दिल्ली प्रदेश की सत्ता में तकरीबन 25 साल का वनवास खत्म करने के लक्ष्य के साथ विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने उम्मीदवारों के चयन में इस बार अलग रणनीति अपनाने की योजना पर काम कर रही है. एक दशक से दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के मुकाबले कोई मजबूत चेहरा नहीं होने की स्थिति में बीजेपी मजबूत उम्मीदवारों के सहारे अपनी नैया पार लगाने की उम्मीद कर रही है.
प्रदेश बीजेपी के नेताओं की मानें तो संगठन के अंदर बहुत गंभीरता से यह बात चली कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को आगे करके विधानसभा चुनाव में उतरा जाए. इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि एक तो वे महिला हैं, इस नाते प्रदेश की महिला मुख्यमंत्री आतिशी के मुकाबले वे एक प्रभावी विकल्प साबित हो सकती हैं. दूसरा तर्क यह दिया गया कि स्मृति आप के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल को उनकी ही भाषा में जवाब देने में सक्षम हैं.
लेकिन प्रदेश बीजेपी की तरफ से जो फीडबैक पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा है, उसके बाद इस बात की संभावना काफी कम है कि बीजेपी अपने किसी चेहरे को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके चुनावी मैदान में उतरे.
ऐसे में बीजेपी में अब प्रदेश स्तर पर यह रणनीति बनाई जा रही है कि आप के उम्मीदवारों को घेरा जाए. प्रदेश बीजेपी के एक पदाधिकारी इस बारे में बताते हैं, "आप कई ऐसे चेहरों के साथ विधानसभा चुनाव में उतर रही है जो पिछले दस सालों से अपने क्षेत्र के विधायक हैं. ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि हम उम्मीदवारों के रूप में ऐसे विकल्प लोगों के सामने रखें कि वे आप विधायक से नाराज होने की स्थिति में हमारे उम्मीदवार को एक मजबूत विकल्प के तौर पर देख सकें."
तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि बीजेपी किसी भी बड़े नेता को केजरीवाल के मुकाबले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं घोषित करेगी? जवाब में वे कहते हैं, "इस बारे में निर्णय पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को करना है. मैं बस इतना बता सकता हूं कि जैसे कोई भी चुनाव जीतने के लिए पार्टी कई रणनीतियां अपनाती है, उसी तरह से दिल्ली में भी अलग-अलग रणनीति अपनाई जाएगी. अपने वरिष्ठ नेताओं और पुराने दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारना, इन्हीं रणनीतियों में से एक है."
इस कड़ी में पार्टी कुछ पूर्व सांसदों और बीते कुछ सालों में नजरअंदाज किए गए वरिष्ठ नेताओं को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के दिल्ली के सात सांसदों में से सिर्फ मनोज तिवारी को ही टिकट दिया गया और बाकी छह का टिकट काट दिया था. पूर्वी दिल्ली के सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बन गए और अब वे राजनीति में नहीं हैं. इसी तरह से उदित राज ने पार्टी छोड़ दी. हंसराज हंस पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़े थे.
विधानसभा चुनाव में तीन पूर्व सांसदों को उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा बीजेपी के अंदर चल रही है. इनमें सबसे आगे पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे और पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा का नाम है. वहीं नई दिल्ली से सांसद रहीं और पूर्व केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी को भी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है. पूर्व सांसद रमेश विधूड़ी को भी उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पार्टी में बात चल रही है. विधूड़ी और लेखी में से किसी एक को पार्टी दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कालकाजी विधानसभा सीट पर उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि, मीनाक्षी लेखी का नाम ग्रेटर कैलाश में दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज के खिलाफ उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर भी चल रहा है.
चर्चा तो पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी उम्मीदवार बनाने की है. पार्टी का एक तबका ऐसा है जो यह चाहता है कि नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया जाए.
इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना के बेटे हरीश खुराना को भी बीजेपी इस बार टिकट दे सकती है. अभी वे प्रदेश बीजेपी के सचिव हैं. हरीश खुराना मोती नगर विधानसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं. दिल्ली की मेयर रहीं वरिष्ठ बीजेपी नेता आरती मेहरा को भी उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर बातचीत चल रही है. इसी तरह से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे सतीश उपाध्याय को भी पार्टी टिकट देने पर विचार कर रही है. उपाध्याय मालवीय नगर सीट पर उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं.
इसी तरह से पूर्व राज्यसभा सांसद दुष्यंत गौतम को करोल बाग सीट पर बीजेपी उतार सकती है. आप छोड़कर बीजेपी में आए दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद पटेल नगर से पार्टी के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं.
तो क्या ये बड़े और कभी दिग्गजों में शुमार किए जाने वाले नेता 'आप' के मुकाबले बीजेपी को चुनावी मुकाबले में खड़ा कर पाएंगे? प्रदेश बीजेपी के एक नेता कहते हैं, "लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद क्या कोई उम्मीद कर रहा था कि हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी को सबसे बड़ी जीत मिलेगी. दिल्ली में भी आप के समर्थक यह दावा कर रहे हैं कि उनके पक्ष में माहौल है. पार्टी में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो यह मानता है कि पुराने दिग्गज अगर चुनावी मैदान में उतरेंगे तो उससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं को मजबूती मिलेगी. इनमें कुछ ऐसे नाम भी हैं जिनके पिता बड़े नेता रहे थे और इसका फायदा इन उम्मीदवारों और पार्टी को मिल सकता है."
चर्चा है कि संसद का मॉनसून सत्र खत्म होते ही बीजेपी अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करेगी. 70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भगवा पार्टी अपनी पहली सूची में तकरीबन 40 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर सकती है. दिल्ली में विधानसभा चुनाव जनवरी-फरवरी, 2025 में प्रस्तावित हैं.