पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को जनसुराज पार्टी ने अपना पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है. उदय सिंह के नाम की घोषणा करते हुए पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा, “इस पार्टी को बनाने में एक बहुत बड़े साथी, मेरे बड़े भाई उदय जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, उनका साथ रहा है. वे आज विधिवत तौर पर, औपचारिक तौर पर इस परिवार का हिस्सा बन रहे हैं. जनसुराज की 150 सदस्यीय कोर समिति ने सर्वसम्मति से तय किया है कि वे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे.” मगर उदय सिंह के नाम की घोषणा के साथ ही लोगों के मन में कई सवाल उठने लगे हैं.
महज दस महीने पहले 29 जुलाई, 2024 को प्रशांत किशोर ने जब पार्टी बनाने की घोषणा की थी, तब उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी का पहला अध्यक्ष दलित जाति का कोई 'पढ़ा-लिखा काबिल' व्यक्ति होगा. उसके एक साल के कार्यकाल के बाद अगला अध्यक्ष अति पिछड़ी जाति का और उसके बाद अगला अध्यक्ष मुसलमान होगा. पार्टी ने दो अक्तूबर, 2024 को मनोज भारती को अपना कार्यकारी अध्यक्ष बनाया और प्रशांत किशोर ने उस मौके पर यह दुहराया कि उन्होंने अपना वादा पूरा किया है.
ऐसे में सवाल है कि उदय सिंह जो सवर्ण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, राजपूत जाति से आते हैं, को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने में क्या प्रशांत किशोर ने अपनी ही घोषणा की अनदेखी की है? कुछ सवाल और भी हैं, जैसे कि अब कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती की पार्टी में हैसियत क्या होगी? और महज बारहवीं तक शिक्षा पाने वाले उदय सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर उस नियम से थोड़ी छूट ली है कि उनका अध्यक्ष कोई पढ़ा-लिखा-काबिल व्यक्ति होगा?
19 मई, 2025 को जब प्रशांत किशोर उदय सिंह के नाम की घोषणा कर रहे थे तो उनका परिचय देते हुए कहा कि आईएएस-आईपीएस लोगों का कोई एक सबसे बड़ा परिवार होगा तो वह उदय जी का परिवार होगा. मगर वे इस बात को छिपा गये कि उन्होंने महज 12वीं तक की ही पढ़ाई की है, वह भी उसी डीपीएस आर.के.पुरम से जहां से राजद नेता तेजस्वी यादव ने नौवीं तक पढ़ाई की है और इस बात का जिक्र प्रशांत अपने संबोधनों में बारबार करते रहे हैं कि तेजस्वी कम पढ़े लिखे हैं.
कौन हैं उदय सिंह
उदय सिंह एक ऐसे परिवार से आते हैं, जहां कई लोग सिविल सेवा में रहे हैं. उनके पिता त्रिभुवन प्रसाद सिंह आईसीएस अफसर थे और वे देश के पहले वित्त सचिव रहे. उनके बड़े भाई एनके सिंह आईएएस अधिकारी, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य रहे हैं. उनकी मां माधुरी सिंह जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का करीबी माना जाता था, वे नब्बे के दशक में दो बार पूर्णिया की सांसद रह चुकी हैं. उनके नाना वीर नारायण चंद पूर्णिया के जिले के सबसे बड़े भू-स्वामी थे. उनके पास दस हजार एकड़ से अधिक जमीन थी. जाहिर सी बात है कि उदय सिंह का परिवार हर लिहाज से एक संपन्न परिवार रहा है.
मगर उदय सिंह ने पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान न देकर कारोबार और राजनीति को चुना. वे अपनी मां की तरह 2004 से 2014 के बीच दो बार पूर्णिया के सांसद रहे, दोनों बार बीजेपी की टिकट पर. 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद वे चुनाव हार गए और बाद में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली. 2019 में वे कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे, मगर वे फिर चुनाव हार गए. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
जनसुराज में बड़ी भूमिका रही उदय की
उदय सिंह, जनसुराज अभियान में काफी पहले से जुड़े हैं. एक इंटरव्यू में वे बताते हैं कि उनकी प्रशांत किशोर से 2019 में मुलाकात हुई थी, 2020-21 से उन्होंने प्रशांत किशोर और कई दूसरे लोगों ने मिलकर बिहार में एक विकल्प खड़ा करने का मन बनाया था. प्रशांत किशोर ने तब जनसुराज अभियान की अगुआई का दायित्व स्वीकार किया था. उन्होंने जागरूकता अभियान को लीड किया. उस वक्त यह सवाल उठा कि प्रशांत किशोर पटना में कहां ठहरेंगे, तब उदय सिंह ने अपने पारिवारिक बंगले शेखपुरा हाउस का एक हिस्सा उन्हें ठहरने के लिए दिया.
उदय सिंह कहते हैं, “जनसुराज अभियान की शुरुआत में ही मुझे लगने लगा था कि हमें राजनीतिक पार्टी का गठन करना होगा. जनुसराज नाम से कोई औऱ पार्टी न बना ले, इसलिए मैंने अपनी तरफ से जनसुराज पार्टी का नाम चुनाव आयोग के पास रजिस्ट्रेशन के लिए भेज दिया था. हालांकि इसमें एक साल लगा, मगर पार्टी का नाम रजिस्टर हो गया. जब तक पार्टी की औपचारिक घोषणा नहीं हुई, तब तक मेरे सहयोगी शरत कुमार मिश्रा जो कंपनी सेक्रेटरी भी हैं, पार्टी के अध्यक्ष रहे.”
बीपीएससी पेपर लीक को लेकर जब प्रशांत किशोर गांधी मैदान में अनशन पर बैठे थे, तब मीडिया में उनकी वैनिटी वैन की काफी चर्चा हुई थी. बाद में उदय सिंह ने स्वीकार किया कि यह वैनिटी वैन उनकी थी.
यह भी कहा जाता है कि जिस ज्वाय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन के जरिये जनसुराज के पेशेवर कार्यकर्ताओं को वेतन दिया जाता है, उसके निदेशक उदय सिंह और उनके सहयोगी शरत कुमार मिश्रा हैं. मगर उदय सिंह ऐसे दावों को नकारते हैं. हालांकि वे कहते हैं कि प्रशांत किशोर के अभियान में वे अपनी जमा-पूंजी लगा सकते हैं.
इन तथ्यों के आधार पर यह तो कहा ही जा सकता है कि उदय सिंह प्रशांत किशोर के सबसे करीबी लोगों में शामिल हैं.
प्रशांत किशोर ने क्यों ली अपने ही नियमों से छूट, अब क्या होगी मनोज भारती की भूमिका
इस सवाल पर कि उदय सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए नियमों को किनारे क्यों किया गया, इस बात का जनसुराज पार्टी की तरफ से कोई साफ जवाब नहीं मिलता. पार्टी के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष किशोर कुमार मुन्ना कहते हैं, “पहला अध्यक्ष दलित, दूसरा अति पिछड़ा वाला नियम प्रदेश अध्यक्षों के लिए बना था. इस लिहाज से मनोज भारती अध्यक्ष चुने गये. राष्ट्रीय अध्यक्ष के मामले में नियम उलटा हो गया है.”
हालांकि मनोज भारती तो कार्यकारी अध्यक्ष थे, प्रदेश अध्यक्ष कब बने? यह पूछने पर मुन्ना कहते हैं, “वे प्रदेश अध्यक्ष ही थे.” पार्टी के प्रवक्ता विवेक भी कहते हैं कि मनोज भारती प्रदेश अध्यक्ष ही थे. हालांकि वे कहते हैं, “नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. चूंकि अभी प्रशांत किशोर को 140 दिनों की लंबी यात्रा पर निकलना है, तो ऐसे में पार्टी की कमान सबसे अनुभवी व्यक्ति के हाथों में दी गई है. हमें यह भी ध्यान देना होगा कि कुछ ही महीनों बाद चुनाव हैं.”
हालांकि वे साफ नहीं कहते, मगर उनकी बातों से जाहिर है कि चुनाव और दूसरी वजहों से पार्टी ने इन नियमों में ढील दी है और अभी चुनाव जीतने को अपनी प्राथमिकता बना रही है.
जब प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव के नौवीं फेल होने पर उनकी आलोचना करते थे, तो उन्होंने अपना अध्यक्ष महज 12वीं पास व्यक्ति को क्यों बनाया, इसका भी दोनों में से कोई साफ जवाब नहीं देते.
बढ़ गई है जनसुराज की सक्रियता
कुछ महीनों से सुस्त पड़ी जनसुराज पार्टी की गतिविधियां हाल के दिनों में काफी बढ़ गई हैं. 18 मई को नीतीश के करीबी आरसीपी सिंह जो जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, ने अपनी पार्टी आसा का विलय जनसुराज में कर दिया है. उसी रोज बदलाव का हस्ताक्षर अभियान शुरू करने प्रशांत किशोर अपने काफिले के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गांव कल्याण बिगहा जा रहे थे, मगर रास्ते में ही उन्हें रोक दिया गया. 20 मई से वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताब दियारा से अपनी बिहार बदलाव यात्रा शुरू कर रहे हैं. विवेक बताते हैं कि आने वाले दिनों में ऐसी कई खबरें जनसुराज की तरफ मिलेंगी.