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मैथिली ठाकुर को चुनौती देने वाले संजय सिंह कौन हैं, जिन्हें मनाने में BJP को पूरी ताकत झोंकनी पड़ी!

मैथिली ठाकुर की सेलिब्रिटी अपील को पूरे बिहार में भुनाने की रणनीति बना रही BJP को खुद उनकी राह आसान बनाने के लिए पूरी ताकत झोंकनी पड़ी, ऐसे में टिकट बांटने को लेकर पार्टी की तैयारी पर सवाल उठ रहे हैं

अलीनगर के BJP नेता संजय सिंह ने पार्टी उम्मीदवार मैथिली ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा की थी
अलीनगर के BJP नेता संजय सिंह ने पार्टी उम्मीदवार मैथिली ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा की थी
अपडेटेड 17 अक्टूबर , 2025

"अगर मैथिली ठाकुर अपना संगीत का करियर छोड़कर तय कर लें कि वे सिर्फ और सिर्फ अलीनगर की जनता की सेवा करेंगी, यहां अपना घर बना लेंगी. तो मैं अपना चुनाव लड़ने का फैसला वापस ले लूंगा. यहां के लोग बाहरी उम्मीदवार बिल्कुल नहीं चाहते." 

BJP नेता संजय कुमार सिंह उर्फ पप्पू ने इंडिया टुडे से फोन पर बातचीत में जब यह कहा तो एक तरह से यह तय हो चुका था कि वे अलीनगर में अपनी ही पार्टी की उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़कर रहेंगे.

BJP ने अलीनगर से चर्चित युवा लोकगायिका मैथिली ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि 16 अक्टूबर को संजय ने चुनाव लड़ने का फैसला वापस ले लिया. यह BJP के लिए बड़ी राहत की बात रही. दरअसल अलीनगर की स्थानीय राजनीति समझने वाले लोगों के मुताबिक अगर संजय चुनाव लड़ते तो मैथिली न सिर्फ चुनाव हार जाएगीं, बल्कि मुकाबले से भी बाहर हो जातीं.

संजय कुमार सिंह के बारे में स्थानीय पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक नवेंदु कहते हैं, "दरभंगा जिले में दो राजनेता ऐसे हैं, जिनकी मतदाताओं पर जबरदस्त पकड़ है. एक दरभंगा के विधायक संजय सरावगी हैं और दूसरे अलीनगर के संजय. कभी RJD नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के दाएं हाथ माने जाने वाले संजय फिलहाल दरभंगा के BJP सांसद गोपाल जी ठाकुर के क्राउड पुलर (राजनीतिक आयोजनों में भीड़ जुटाने वाले)  हैं. वे बारहों महीने, चौबीसों घंटे अपने क्षेत्र की जनता के लिए सक्रिय रहते हैं. हर जरूरतमंद के लिए पैसों से और अपनी पहुंच से मदद के लिए तैयार. ऐसे में BJP ने यहां से उनका टिकट काट कर बड़ी गलती की है." 

अलीनगर मैथिली ननिहाल है. उन्हें यहां से टिकट मिलने की एक और वजह बताते हुए नवेंदु कहते हैं कि इस बहाने से BJP के कुछ नेता गोपाल जी ठाकुर को भी कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. 

मैथिली ठाकुर का घर बेनीपट्टी विधानसभा के अंतर्गत आता है, जो मधुबनी जिले में पड़ता है. मगर पार्टी ने उन्हें दरभंगा जिले के अलीनगर से टिकट दिया, जहां उनकी जाति यानी ब्राह्मणों की आबादी तो अच्छी है, मगर यादव और मुस्लिम भी लगभग उतनी ही संख्या में हैं. इसलिए यहां से चुनाव लड़कर RJD के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी चुनाव जीतते रहे हैं. हालांकि पिछले चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मिश्रीलाल यादव ने चुनाव जीता जो बाद में BJP में शामिल हो गए.

जैसे ही अलीनगर से मैथिली ठाकुर को टिकट दिए जाने की घोषणा हुई, यहां BJP कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध शुरू कर दिया. विधानसभा के सभी सात मंडलों के अध्यक्ष उनके खिलाफ हो गए. बैठकों के दौर शुरू हो गए और यह तय हुआ कि संजय यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने 17 अक्टूबर को नामांकन भरने की घोषणा भी कर दी.

तब उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा था, "पार्टी में कुछ लोग बिहार में खुद को सुप्रीम पावर मानते हैं, वे अलीनगर में पार्टी संगठन को बर्बाद करना चाहते हैं. यहां पार्टी का संगठन था नहीं, नए परिसीमन के बाद कभी यहां से BJP चुनाव नहीं जीती, पिछले चुनाव में मिश्रीलाल यादव VIP के टिकट पर चुनाव जीते थे. यहां पार्टी के संगठन को हमलोगों ने खड़ा किया है. अब जब संगठन मजबूत हो गया है तो इसे तोड़ने की कोशिश हो रही है, इसलिए हमलोगों को दर्द हो रहा है. मैथिली तो खुद बेनीपट्टी से लड़ना चाहती थीं, उन्हें यहां क्यों लाया गया?"

इस बीच 16 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री और BJP के वरिष्ठ नेता अमित शाह 'आजतक' के कार्यक्रम में भाग लेने पटना पहुंचे.  इस दौरान उनकी संजय से मुलाकात हुई, इसके बाद ही उन्होंने अपना फैसला बदल लिया.  संजय ने सोशल मीडिया पर लिखा, "प्रिय साथियो, कल देर रात मुझे देश के गृहमंत्री अमित शाह जी ने पटना बुलाया. बैठक में धर्मेंद्र प्रधान और सम्राट चौधरी जी भी मौजूद थे. मैंने अलीनगर के हित में एवं हिंदुत्व की आत्मरक्षा व मान मर्यादाओं को बचाए रखने के लिए यह फैसला लिया है कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा और संगठन के साथ हूं. इसी कारण मेरा नामांकन कार्यक्रम स्थगित किया गया है."

हालांकि एक दिन पहले इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा था, "अगर हम इन्हें (मैथिली ठाकुर) सहयोग करें और ये जीतकर चली जाएं तो काम तो ये करेंगी नहीं, क्योंकि इनका मूल पेशा संगीत है. ये कार्यक्रमों में व्यस्त रहेंगी. फिर गालियां तो मुझे ही सुननी पड़ेंगी." मगर अमित शाह के कहने पर न सिर्फ उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला वापस लिया बल्कि मैथिली के सहयोग के लिए अपनी टीम की बैठक भी बुला ली है.

अमित शाह के दखल के बाद अलीनगर में मैथिली की राह कुछ आसान जरूर हुई मगर यह प्रकरण BJP के लिए कई सवाल छोड़ गया. पार्टी ने मैथिली ठाकुर के सेलिब्रिटी स्टेट्स के जरिए बिहार में पार्टी को बढ़त दिलाने की योजना बनाई थी, मगर खुद उनकी सीट बचाने के लिए पार्टी को अपनी पूरी ताकत झोंकनी पड़ी.

अलीनगर सीट पर सिटिंग विधायक BJP के ही मिश्रीलाल यादव थे. मैथिली के उम्मीदवार बनने से उन्हें भी बड़ा झटका लगा.  उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "अब मेरे लिए BJP की प्रतिष्ठा को बचाना मुश्किल हो गया है. आज लोकप्रियता जीत गई और संघर्ष हार गया." वे पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं.

इस पूरे घटनाक्रम से ये सवाल भी उठते हैं कि पार्टियां क्यों अपने स्थानीय कार्यकर्ता के ऊपर किसी सेलिब्रिटी को तरजीह देती हैं? वे अपने स्थानीय नेता-कार्यकर्ताओं की ताकत की उपेक्षा क्यों करती हैं.

खबर है कि संजय कुमार सिंह के साथ-साथ अमित शाह ने बिहार के दर्जनभर ऐसे BJP नेताओं से मुलाकात की है, जो टिकट के फैसले के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना चुके थे. ये उदाहरण बताते हैं कि टिकट के बंटवारे में कुछ न कुछ गड़बड़ियां तो हुई हैं और BJP के लिए विपक्षी उम्मीदवारों के साथ अभी घर को संभालना भी चुनौती बना हुआ है.

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