कर दोनों दलों के बीच रिश्ते सामान्य करने में कामयाबी हासिल की. इसके बाद पिछले वर्ष 16 जुलाई को ओम प्रकाश राजभर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर दोबारा एनडीए में शामिल हुए.
भाजपा ने घोसी लोकसभा सीट सुभासपा को सौंपी है जिसपर ओम प्रकाश राजभर ने अपने बेटे अरविंद राजभर को उम्मीदवार घोषित किया है. इसी प्रकार सुभासपा के संस्थापक सदस्य रहे विच्छे राजभर को विधान परिषद् चुनाव का उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा 10 मार्च को आजमगढ़ पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंदुरी में आयोजित जनसभा में ओम प्रकाश राजभर को अपने मंच पर जगह दी. मोदी ने आजमगढ़ में नवनिर्मित सुहेलदेव विश्वविद्यालय का लोकार्पण भी किया. महाराजा सुहेलदेव को राजभर समाज अपना आदर्श मानता है. इस तरह से राजभर वोटों को सहेजने के सभी तौर तरीके भगवा खेमा अपना रहा है. अब देखना है कि पीले गमछे वालों का साथ लेकर भाजपा किस तरह पूर्वांचल में भगवा परचम लहराने में कामयाब हो पाती है?