
डीएसपी जियाउल हक की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को मारे गए पुलिस अधिकारी की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए राजा भैया और उनके चार साथियों के खिलाफ सीबीआई द्वारा सौंपी गई क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए मामले में आगे की जांच के आदेश दिए हैं.
यूपी के प्रतापगढ़ जिले में रघुराज प्रताप सिंह के इलाके कुंडा क्षेत्र के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी (डीएसपी) जियाउल हक की 2 मार्च 2013 को ड्यूटी के दौरान हत्या कर दी गई थी. वे कुंडा के बलीपुर गांव में चार लोगों द्वारा ग्राम प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद पहुंचे थे. हक यादव को अस्पताल ले गए लेकिन उन्हें बचा नहीं सके. शव को गांव वापस लाते समय हक पर भीड़ ने हमला कर दिया और कथित तौर पर राजा भैया के एक करीबी ने पुलिस अधिकारी को गोली मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई.
2014 में ट्रायल कोर्ट के आदेश में सीबीआई को कुंडा विधायक और तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रघुराज प्रताप सिंह, उनके तीन सहयोगियों- हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह और गुड्डु सिंह और कुंडा नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष गुलशन यादव की भूमिका की जांच करने के लिए कहा गया था. इन लोगों का नाम मारे गए अधिकारी की पत्नी परवीन आज़ाद ने अपनी पुलिस शिकायत में दिया था.
31 जुलाई, 2013 को सीबीआई द्वारा उनकी शिकायत पर क्लोजर रिपोर्ट पेश करने के तुरंत बाद, आज़ाद ने एक विरोध याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट में लगाई अपनी याचिका में आजाद ने सीबीआई पर राजा भैया की भूमिका की ओर इशारा करने वाले महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था.
पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) जियाउल हक की हत्या में कुंडा से सात बार के विधायक राजा भैया (53) की भूमिका की आगे की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का निर्देश उनके लिए मुसीबत लेकर आ सकता है क्योंकि उनके करीबी रहे गुलशन यादव अब उनके खिलाफ हो गए हैं. हाईकोर्ट में क्राइम मामलों के वरिष्ठ वकील रोहित नागपाल बताते हैं, "गुलशन यादव का बयान और जानकारी राजा भैया की भूमिका की आगे की जांच में महत्वपूर्ण हो सकती है."

गुलशन यादव प्रतापगढ़ जिले के कुंडा के मऊदारा गांव के रहने वाले हैं. गुलशन के छोटे भाई छविनाथ यादव समाजवादी पार्टी के प्रतापगढ़ के पूर्व जिला अध्यक्ष हैं. गुलशन ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत राजा भैया के साथ रहकर की थी. करीब दो दशक पहले मायावती सरकार में राजा भैया पर पोटा लगा था, जिसके गवाह राजेंद्र यादव थे. राजेंद्र की हत्या कर दी गई, जिसका आरोप गुलशन पर भी लगा. इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.
गुलशन यादव को एक वक्त राजा भैया के बेहद करीबियों में गिना जाता था. 2016 में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अपने चाचा शिवपाल यादव से तनातनी बढ़ी, शिवपाल से अच्छे संबंध रखने वाले राजा भैया से भी अखिलेश ने दूरियां बढ़ा लीं. दूसरी तरफ गुलशन यादव ने भी राजा भैया का दामन छोड़कर अखिलेश यादव का हाथ थाम लिया था.
कुंडा विधानसभा सीट पर रघुराज प्रताप सिंह 1993 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने गुलशन यादव को कुंडा से सपा उम्मीदवार बनाया. अखिलेश यादव कुंडा चुनाव प्रचार करने भी गए और कहा था, "इस बार कुंडा में कुंडी लगा देंगे." इसके बाद से गुलशन यादव और राजा भैया के बीच तनातनी काफी बढ़ गई थी. फिलहाल गुलशन यादव को प्रतापगढ़ में राजा भैया का राजनीतिक प्रतिद्वंदी कहा जा सकता है.
कुंडा निवासी और राजा भैया के समर्थक विजय प्रताप सिंह द्वारा 27 फरवरी, 2022 को कुंडा पुलिस स्टेशन में दर्ज कराए गए एक मामले में लगभग एक महीने पहले 28 अगस्त को प्रयागराज से गिरफ्तार किए जाने तक गुलशन यादव समाजवादी पार्टी के प्रतापगढ़ के कार्यवाहक जिला अध्यक्ष थे. इस प्रकार राजा भैया का कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंदी गुलशन यादव सीबीआई की पूछताछ में कैसा 'सहयोग' करता है, उससे इस प्रकरण की जांच की दिशा तय होगी.