16 दिसंबर को चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के उन मतदाताओं के नामों की सूची अपनी वेबसाइट पर जारी की है, जिन्हें 2026 के ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल से हटा दिया गया है.
चुनाव आयोग का कहना है कि ये नाम 2025 की मतदाता सूची में थे, लेकिन अब इन्हें बाहर कर दिया गया है. यह कदम स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR 2026 के तहत उठाया गया है.
मतदाता सूची से कितने लोगों के नाम हटाए जा रहे
आयोग के मुताबिक, 58 लाख से ज्यादा SIR फॉर्म 'अनकलेक्टेबल' पाए गए, यानी इन्हें जमा नहीं किया जा सका या सत्यापन नहीं हो सका है. इसके बाद ही चुनाव आयोग ने इन नामों को हटाने का फैसला किया है.
आयोग का कहना है कि मतदाता सूची से इन नामों को हटाने की वजहें साफ हैं. कई मतदाता अपने दर्ज पते पर नहीं मिले, कुछ स्थायी रूप से कहीं और शिफ्ट हो गए, तो कुछ की मौत हो चुकी है. इसके अलावा, कुछ नाम एक से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में पाए गए, जिन्हें हटाने का फैसला किया गया.
तीन चरणों वाली SIR का दूसरा चरण फरवरी तक जारी रहेगा
पश्चिम बंगाल में तीन चरणों में होने वाले SIR का पहला चरण इस मसौदे के जारी होने के साथ ही समाप्त हो गया है. दावों, आपत्तियों और सुनवाई से संबंधित एक और भी चुनौतीपूर्ण कार्य शुरू हो गया है. दूसरा चरण फरवरी 2026 तक जारी रहेगा. अंतिम मतदाता सूची पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले 14 फरवरी, 2026 को प्रकाशित की जाएगी.
24 लाख लोग मृत पाए गए, 19 लाख दूसरे जगह गए
चुनाव आयोग के जारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल 58,20,898 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने के लिए चिह्नित किए गए हैं. इनमें से करीब 24,16,852 मतदाता मृत पाए गए हैं. इसके अलावा, 19,88,076 मतदाता ऐसे हैं, जो या तो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं या दूसरे देश चले गए हैं.
12,20,038 मतदाताओं को लापता बताया गया है, जबकि 1,38,328 नामों को डुप्लिकेट या गलत बताया गया है. इसी तरह अन्य कारणों से 57,604 नामों को हटाने का फैसला किया गया है. हालांकि, जिन लोगों को छूट दी गई है, वे फॉर्म 6 में सहायक दस्तावेजों के साथ अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं.
वोटर लिस्ट से नाम गायब होने पर क्या करें?
जिन लोगों का नाम लिस्ट में नहीं शामिल हुआ है, वे 16 दिसंबर 2025 से 15 जनवरी 2026 तक दावा कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें फॉर्म 6 भरना होगा और साथ में डिक्लेरेशन फॉर्म और जरूरी दस्तावेज अटैच करना होगा.
दस्तावेज में आधार, पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट या पुराने दस्तावेज जमा कर सकते हैं. ये फॉर्म BLO के पास या ऑनलाइन voters.eci.gov.in पर अपलोड कर सकते हैं. इसके बाद आयोग सुनवाई करेगा. आप मौजूद होकर बताएं कि नाम क्यों नहीं लिंक हो पाया. सही पाए जाने पर नाम जोड़ा जाएगा.
अब तक पूरी तरह से विवादों में घिरी रही है SIR प्रक्रिया
बंगाल में 4 दिसंबर को शुरू होकर 11 दिसंबर को समाप्त हुए मतदान केंद्र (SIR) अभियान के दौरान कर्मचारियों को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं बूथ स्तर के अधिकारियों (BLO) ने भी सख्त समयसीमा और काम के दबाव को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश भर में मतदाता सूची से अपात्र नामों को हटाने के लिए चलाए जा रहे इस अभियान के दौरान लगभग 40 चुनाव अधिकारियों की मौत हो चुकी है. TMC ने इस मौत के लिए BJP को जिम्मेदार बताया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने SIR प्रक्रिया का पुरजोर विरोध करते हुए BJP और चुनाव आयोग पर विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसी को भी बंगाल से बेदखल नहीं करने देगी. TMC ने लोगों से आह्वान किया कि अगर उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाते हैं तो वे सड़कों पर उतरें.
ममता ने एक चुनावी रैली में कहा, "अगर आपका नाम मतदाता सूची से हटाया जाता है, तो केंद्र सरकार का नाम भी हटा देना चाहिए." दूसरी ओर, BJP ने आरोप लगाया है कि SIR के खिलाफ ममता बनर्जी का आक्रोश पूरी तरह से अवैध अप्रवासियों से बने अपने वोट बैंक की रक्षा करने के लिए है.
पश्चिम बंगाल के अलावा किन राज्यों में चल रही है SIR प्रक्रिया?
बंगाल के अलावा, SIR प्रक्रिया अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में भी चल रही है.

