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विवादों में क्यों घिर गया योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट ?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2023 में गोरखपुर में एक विरासत गलियारा तैयार करने के निर्देश दिए थे लेकिन अब इसके लिए यहां जमीन अधिग्रहण पर विवाद शुरू हो गया है और इस मुद्दे को समाजवादी पार्टी भी उठा रही है

CM Yogi Adityanath
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 जून को गोरखपुर में विरासत गलियारा प्रोजेक्ट की जानकारी ली
अपडेटेड 27 जून , 2025

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में 25 जून को उस समय तनाव फैल गया, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं के वाहनों के काफिले पर हमला किया और सपा समर्थकों से भिड़ गए. 

भाजपा कार्यकर्ताओं ने नॉर्मल स्कूल क्रॉसिंग के पास रास्ते को रोक दिया और सपा नेताओं की वापसी की मांग करते हुए नारे लगाए. सपा नेताओं का दावा है कि विवाद के दौरान उनके काफिले में शामिल पांच वाहनों के शीशे तोड़ दिए गए. 

दरअसल तब उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय और विधान परिषद में विपक्ष के नेता लाल बिहारी यादव और पूर्व सपा विधायक विनय शंकर तिवारी स्थानीय व्यापारियों से मिलने गए थे, जिन्होंने विरासत कॉरिडोर परियोजना के लिए सड़क चौड़ीकरण के संबंध में सरकारी अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया था. 

विरोध के बावजूद सपा प्रतिनिधिमंडल ने अपना दौरा जारी रखा और वैकल्पिक मार्ग से तिवारी हाता जाने से पहले कई व्यापारियों से मुलाकात की. विरासत कॉरिडोर परियोजना को भाजपा के लिए “आत्मघाती कदम” बताते हुए विधान परिषद में सपा नेता लाल बिहारी यादव ने प्रशासन पर इस मामले में उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया. 

गोरखपुर में सपा प्रतिनिधिमंडल का विरोध करते भाजपा कार्यकर्ता
गोरखपुर में सपा प्रतिनिधिमंडल का विरोध करते भाजपा कार्यकर्ता

यादव ने भाजपा विधायक और महापौर पर नॉर्मल चौराहे पर विरोध प्रदर्शन की साजिश रचने का आरोप लगाया और दावा किया कि पांडेय के काफिले पर हमला उन्हीं के कहने पर किया गया. घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक विपिन सिंह ने कहा, "जब गोरखपुर और पूरे प्रदेश में तेजी से विकास हो रहा है, तब समाजवादी पार्टी राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की नौटंकी कर रही है. व्यापारी समुदाय अब उनके एजेंडे को समझ गया है और इसीलिए यह विरोध प्रदर्शन हुआ." 

इस बीच, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि पांडेय और लाल बिहारी यादव पर गोरखपुर दौरे के दौरान असामाजिक तत्वों ने "हमला" किया. सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में यादव ने इस घटना को "अत्यंत निंदनीय" करार दिया और कहा कि यह उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र की स्थिति के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है.  

गोरखपुर में सपा और भाजपा नेताओं के बीच हुए विवाद ने यहां आकार ले रहे मुख्यमंत्री योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट “विरासत गलियारा” को चर्चा में ला दिया है. वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री योगी ने गोरखपुर नगर निगम के अधिकारियों को गोरखपुर की विरासत को सहेजने और इसका परिचय लोगों से करवाने के लिए एक विरासत गलियारा का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे. करीब तीन महीने के सर्वेक्षण और अन्य जरूरी कार्यवाही करने के बाद नगर निगम ने गोरखपुर में विरासत गलियारा का प्रस्ताव तैयार किया जिसे थोड़े संशोधन के साथ मुख्यमंत्री योगी की अनुमति भी मिल गई. 

इसके मुताबिक धर्मशाला बाजार से घंटाघर के शहीद बंधु सिंह पार्क तक विरासत (हेरिटेज) गलियारा विकसित किया जाएगा. तीन किलोमीटर लंबे गलियारा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की प्रतिमा लगने के साथ ही नाथ पंथ व गोरखपुर के इतिहास की जानकारी दी जाएगी. गलियारा के सुंदरीकरण के लिए सड़कें चौड़ी की जाएंगी और जगह-जगह लोगों के बैठने की व्यवस्था की जाएगी. बिजली के तार भूमिगत कर दिए जाएंगे. प्रस्ताव के मुताबिक विरासत गलियारा में धर्मशाला बाजार चौराहा, धर्मशाला बाजार सहक, जटाशंकर चौक, आर्य नगर चौराहा, रजबी रोड, बक्शीपुर चौराहा, रेती चौक, उर्दू बाजार, घटाघर चौक आदि महत्वपूर्ण स्थान घोषित किए गए हैं. 

गोरखपुर नगर निगम के एक अधिकारी बताते हैं, “पूरे गलियारे को तीन भागों में बांटकर कार्य कराया जाएगा. घंटाघर के रंगरूप में पूरी तरह से बदलाव किया जाएगा. घडि़यों को सही करने के साथ इसके ऊपर तिरंगा फहराया जाएगा जो स्थाई रूप से लगा रहेगा. शाम के वक्त घंटाघर फसाड लाइटों से जगमग होगा. इसके अलावा शहीद बंधु सिंह पार्क का भी सौंदर्यीकरण होगा. गलियारे में वाहनों का प्रवेश नियंत्रित किया जाएगा ताकि ट्रैफिक जाम की समस्या से निबटा जा सके.” 

योजना के मुताबिक विरासत गलियारा में धर्मशाला चौराहा से जटाशंकर चौक तक सड़क की चौड़ाई 12 मीटर, जटाशंकर चौक से रेती चौक तक सड़क की चौडाई आठ मीटर और रेती चौक से घंटाघर चौक तक सड़क की चौड़ाई चार मीटर रहेगी. 

हालांकि गोरखपुर में विरासत गलियारा में मुआवजे को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया है. गलियारा की जद में करीब 800 मकान और दुकान आ रहे हैं. चौड़ीकरण की जद में आ रहे दुकान और मकानों की रजिस्ट्री लोक निर्माण विभाग के पक्ष में हो रही है. गोरखपुर लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, “जब रजिस्ट्री कराकर मुआवजा देने का नंबर आया, तब पता लगा कि कई पीढ़ियों से बसे कुछ लोगों के पास जमीन का मालिकाना हक ही नहीं है.” 

दरअसल, पहले यह जमीन जमींदार की थी, जिस पर बाद में लोग बस गए. पक्का मकान व दुकान बना लिया. न तो जमींदार ने अपनी जमीन खोजी और न ही घर बनाने वालों को चिंता हुई. विरासत गलियारा निर्माण के चलते मकान व दुकानों को नोटिस जारी हुआ तो लोगों ने अपनी जमीन का रिकॉर्ड खोजना शुरू किया. जब यह पता चला कि वे जिस जमीन पर रह रहे हैं उसके कोई कागजात उनके पक्ष में नहीं हैं तो उनके तो पैरों तले जमीन खिसक गई. इस तरह जमीन उनके नाम नहीं होने की वजह से पेंच फंस गया. कुछ लोग कोर्ट गए तो वहां से नियमानुसार भुगतान का आदेश हो गया. इससे बात और उलझ गई. 

सपा नेताओं का गुस्सा गोरखपुर में तिवारी हाता की बाउंड्रीवाल तोड़े जाने को लेकर भी है जो 15 अप्रैल को विरासत गलियारा की सड़क चौड़ी किए जाने की प्रक्रिया में आ गई थी. चिल्लूपार से विधायक रहे और पूर्वांचल में ब्राह्मण नेता के रूप में प्रसिद्ध रहे हरिशंकर तिवारी ने तिवारी हाता का निर्माण कराया था. हालांकि, तिवारी परिवार को इसकी जानकारी पहले ही हो गई थी, इसलिए अंदर की तरफ से पुरानी के समानांतर नई मजबूत दीवार पहले ही बना दी गई. दीवार टूटने के बाद खाली जगह पर नाला निर्माण होगा. 

विरासत गलियारा की चौड़ाई घटाने के बाद भी व्यापारियों का एक समूह वर्तमान हालात से सहमत नहीं है. करीब 35 व्यपारियों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग रिट दाखिल कर मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई है. हालांकि, दो मुकदमों में हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि निर्माण स्थल पर कब्जा के लिए काम के लिए जिम्मेदार एजेंसी या तो अध्यादेश लाए या फिर नियमानुसार कार्रवाई करनी होगी. इसे दोनों पक्ष अपनी-अपनी जीत बता रहे हैं. मुकदमा करने वाले लोगों का कहना है कि इस फैसले का मतलब यह है कि जमीन के लिए मुआवजा देकर ही अधिग्रहण होगा. वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मकान का मुआवजा दे रहे हैं. जमीन जिनकी है, वे अपना दावा साबित करें.

इसी विवाद के बीच 21 जून की रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब विरासत गलियारा का निरीक्षण करने गए तो वहां उन्होंने घोषणा की कि चौड़ीकरण से प्रभावित सभी लोगों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए. इससे विरासत गलियारा में सड़क चौड़ीकरण के दौरान जो मकान टूट रहे हैं और उनके मालिकों के पास जमीन के कागजात नहीं हैं, उन्हें भी कब्जे के आधार पर मुआवजा मिलने की आस बंधी है. मुख्यमंत्री योगी के निर्देश के बाद राजस्व विभाग इसे अमलीजामा पहनाने के लिए कानूनी उपाय खोज रहा है. ये उपाय जितने विवाद रहित होंगे उनता ही विरासत गलियारा विवादों से दूर रहेगा. 

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