पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा से निपटने के नरेंद्र मोदी सरकार के तरीके पर सवाल उठाया है.
साथ ही, 10 जून को सीएम ममता ने कहा कि भारत ने पहलगाम आंतकी हमले के बाद की सैन्य कार्रवाई के दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर नियंत्रण करने का एक दुर्लभ रणनीतिक अवसर खो दिया है.
ममता ने विधानसभा में कहा, "उन्हें (पाक को) सबक सिखाने की जरूरत थी; और हम अपने सशस्त्र बलों की वीरता को सलाम करते हैं. भारत के पास PoK पर कब्जा करने का मौका था."
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराते हुए सीएम ममता ने कहा, "पहलगाम हमला केंद्र की लापरवाही का नतीजा है. घटनास्थल पर कोई सुरक्षा बल या पुलिसकर्मी क्यों मौजूद नहीं थे?"
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साधा और कहा, "पीएम मोदी सिर्फ अपना प्रचार करने में व्यस्त हैं." इसके अलावा उन्होंने बीजेपी पर "सशस्त्र बलों की वीरता का राजनीतिकरण करने की कोशिश" करने का आरोप लगाया.
ममता ने पाकिस्तान के अंदर सटीक हमले करने के लिए सशस्त्र बलों की खुलकर प्रशंसा की. उनकी सरकार ने विधानसभा में पहलगाम नरसंहार की निंदा करने और भारत के सैन्य जवाब की सराहना करने वाला एक प्रस्ताव पेश किया.
हालांकि इस प्रस्ताव में 'ऑपरेशन सिंदूर' शब्द का जिक्र नहीं था, लेकिन इसमें पाकिस्तान और PoK में प्रमुख आतंकवादी ढांचों को नष्ट करने में भारतीय सशस्त्र बलों के समन्वित प्रयासों के लिए विधानसभा की ओर से "आभार और प्रशंसा" की गई.
प्रस्ताव में जम्मू और कश्मीर के लोगों द्वारा त्रासदी के बाद दिखाई गई "एकता, करुणा और दृढ़ता की असाधारण मिसाल" को भी स्वीकार किया गया. ममता ने यह भी सवाल उठाया कि पहलगाम हमले के अपराधियों को अभी तक क्यों नहीं पकड़ा गया.
ममता की टिप्पणियों, खासकर PoK के बारे में उनके दावे और केंद्र की कूटनीतिक विफलता की आलोचना ने ध्यान खींचा. उन्होंने कहा, "पता नहीं हमारी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कोई समस्या है या नहीं. पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने के बजाय उसे IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) से कर्ज मिल गया." उन्होंने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की क्षमता पर संदेह जाहिर किया.
हालांकि प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसकी तीखी आलोचना की. पार्टी नेता अग्निमित्र पॉल ने आधिकारिक प्रस्ताव में 'ऑपरेशन सिंदूर' शब्द को शामिल न किए जाने पर सवाल उठाया. पॉल ने पूछा, "यह किस तरह की सराहना है, जबकि प्रस्ताव में ऑपरेशन सिंदूर का नाम तक नहीं है?" उन्होंने इसे राजनीतिक रूप से दोहरा रवैया करार दिया.
पॉल ने ममता और तृणमूल कांग्रेस पर इंटरनेशनल ऑडियंस के सामने ढोंग रचने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "एक तरफ वे (ममता) अभिषेक बनर्जी को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भेज रही हैं. वे विदेश में यह तस्वीर पेश करते हैं कि तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार और हमारे प्रधानमंत्री के साथ है. लेकिन जैसे ही वे भारत वापस आते हैं, वह हमारे प्रधानमंत्री को नीचा दिखाना और गाली देना शुरू कर देते हैं. यह सब किसके नेतृत्व में हासिल हुआ?"
बीजेपी का जवाबी हमला विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी तक पहुंचा, जिन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर अपनी बात में एकरूपता न रखने का आरोप लगाया. हालांकि अधिकारी की टिप्पणियों को विधानसभा की कार्यवाही में शामिल नहीं किया गया, लेकिन उनकी पार्टी की आलोचना से साफ था कि पहलगाम हमले और इसके सैन्य परिणामों का राजनीतिक प्रभाव अभी खत्म नहीं हुआ है.
तृणमूल के वरिष्ठ विधायकों ने अधिकारी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर विधानसभा के बाहर मानहानि करने वाली टिप्पणी की और दावा किया कि ममता बनर्जी ने पाकिस्तान की तारीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी बेहतर तरीके से की.
चंद्रिमा भट्टाचार्य और सोवनदेब चट्टोपाध्याय सहित मंत्रियों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए, जिसमें फिरहाद हकीम के भी शामिल होने की उम्मीद है. विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने प्रस्ताव की प्राप्ति की पुष्टि की और वे इसे विशेषाधिकार समिति को भेज सकते हैं. इससे पहले, फरवरी में असंसदीय व्यवहार के लिए अधिकारी को निलंबित कर दिया गया था.
- अर्कमय दत्ता मजूमदार.