रविवार की साप्ताहिक छुट्टी के बाद उत्तर प्रदेश में सोमवार यानी 8 जुलाई को सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिपक स्कूल खुलने थे. इससे पहले रविवार यानी 7 जुलाई को बड़ी संख्या में सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने एक्स (ट्विटर) पर “#boycottonlineattendance” ट्रेंड चलाया और कई घंटों तक यह टॉप ट्रेंड बना रहा.
यह 8 जुलाई से यूपी सरकार के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को डिजिटल करने के बेसिक शिक्षा परिषद के कदम पर ऑनलाइन हमला था. 4,62,000 से अधिक ट्वीट ने विभाग के शीर्ष अधिकारियों के बीच खलबली मचा दी.
इसके बाद अधिकारियों ने ट्वीट पर जवाब देकर डिजिटल रास्ते से शिक्षकों तक पहुंचने की कोशिश की और समझाया कि उनके हितों से समझौता नहीं किया जाएगा. हालांकि इसके बावजूद शिक्षक नहीं माने और राज्य परियोजना कार्यालय के उस आदेश का विरोध किया, जिसमें नियमित कक्षाएं शुरू होने से 15 मिनट पहले स्कूल में अपनी उपस्थिति डिजिटल (ऑनलाइन) दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया गया है. बेसिक शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को 8 जुलाई से अपनी उपस्थिति दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया गया है. राज्य परियोजना निदेशक कंचन वर्मा ने यह आदेश जारी किया है.
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालयों के डिजिटलीकरण के संबंध में 18 जून को प्रेरणा पोर्टल पर ‘डिजिटल रजिस्टर’ नाम से विकसित मॉड्यूल की जानकारी दी गई थी और विद्यालय स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले 12 डिजिटल रजिस्टरों के संबंध में दिशा-निर्देश दिए गए थे. शिक्षकों से अपेक्षा की गई कि वे लोकेशन के साथ अपनी रियलटाइम उपस्थिति दर्ज कराएं.बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी बेसिक स्कूलों में दो-दो टैबलेट उपलब्ध करवाए हैं. उनके जरिए शिक्षकों को स्कूल खुलने के 15 मिनट पहले और बंद होने के 15 मिनट के भीतर “प्रेरणा ऐप” पर डिजिटल अटेंडेंस लगानी है.
शाहजहांपुर में एक बेसिक स्कूल के प्रधानाध्यापक के मुताबिक, "आनलाइन हाजिरी की गाइडलाइन के मुताबिक सुबह 8 बजे जब स्कूल शुरू होगा तो 7.30 से 7.45 के बीच टैबलेट पर फोटो खींचकर अपलोड करनी होगी. हाजिरी का ऐप इसी समय और स्कूल परिसर में ही हाजिरी के लिए इनेबल होगा. छुट्टी के समय दोपहर 2.15 से 2.30के बीच फिर पोर्टल खुलेगा, शिक्षक को फोटो अपलोड करनी होगी. तभी हाजिरी पूरी मानी जाएगी." हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में 30 मिनट का ग्रेस पीरियड दिया गया है.
सोमवार 8 जुलाई को जब स्कूल खुले तो पूरे प्रदेश में शिक्षकों ने आनलाइन हाजिरी का कड़ा विरोध किया. शाहजहांपुर, बरेली, बाराबंकी समेत कई जिलों में शिक्षकों ने जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया तो करीब सभी जिलों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर बच्चों को पढ़ाया.
उत्तर प्रदेश में 6.09 लाख से अधिक शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक हैं. इनमें से16 हजार ने ही 8 जुलाई को ऑनलाइन हाजिरी लगाई जो कि कुल संख्या का लगभग महज 2% है. शिक्षकों का कहना है कि पहले ऑनलाइन उपस्थिति 15 जुलाई से शुरू होनी थी, लेकिन विभाग ने दो दिन पहले निर्देश जारी कर सोमवार, 8 जुलाई से ही इसे लागू करने की बात कही. स्टूडेंट्स उपस्थिति और मिड डे मील (एमडीएम) विवरण समेत 12 पंजिकाओं को 15 जुलाई से ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं.
शिक्षकों के मुताबिक विभाग ने इस आदेश में कोई व्यावहारिकता नहीं दिखाई गई है. बाराबंकी जिले में कार्यरत एक बेसिक शिक्षक बताते हैं,“टैबलेट को ऑपरेट करने के लिए सिम भी दी गई हैं, लेकिन ये सिम प्रेरणा पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं किए की गई हैं.अभी तक शिक्षकों के पुराने नंबर ही पोर्टल पर रजिस्टर्ड है. ऐसे में टैबलेट से अटेंडेंस नहीं लग सकती. आदेश जारी करने से पहले विभाग को अपनी कमियां दूर करनी चाहिए.”
शिक्षकों की यह भी दलील है कि दूरदराज के क्षेत्रोंमें अक्सर इंटरनेट की समस्या होती है और सही समय पर रियल टाइम अपलोडिंग संभव नहीं हो पाती.इसके अलावा ऐप पर लोकेशन कई जगह गलत बता रहा, नेटवर्क की दिक्कत, ऐसे में एक-दो मिनट की देरी भी गैरहाजिर कर देगी.ऑल टीचर्स इंप्लाइज वेलफेयर असोसिएशन (अटेवा) के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु बताते हैं,“शहर में भीषण जाम से लेकर ग्रामीण इलाकों के मुश्किल भरे रास्तों में शिक्षकों को जूझना पड़ता है. कहीं जलभराव है तो कहीं इंटरनेट की सुविधा नहीं है. ऐसे हालात में ऑनलाइन हाजिरी कैसे हो सकती है.”
दरअसल कई स्कूल दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं और बारिश के मौसम में पानी से घिरे रहते हैं. ऐसे में अगर कोई शिक्षक देरी से पहुंचता है तो उसे अनुपस्थित मान लिया जाता है और उसकी छुट्टी काट ली जाती है. हालांकि शिक्षकों और कर्मचारियों की परेशानी को समझते हुए विभाग ने निर्धारित समय से 30 मिनट बाद तक उपस्थिति दर्ज कराने की सुविधा दी है. प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पांडेय बताते हैं, "विभाग ने महीने में तीन दिन उपस्थिति में ढील देने का आश्वासन दिया था, लेकिन आदेश में इसका जिक्र नहीं है. उपार्जित अवकाश, ईएल, सीएल, हाफ लीव और दूसरे शनिवार की छुट्टी की शिक्षकों की मांग को लेकर भी कोई निर्णय नहीं लिया है. ऐसे में विभाग शिक्षको की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे."
शिक्षकों की यह भी मांग है कि हाफ सीएल की व्यवस्था हो, अटेंडेंस पोर्टल दिन भर खुले और अगर वेचार दिन देरी से आएं तो एक कैजुअल लीव काट ली जाए. आपात स्थिति आंधी, बारिश, बाढ़, जाम, राजनीतिक-धार्मिक आयोजनों में रास्ता बंद होने पर हाजिरी में ढील दी जाए.
शिक्षकों के समर्थन में राजनीतिक दल भी उतर आए हैं. शाहजहांपुर में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता विवेक सिंह सरकार से तुंरत शिक्षकों की समस्याओं के निस्तारण की मांग करते हैं. विवेक सिंह कहते हैं, "योगी सरकार शिक्षकों के प्रति नकारात्मक व्यवहार कर रही है. केवल शिक्षकों को ही आनलाइन हाजिरी के लिए क्यों बाध्य किया जा रहा है जबकि दूसरे सरकारी कार्यालयों में लोग समय पर नहीं आते हैं. इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. सरकार को शिक्षकों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए."
हालांकि विभाग का तर्क है कि ऑनलाइन हाजिरी प्रक्रिया से पारदर्शिता आएगीऔर शिक्षकों कीरियल टाइम उपस्थिति जांची जा सकेगी जिसका फायदा छात्रों को मिलेगा. इससे हाजिरी के नाम पर शिक्षकों का बेवजह उत्पीड़न नहीं होगा. स्कूली शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा कहती है कि शिक्षकों के बात करके उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा.