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उत्तर प्रदेश : निशाने पर क्यों हैं समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय

पीलीभीत में सरकारी जमीन पर चल रहे सपा के जिला कार्यालय के बारे में सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद पार्टी के दूसरे जिलों के दफ्तर भी जांच के घेरे में. मुरादाबाद में नजूल की जमीन पर चल रहे सपा जिला कार्यालय को खाली करवाने की प्रशासनिक कार्यवाही शुरू

Samajwadi Office in Muradabad district (UP)
मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी का ऑफिस
अपडेटेड 28 जुलाई , 2025

“क्या आपने कभी 115 रुपए मासिक किराए पर कार्यालय की जगह के बारे में सुना है. यह सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है.” सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने 21 जुलाई दिल्ली से करीब 350 किेलोमीटर दूर यूपी के पीलीभीत जिले में मौजूद समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यालय को लेकर यह तीखी टिप्पणी की थी.

सुप्रीम कोर्ट पीलीभीत नगरपालिका परिषद के बेदखली आदेश के खिलाफ समाजवादी पार्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही था. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने सपा की ओर से पेश सीनियर वकील सिद्धार्थ दवे से कहा कि यह धोखाधड़ी वाले आवंटन का मामला नहीं, बल्कि बाहुबल और सत्ता के दुरुपयोग से कब्जे का मामला है. 

दवे ने तर्क दिया था कि पीलीभीत में सपा कार्यालय के लिए किराया चुकाने के बावजूद अधिकारी उसको बेदखल करने पर अड़े हुए है. हालांकि कोर्ट ने सिद्धार्थ दवे की सारी दलीलें नकार दीं. इस कार्यालय को पीलीभीत नगर पालिका परिषद ने मार्च 2005 में एक सरकारी ईओ (अधिशासी अधिकारी) के आवास को 150 रुपए मासिक किराए पर सपा को 15 वर्ष तक के लिए आवंटित किया था. उस दौरान प्रदेश में पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री थे. तब सपा ने ईओ के आवास को पार्टी के जिला कार्यालय में तब्दील कर दिया था. पीलीभीत नगर पालिका परिषद ने सपा को कार्यालय की जगह आवंटि‍त करते हुए इसमें एक शर्त भी जोड़ी थी कि पार्टी अपने कार्यालय के लिए नया भवन बनवा लेगी तब अस्थाई भवन खाली कर देगी. 

यूपी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने पर 2018 में पीलीभीत के जिला कार्यालय को अनाधिकृत कब्जा मानते हुए इसे खाली कराने के प्रयास शुरू हुए. मामला स्थानीय कोर्ट से होता हुआ हाईकोर्ट पहुंचा और हाइकोर्ट ने आवंटन को नियम विरुद्ध करार देते हुए आवंटन रद कर दिया. नगर पालिका के पक्ष में हाईकोर्ट के आदेश के बाद 18 जून को प्रशासन ने भवन से सपा का कब्जा हटाकर उसे अपने कब्जे में ले लिया. 

इसके बाद सपा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन सबसे बड़ी अदालत ने सपा को कोई राहत नहीं दी और फटकार लगाई सो अलग. इसके बाद से कार्यालय के बहाने सपा सत्तारूढ़ बीजेपी के निशाने पर आ गई है. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक कहते हैं, “सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि सपा अपने कार्यालयों को बनाने के लिए जमीन, दुकान पर कब्जा कर रही है. ये बहुत ही निंदनीय कार्य है. जनता इनके कार्यों को समझ चुकी है. सपा जब-जब सत्ता में रही है, हमेशा जमीनों, दुकानों, मकानों पर कब्जा करना इनकी प्राथमिकता रही है.” 

हालांकि सपा नेता इस मामले में नगर पालिका परिषद पीलीभीत की चेयरमैन डा. आस्था अग्रवाल पर राजनीति के दबाव में काम करने का आरोप लगा रहे हैं. सपा नेताओं का कहना है कि पार्टी के पीलीभीत कार्यालय का किराया कानूनी ढंग से जमा कर रही है. ऐसे में कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद बेदखली की कार्रवाई करना न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना है. 

पीलीभीत में सरकारी भवन में चल रहे सपा कार्यालय पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद मुरादाबाद में सिविल लाइंस की कोठी नंबर चार भी जांच के घेरे में आ गई है. वर्ष 1994 में सपा सरकार के समय मुरादाबाद जिला प्रशासन ने शहर के बीचो-बीच चक्कर की मिलक (सिविल लाइंस्) स्थ‍ित 953.71 वर्ग मीटर की नजूल संपत्त‍ि को सपा को जिला कार्यालय के रूप में आवंटित किया था. मुरादाबाद के सिविल लाइंस इलाके में सपा के कार्यालय भवन के आवंटन के समय पार्टी के जिलाध्यक्ष भगवानदास शर्मा थे. महानगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी कन्हैया लाल के पास थी. 

जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद के इस भवन का उपयोग पूर्व में बिजली विभाग के अधिकारी करते थे और आवंटन के समय इसकी स्थिति काफी जर्जर थी. कुसुमलता यादव, जो उस समय सपा नेता और मुरादाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष थीं, ने नए आवंटित सपा कार्यालय की चाहरदीवारी, मंच, शौचालय और छत की मरम्मत में लाखों रुपए खर्च किए थे. यह सब बिना किसी तकनीकी स्वीकृति या प्रशासनिक अनुमति के किया गया था. 

कार्यालय तैयार होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उसका उद्घाटन किया था. उस वक्त इस कोठी का किराया 250 रुपए प्रतिमाह तय हुआ था. वर्ष 2024 में मुरादाबाद में सपा जिलाध्यक्ष रहे डी. पी. यादव ने पूरे वर्ष का किराया जमा कराया था. लेकिन उसके बाद से किराया जमा नहीं हुआ है. इस बीच किराया अब बढ़कर 900 रुपये प्रति माह हो गया है.

नगर निगम की हालिया कार्यवाही के दौरान जब पुराने नजूल मामलों की फाइलें खुलीं तब सिविल लाइंस इलाके की कोठी नंबर चार में चल रहे सपा कार्यलय का भवन भी जांच के घेरे में आया. सितंबर 2024 में नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल ने मुराबाद के जिलाधिकारी अनुज सिंह को पत्र लिखकर सपा कार्यालय की जमीन को खाली कराने की संस्तुति की. मुरादाबाद में नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक सपा कार्यालय को जमीन आवंटन की पूरी प्रक्रिया जिलाधिकारी को सूचित किए बिना ही संपन्न हुई थी जो स्वयं में प्रशासनिक प्रक्रिया का उल्लंघन है. भूमि का मौजूदा बाजार मूल्य करोड़ों में आंका जा रहा है जबकि बढ़ने के बाद भी सपा कार्यालय का किराया 900 रुपए प्रति माह है. 

मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने 28 मार्च को शासन को पत्र लिखकर सपा कार्यालय के बारे में दिशा-निर्देश मांगे थे. कोई जवाब न आने और इस बीच सुप्रीम कोर्ट के पीलीभीत में सपा कार्यालय को लेकर दिए गए निर्णय के बाद मुरादाबाद कमिश्नर ने शासन को अपने पूर्व के पत्र का रिमाइंडर भेजा है. मुरादाबाद की सपा सांसद रुचिवीरा बताती हैं, “मुरादाबाद में सपा कार्यालय का भवन शासन ने आवंटित किया था. इसमें जो भी निर्माण कार्य हुए थे उस पर पहले ही आपत्त‍ि उठाई जा सकती थी. पार्टी के पास आवंटन से जुड़े सारे कागजात है. इसके बावजूद यदि कोई दिक्क्त आती है तो पार्टी कोर्ट की शरण लेगी.” 

बताया जा रहा है कि प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात स्वयं इस तरह के मामलों की समीक्षा कर रहे हैं. मुरादाबाद के वरिष्ठ वकील अभिषेक कुमार बताते हैं “मुरादाबाद सपा कार्यालय पर शासन का निर्णय प्रदेश में सरकारी जमीन पर खुले राजनीतिक दलों के कार्यालयों की समीक्षा की शुरुआत कर सकता है.”

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