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ग्राउंड रिपोर्ट : वोटर अधिकार यात्रा के आखिरी दिन क्या-क्या हुआ; राहुल गांधी ने क्यों कही 'हाइड्रोजन बम' की बात?

पिछले 16 दिनों से बिहार में चल रही इंडिया गठबंधन की 'वोटर अधिकार यात्रा' एक सितंबर को पटना के गांधी के मैदान में खत्म हो गई

वोटर अधिकार यात्रा के समापन के मौके पर सभा को संबोधित करते राहुल गांधी
अपडेटेड 1 सितंबर , 2025

पटना में 'वोटर अधिकार यात्रा' के आखिरी दिन के आयोजन में वैसे तो बिहार में इंडिया गठबंधन से जुड़े सभी दलों के कार्यकर्ता थे. मगर कुछ ऐसे लोग भी इस आयोजन में भाग लेने पहुंचे थे, जिनकी वहां होने की उम्मीद नहीं थी. राजनीतिक पार्टियों की नारेबाजी के बीच एक और समूह पूरी ताकत से ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ का नारा लगा रहा था.

वह समूह ग्राम रक्षा दल के जवानों का था, जिन्हें खाकी वर्दी में यह नारे लगाते देखकर हैरत हुई. इस दल के साथ आए देवेंद्र कुमार ने कहा, “बिहार सरकार के आगे अपनी मांग रख-रख कर हम थक गए हैं, अब हम इस मार्च में भाग लेने इसलिए आए हैं कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को हमारा मुद्दा समझ आए और वे हमारी बात को मजबूती से उठाएं.”

इसके साथ ही दरभंगा के प्रसिद्ध कुशेश्वर स्थान के पुजारियों का एक दल इस मार्च में शंख ध्वनि करने पहुंचा था. इस दल के एक प्रमुख पुजारी अजय यादव से जब इंडिया टुडे ने यह पूछा कि ऐसा माना जाता है कि देश के संत और पुजारी बीजेपी के साथ हैं, आप कैसे कांग्रेस और राजद के इस मार्च में शामिल होने इतनी दूर आ गए तो वे कहते हैं, “जो समाज कल्याण करे, हम उसके साथ हैं. बीजेपी में चोर नहीं है? साधु बनकर डाका डालने वाले हैं. और हम हिंदू और मुसलमान में भेद नहीं करते. गांधी बाबा की तरह हम भी मानते हैं, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हम सब हैं भाई-भाई.”

एक सितंबर की सुबह से पटना शहर में और गांधी मैदान में जुटे लोगों की भीड़ में ये दो उदाहरण खास तौर पर इसलिए महत्वपूर्ण थे, क्योंकि ये न राजनीतिक कार्यकर्ता थे और न ही किसी टिकटार्थी द्वारा लाए गए थे.    

पिछले 16 दिन से बिहार में चल रही इंडिया गठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार के मतदाताओं पर कैसा असर छोड़ा है, यह समझने के लिए राज्य के राजनीतिक विश्लेषक इस समापन समारोह पर पैनी नजर गड़ाए हुए थे. क्योंकि 16 दिन की यात्रा के बाद जो भीड़ पटना पहुंची और उसने जैसी प्रतिक्रिया दी उसी से इस यात्रा का असर तय होना था. लोगों के मन में कई सवाल थे और हैं. ये सवाल हैं :

क्या वोटर राहुल गांधी के इस मुद्दे से कनेक्ट कर रहे हैं? क्या वोट चोरी का नारा लोगों को छू रहा है? यह मुद्दा बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को कितना प्रभावित करेगा? क्या इस मुहिम में इंडिया गठबंधन के सभी दल पूरी ताकत से शामिल हैं और क्या इंडिया गठबंधन आने वाले दिनों में इस मुद्दे के साथ रोजगार, अपराध, पलायन जैसे दूसरे मुद्दे को भी जोड़ेगा? 

बिहार की राजनीति का हृदय माने-जाने वाले गांधी मैदान में इस समापन मार्च को लेकर पिछली रात से ही राजद, कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी पार्टी के समर्थक जुटने लगे थे. सुबह जब मार्च का समय हुआ तो इस मैदान से लेकर पटना की दूसरी सड़कों तक पर अलग-अलग पार्टियों के अलग-अलग रंग के झंडे दिखे, अलग-अलग तरह के नारों के साथ. बस इन तमाम नारों में एक नारा कॉमन था, ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’. इस नारे के पोस्टर और बैनर भी बने थे और गाने भी बज रहे थे. समय से आधा-पौन घंटे की देरी पर राहुल गांधी पहुंचे और यात्रा शुरू हुई.

यात्रा से पहले गांधी मैदान में जुटे अलग-अलग पार्टी के समर्थकों से हमने बातचीत की. ये बिहार के लगभग सभी इलाकों से आए थे. चुनाव होने की वजह से संभावित उम्मीदवारों के साथ ये आए थे. अगर पार्टी के नेताओं को छोड़ दें तो सामान्य कार्यकर्ताओं में अमूमन मुद्दों की समझ कम थी. कोई वोट चोरी को ईवीएम की गड़बड़ी से जोड़ रहा था तो कोई उसे विकास न होने की वजह बता रहा था. मगर अमूमन सभी लोग यह मानकर चल रहे थे कि वोटों को लेकर गड़बड़ी हो रही है, इसलिए उनकी पार्टी जीतते-जीतते हार रही है. वे राहुल गांधी के खुलासे के बारे में नहीं जान रहे थे. मगर राहुल और तेजस्वी को नेता के रूप में पसंद कर रहे थे.

शेखपुरा के बरबीघा से युवक उपेंद्र कुमार एक टिकटार्थी नेता के साथ यहां आए थे. कहने लगे, "वोट का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा है. एक वोट से सरकार गिर जाती है. इसलिए सरकार बनाना है तो वोट की लड़ाई लड़नी होगी." उनके साथ आए अजय सिंह अपने इलाके के बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह को याद करने लगे. फिर कहने लगे, “वोट का चोरी रोकना है, वोट चोर की नाकेबंदी कर देना है." जब हमने पूछा कि वोट चोरी कैसे हो रही है, तो वे कहने लगे, "पहले बैलेट पर वोट होता था, अब ईवीएम मशीन आ गई है. वोट कहीं पर डालिए, चल जाता है कहीं पर."

वहीं पश्चिमी चंपारण से लंबी दूरी तय कर देर रात पटना पहुंचे रईफुल मियां जिनके हाथ में लाल झंडा था, कहने लगे, “वोट चोरी तो जरूरी मुद्दा है, हर बार हमलोग चुनाव लड़ते हैं और जीतते-जीतते हार जाते हैं.” मगर गया से आईं प्यारी देवी बस इतना कह रही थी कि भाकपा माले की रैली है और वे भाकपा माले को वोट देंगी. हालांकि वे राहुल गांधी को पहचानने लगी थीं.

सहरसा से आए युवा गौरव भी बीती रात ही पटना पहुंच गए थे. कहने लगे, “वोट चोरी होने से हमलोगों का विकास नहीं हो रहा है.” वे राहुल, तेजस्वी और मुकेश सहनी को पहचान रहे थे और उनकी तारीफ कर रहे थे, मगर दीपांकर को पहचान नहीं पा रहे थे.

वहीं लाल झंडा लिए खैनी बना रहे बेतिया के जगन्नाथ प्रसाद जो अपने नेता चांदसी प्रसाद यादव के साथ आए थे. कहने लगे, “राहुल गांधी को विदा करने आए हैं, 16 दिन बिहार घूमे हैं.” नेता के तौर पर उन्हें राहुल पसंद आए. 

किशनगंज से आए नौजवान मो. शादाब ने कहा, “आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोट चोरी कर रहे हैं और उसके खिलाफ राहुल गांधी ने यात्रा निकाली है. उनके संघर्ष और हम कदम पर साथ देने हम यहां आए हैं. राहुल गांधी साबित करने वाले हैं कि नरेंद्र मोदी वोट चोरी करके प्रधानमंत्री बने हैं.” 

समापन मार्च को गांधी मैदान की गांधी मूर्ति से चलकर पटना हाईकोर्ट के सामने लगी आंबेडकर की मूर्ति तक पहुंचना था, मगर अदालती आदेश का हवाला देकर प्रशासन ने मार्च को डाक बंगला चौराहे पर ही रोक लिया. वहां नुक्कड़ सभा सज गई और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने लोगों को संबोधित किया. इनमें दीपांकर, मुकेश सहनी, तेजस्वी और राहुल गांधी तो थे ही तृणमूल कांग्रेस की तरफ से यूसुफ पठान भी आए थे. 

इस सभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कई मुहावरों का प्रयोग किया. वे बोले, “बीजेपी के नेता बिहारियों को ठगना चाहते हैं. फैक्टरी लगाएंगे गुजरात में और विक्टरी चाहिए बिहार में. बिहारी ऐसा होने नहीं देंगे.” उन्होंने आगे कहा, “बिहार में जो डबल इंजन की सरकार है, उसमें एक इंजन अपराध में बिजी है तो दूसरा भ्रष्टाचार में.” 

आखिर में राहुल ने अपने छोटे से भाषण में 'हाइड्रोजन बम' की बात कह दी. बीजेपी को चेताते हुए वे बोले, “महादेवपुरा में तो हमने एटम बम दिखाया था, बीजेपी के लोगों तैयार हो जाओ, हाइड्रोजन बम आ रहा है.” यानी राहुल की कमान में वोट चोरी को लेकर और भी तीर हैं. हालांकि अपने संबोधन में राहुल ने वोट चोरी के मुद्दे को दूसरे मुद्दों से भी जोड़ने की कोशिश की. वे बोले, “वोट चोरी का मतलब अधिकार की चोरी, आरक्षण की चोरी, रोजगार की चोरी, शिक्षा की चोरी, लोकतंत्र की चोरी और युवाओं के भविष्य की चोरी.” इस तरह उन्होंने वोट चोरी को बिहार के दूसरे मुद्दों से जोड़ने की कोशिश की.  बाद में इजाजत मिलने पर छोटी सी टीम के साथ वे पटना हाईकोर्ट भी गए और वहां आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण किया. 

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