करीब तीन वर्ष के इंतजार के बाद 13 जून, 2023 को वह घड़ी आई जब उत्तर प्रदेश संगीत अकादमी के वर्ष 2020 का पुरस्कार वितरण समारोह राजभवन के गांधी सभागार में आयोजित किया गया. इस मौके पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने नाट्य निर्देशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाल डॉ. चंद्रप्रकाश और वाराणसी के हनुमान मंदिर के महंत प्रो. विशम्भरनाथ समेत 18 विभूतियों को ताम्रपत्र एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया.
पुरस्कार वितरण में देरी से कई सम्मान प्राप्त विद्वान उत्साहित नहीं थे. इन्हीं पुरस्कारों में अकादमी रत्न सदस्यता पुरस्कार रंग समीक्षक कुंवरजी अग्रवाल को दिया गया जिनका निधन वर्ष 2022 में हो गया था. कुंवर जी के बेटे आलोक अग्रवाल ने पुरस्कार ग्रहण किया. पुरस्कार वितरण के बाद अनौपचारिक बातचीत में आलोक की पीड़ा साफ जाहिर हुई. आलोक का कहना था कि अगर समय पर यूपी संगीत अकादमी के पुरस्कार बंट गए होते तो उनके पिता स्वयं मंच पर आकर उसे ग्रहण करते.
पुरस्कार वितरण समारोह में कई विद्वानों ने राज्यपाल के सामने यूपी संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कारों में होने वाली देरी का मुद्दा उठाया था. उसके बाद ऐसा प्रतीत हुआ था कि यूपी संगीत नाटक अकादमी अपने रुके हुए पुरस्कारों की फौरन घोषणा कर लेट-लतीफी के आरोपों से पीछा छुड़ा लेगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों की घोषणा वर्ष 2021 से नहीं हुई है. वर्ष 2020 में जो आवेदन किए गए थे, तीन साल बाद वर्ष 2023 में उन आवेदनों के आधार पर विद्वानों का चयन कर पुरस्कार बांटे गए थे. संगीत नाटक अकादमी शास्त्रीय, लोकसंगीत और नाट्य विधा में उल्लेखनीय कार्य करने वाली 11 विभूतियों को अकादमी पुरस्कार से नवाजती है. इसमें पुरस्कार राशि 10 हजार रुपए है. नाटक के क्षेत्र में अतिउल्लेखनीय कार्य करने वाले को “सफदर हाशमी पुरस्कार” दिया जाता है जिसकी राशि 10 हजार रुपए है. नाटक के क्षेत्र में ही विशेष कार्य करने वाली विभूति को “बी. एम. शाह पुरस्कार” दिया जाता है. इस पुरस्कार की राशि 25 हजार रुपए है. विविध क्षेत्रों के प्रतिष्ठित कलाकारों को “अकादमी रत्न सदस्यता पुरस्कार” प्रदान किया जाता है. ये पुरस्कार ऐसे कलाकारों को दिए जाते रहे हैं जो प्रदेश में जन्मे हों या फिर जिनका कार्यक्षेत्र प्रदेश में 10 या अधिक वर्ष का रहा हो.
चार साल के पुरस्कारों का वितरण न होने की वजह यूपी संगीत नाटक अकादमी के निदेशक शोभित कुमार नाहर अकादमी की कमेटी का समय पर गठन नहीं होने को ठहराते हैं. पिछले वर्ष 7 सितंबर को काफी समय से खाली चल रहे यूपी संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद पर प्रयागराज के प्रो. जयंत खोत और उपाध्यक्ष पर लखीमपुर खीरी की विभा सिंह को मनोनीत किया गया था. इसके अलावा अकादमी के 12 सदस्यों की भी घोषणा की गई थी. शोभित कुमार नाहर बताते हैं “कमेटी के गठन के बाद अकादमी के पुरस्कारों के लिए प्रक्रिया शुरू हो रही है. जल्द ही आवेदन मांगे जाएंगे. वर्ष 2021 से लेकर 2024 तक के पुरस्कारों की घोषणा एक साथ की जाएगी. उम्मीद है कि अगस्त तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.” इस तरह चार वर्षों के पुरस्कार एक साथ बांटने की तैयारी है.
उप्र संगीत नाटक अकादमी की ओर से पुरस्कारों के कई वर्षों तक न बांटे जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी लंबे समय बाद वर्ष 2009 से लेकर 2018 तक के अकादमी पुरस्कार एक साथ बांटे गए थे.
यूपी संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार में मिलने वाली धनराशि के बेहद कम होने से भी कलाकार और विद्वान खुश नहीं है. उप्र संगीत नाटक अकादमी की ओर से प्रतिष्ठित पुरस्कार (बी. एम. शाह पुरस्कार को छोडकर) के तहत सिर्फ 10 हजार रुपये, ताम्रपत्र व अंगवस्त्र दिया जाता है. वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. अनिल रस्तोगी व अन्य कई वरिष्ठ कलाकारों ने भी पुरस्कार राशि बढ़ाने की मांग अकादमी से की, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. अनिल रस्तोगी के मुताबिक उन्हें वर्ष 1984 में जब अकादमी पुरस्कार दिया गया था, तब पुरस्कार राशि सिर्फ पांच हजार थी. रस्तोगी मांग करते हैं कि वर्तमान में यह पुरस्कार राशि कम से कम 51 हजार होनी चाहिए. पुरस्कार राशि बेहद कम होने के सवाल पर संगीत नाटक अकादमी के निदेशक शोभित कुमार नाहर बताते हैं “पुरस्कार राशि में बढ़ोतरी के लिए शासन को पत्र लिखा गया है. वहां से अनुमति मिलते ही पुरस्कार राशि में बढ़ोतरी की जा सकेगी.”
राज्य में संगीत, नृत्य एवं नाट्य कला को समन्वित करने और उसका विकास करने के लिए 13 नवम्बर 1963 को “उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी” की स्थापना की गई थी. प्रदेश की प्रदर्शनकारी कलाओं के उन्नयन, प्रचार एवं परिरक्षण हेतु प्रदेश सरकार ने जब इसकी स्थापना की थी तब इसे “उत्तर प्रदेश नाट्य भारती” का नाम दिया गया था, जिसे 02 सितम्बर 1969 में “उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी” का वर्तमान नाम मिला.