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ओडिशा : माझी सरकार में महिलाओं के खिलाफ अपराध क्यों बढ़ रहे हैं?

ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ी कुछ घटनाओं बीते दिने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रही हैं, वहीं बीते साल के आंकड़े भी ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं में बढ़ोत्तरी की गवाही दे रहे हैं

सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 23 जुलाई , 2025

बीते कुछ दिन ओडिशा में महिलाओं के लिहाज से काफी डरावने रहे हैं. बीते 12 जुलाई को बालासोर में एक छात्रा ने खुद को आग लगा ली. छात्रा ने एक प्रोफेसर के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत पर कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए कॉलेज परिसर में खुद को आग के हवाले कर दिया था.  

वहीं 19 जुलाई को पुरी ज़िले की एक नाबालिग छात्रा को तीन अज्ञात युवकों ने आग के हवाले कर दिया. छात्रा की उम्र करीब 15 साल बताई गई है. यह घटना नीमापाड़ा तहसील के बायाबर गांव में सुबह लगभग साढ़े आठ बजे हुई, जब छात्रा अपनी एक दोस्त के घर किताबें देने जा रही थी. 

दो दिन बाद ही 21 जुलाई को बर्थडे पार्टी में शामिल होने जा रही एक युवती के साथ गैंगरेप की घटना भी सामने आई है. यह मामला जगतसिंहपुर का है. इसके अलावा 20 जुलाई को एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष उदित प्रधान को रेप के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है. उनपर आरोप है कि बीते मार्च की 19 तारीख को इंजीनियरिंग की एक छात्रा को कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर रेप किया. 

इसी दिन यानी 20 जुलाई को ही मलकानगिरी जिले में एक युवती के साथ हुए बलात्कार मामले में मध्य प्रदेश के ट्रक ड्राइवर की गिरफ्तारी हुई है. गिरफ्तारी 21 जुलाई को हुई है. 

लगातार हो रही ऐसी घटनाओं को लेकर राज्य भर में लोग गुस्से में हैं. राजनीतिक दलों के लोग आंदोलन कर रहे हैं. पूर्व सीएम नवीन पटनायक ने राज्य के हालात पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. X पर उन्होंने लिखा है, ‘’ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ ऐसी अकल्पनीय घटनाएं अब लगभग रोज़ाना सामने आ रही हैं. इस तरह की घटनाओं का इतनी नियमितता से होना, शासन की गहरी प्रणालीगत विफलता को दर्शाता है. इससे पता चलता है कि वर्तमान सरकार के अधीन अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और उन्हें सज़ा का कोई डर नहीं है. सरकारी निष्क्रियता और राजनीतिक संरक्षण के चलते ओडिशा महिलाओं के लिए बेहद असुरक्षित बनता जा रहा है.’’  

उन्होंने आगे कहा, “क्या ओडिशा सरकार इस गहरी नींद से जागेगी और तेज़ी से कार्रवाई कर अपराधियों को गिरफ्तार करेगी? और उससे भी ज़रूरी सवाल यह है कि क्या सरकार इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी? ओडिशा की बेटियां और महिलाएं इसका जवाब चाहती हैं.’’  

भयावह हैं आंकड़े 

बीते 17 फरवरी को विधानसभा सत्र के दौरान खुद सीएम मोहन चरण  माझी ने बताया था कि ओडिशा में बलात्कार, चोरी, सेंधमारी और धोखाधड़ी जैसे अपराधों में 2023 की तुलना में 2024 में वृद्धि देखी गई है. 

कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद बहिनिपति के एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री की तरफ से विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, बलात्कार के मामलों में 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जहां 2023 में 2,826 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2024 में यह संख्या 3,054 तक पहुंच गई. इसमें 54 गैंगरेप के मामले शामिल हैं. 

सीएम माझी ने विधानसभा में अपराध की बढ़ती घटनाओं को सीधे स्वीकार नहीं किया था. उन्होने कहा था, "नई बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान कानून-व्यवस्था शांतिपूर्ण बनी रही. जून 2024 में सरकार के गठन के बाद हत्या, डकैती और लूट के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है."

वहीं राज्य में कुल दर्ज अपराधिक मामलों की संख्या 2023 में 1,99,954 थी जो 2024 में बढ़कर 2,14,113 हो गई. यह लगभग 7फीसदी की वृद्धि है. सीएम ने अपराधों की बढ़ती रिपोर्टिंग का कारण जनसंख्या वृद्धि, पारदर्शी एफआईआर प्रणाली और राज्य के तेज आर्थिक विकास को बताया था. 

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार ओडिशा में 2020 से 2024 के बीच सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के 2,783 मामले दर्ज हुए, जिनमें छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें अधिक थीं. इनमें से अकेले भुवनेश्वर में 1,341 मामले सामने आए. इसके अलावा, 2021 से 2024 के बीच 36,420 महिलाएं और 8,403 बच्चे लापता हुए. 

वहीं देशभर के आंकड़े भी कम भयावह नहीं हैं. बीते 4 दिसंबर 2024 को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री सावित्री ठाकुर की ओर से राज्य सभा में दिए गए एक जवाब के मुताबिक साल 2018 से लेकर 2022 तक में कुल 1,56,627 रेप के मामले दर्ज किए गए हैं. इसमें साल 2018 में 33,356, साल 2019 में 32,032, साल 2020 में 28,046, साल 2021 में 31,677 और साल 2022 में 31,516 मामले दर्ज हुए हैं. 

इसी आंकड़े में यह भी बताया गया है कि साल 2018-22 तक में कुल 20,925 नाबालिगों (18 साल से कम) के साथ रेप केस दर्ज हुए हैं. 

इस बीच बीते 19 जुलाई को सीएम मोहन माझी ने छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शक्तिश्री नामक पहल शुरू की है. इसके तहत मोबाइल एप, स्कूल-कॉलेज कैंपस की 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी, कैंपस की जांच के लिए सभी जिलों में पांच महिलाओं का दल तैनात होंगी. 

विपक्ष ने सीएम की दलील को खारिज किया 

बालासोर जिले के भोगराई से बीजेडी के विधायक गौतम बुद्ध दास  सीएम के इस तर्क को खारिज करते हैं, जिसमें वो कह रहे हैं कि मामले अधिक दर्ज हो रहे हैं, इसलिए आंकड़े अधिक दिख रहे हैं. दास दावा करते हैं, “मामले अधिक दर्ज नहीं हो रहे हैं, बल्कि रेप और गैंगरेप की घटनाएं अधिक घट रही हैं.’’ 

वे आगे यह भी जोड़ते हैं, “हर दिन तीन से अधिक ऐसी घटनाएं घट रही है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले में ओडिशा देश भर में टॉप 6 राज्यों में शामिल हो गया है.’’ दास एक घटना का जिक्र भी करते हैं और बताते हैं कि ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुबर दास के बेटे ने राजभवन के ओड़िया कर्मचारी के साथ मारपीट की थी. मामला दर्ज भी हुआ. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इससे अपराधियों को लगा कि बीजेपी में रहकर कुछ भी किया जा सकता है. 

वहीं महिला अधिकार कार्यकर्ता और आईना संस्था की सचिव स्नेहा मिश्रा भी रेप के बढ़ते मामलों को लेकर सीएम मोहन माझी के तर्क से सहमत नहीं दिखती. स्नेहा कहती हैं, “अगर पांच मामले दर्ज हो रहे हैं तो 15 मामले अभी भी दर्ज नहीं होते. लोग पुलिस के पास जाने में असहज हैं. राज्य में महिला और बाल आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्था में बीते आठ महीनों से अध्यक्ष नहीं है. वहां कोई काम नहीं हो रहा है.’’  

वहीं एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष की गिरफ्तारी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भक्त चरण दास ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों में किसी तरह का कोई कंप्रोमाइज नहीं कर रहे हैं. बीजेपी में भी बहुत नेता है जिनके बारे में ऐसी बातें हैं. अगर इनको खोदा जाए तो बहुत निकलेगा. सच्चाई ये है कि सरकार जस्टिस डिलिवर नहीं कर पा रही है.’’ दास यह भी बताते हैं कि पार्टी ने ऐसे मामलों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई है. जो एक-एक मामले की जांच करेगी. 

माझी सरकार के गठन अभी 12 जून को ही एक साल पूरा हुआ है और इस दौरान महिलाओं की सुरक्षा जुड़े मामले उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती बनते दिख रहे हैं. 

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