
प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के गेट नंबर दो से भीतर प्रवेश करते ही रंग बिरंगे चित्रों से सजी एक इमारत अपनी ओर ध्यान खींचती है. यह आयोग परिसर में नया बनकर तैयार म्यूजियम "कल्पवृक्ष" है.
यूपीपीएससी के परिसर में मौजूद इस इमारत का निर्माण 1868 में आलीशान इलाहाबाद क्लब के रूप में कराया गया था. करीब 20 हजार वर्ग फिट में फैली इस इमारत के मध्य में एक बड़े हॉल का उपयोग डांस क्लब के रूप में भी किया जाता था.
अंग्रेजों ने डांस क्लब के लिए इस हॉल की फर्श को एक खास तकनीक से बनाया था. खास लकड़ी से बनी इस फर्श के नीचे ऐसी तकनीक लगाई गई थी जिससे कि इस पर पैर पटकने से जमीन से ऊपर की ओर 'जम्प' महसूस होता है. इस पर डांस करते वक्त लोगों को न सिर्फ आनंद की अनुभूति होती, बल्कि देर तक नाचने पर भी थकान महसूस नहीं होता था.

समय बीतने के साथ अंग्रेजों ने इस इमारत का इस्तेमाल "ऑफिसर्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट" (ओटीएस) के रूप में करना शुरू कर दिया. यूपीपीएससी का गठन 1 अप्रैल, 1937 को भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा-264 के तहत किया गया था. इसका मुख्यालय इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में था.
वर्ष 1904 से 1949 तक इलाहाबाद संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) की राजधानी था. आयोग में एक अध्यक्ष और दो सदस्य शामिल होते थे. इसकी स्थापना के दो दिन बाद डी. एल. ड्रेक ब्रॉकमैन, आई. सी. एस. ने इसके पहले अध्यक्ष बने. आयोग का ऑफिस 1 अप्रैल, 1937 में क्वीन्स रोड (अब सरोजिनी नायडू मार्ग) पर सचिवालय भवन के ब्लॉक नंबर-4 में स्थित था.
इमारत को यूपी पुलिस मुख्यालय, राजस्व बोर्ड और लोक निर्देश निदेशक (अब शिक्षा) सहित बारह अन्य कार्यालयों द्वारा साझा किया गया था. आजादी के बाद 1949-50 में आयोग ने वर्तमान परिसर का एक हिस्सा हासिल कर लिया, जिसमें मूल रूप से आलीशान इलाहाबाद क्लब और बाद में, अधिकारी प्रशिक्षण स्कूल (ओटीएस) था.

हालांकि, 1962-63 में बाबू राधा कृष्ण के प्रयासों से, जब वे आयोग के अध्यक्ष थे, पूरा आयोग वर्तमान परिसर में स्थानांतरित हो गया था. वर्तमान में प्रयागराज में प्रधान आयोग कार्यालय के अलावा एक शिविर कार्यालय लखनऊ में भी है.
आयोग का अपना भवन होने के बाद इलाहाबाद क्लब या ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल का मुख्य हॉल (जहां अब "कल्पवृक्ष" म्यूजियम बनाया गया है) बदहाल हो गया. 60 साल से अधिक समय तक इस हॉल का इस्तेमाल बेकार पड़े सामान को रखने के गोदाम के रूप में किया जाने लगा. यूपीपीएससी के चेयरमैन संजय श्रीनेत ने बदहाल हो चुके इस हॉल को अनोखे म्यूजियम में तब्दील किया. बीती 15 फरवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसका उद्घाटन किया था.
संघ लोक सेवा आयोग समेत देश के किसी भी लोक सेवा आयोग परिसर में ऐसा म्यूजियम नहीं है. म्यूजियम में प्रवेश करते ही बाईं ओर संगमरमर की बनी 'भगवान गणेश' की नृत्य करती प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है. नृत्य करते गणेश को अनोखी मुद्रा में दर्शाया गया है. इससे आगे बढ़ने पर भारत में सिविल सेवा के ढांचे को खड़ा करने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति लगाई गई है और इसके पीछे की दीवार पर प्रेरणादायक सूक्तियां भी अंकित हैं.

10-11वीं सदी की दुर्लभ चतुर्भुजी विष्णु की मूर्ति, गुप्तकाल की शिव पार्वती की प्रतिमा और बुद्ध प्रतिमा की चारण चौकी समेत पत्थर की कई दुर्लभ मूर्तियों से म्यूजियम को अनोखा स्वरूप दिया गया है. यहां पर 8वीं से लेकर 10वीं सदी तक की कलाकृतियों के साथ फारसी में लिखी दुर्लभ रामायण और संविधान की मूल प्रति की अनुकृति भी प्रदर्शित की गई है.
इसके अलावा आयोग की सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा (पीसीएस) के अब तक के टॉपर्स की सूची सिविल सेवा और यूपीपीएससी का इतिहास के अलावा यूपी लोकसेवा आयोग की स्थापना के शुरुआती दिनों की फाइल व पत्रावलियां भी डिस्प्ले में है. इसके अलावा इस म्यूजियम की दीवारों पर विभिन्न राज्यों की चित्रकलाओं का प्रदर्शन कर इसे दर्शनीय बनाया गया है. इतना ही नहीं "वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट" (ओडीओपी) के तहत आने वाले विभिन्न जिलों के प्रमुख उत्पादों को भी म्यूजियम में जगह दी गई है.

करीब डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुए इस अनोखे म्यूजियम "कल्पवृक्ष" का निर्माण यूपीपीएससी ने अपने बजट से कराया है. म्यूजियम को आकार देने वाले आयोग के चेयरमैन संजय श्रीनेत बताते हैं, "म्यूजियम में प्रदर्शित दुर्लभ मूर्तियों को राजकीय संग्रहालय से लीज पर लिया गया है. ये वे मूर्तियां हैं जो इसके लिए संस्कृति विभाग और आयोग के बीच एमओयू हुआ है."
श्रीनेत के मुताबिक इस म्यूजियम के निर्माण का उद्देश्य आयोग में आने वाले अभ्यर्थियों और उनके परिजनों को यूपी समेत देश की संस्कृति से परिचय कराना है. जल्द ही यह म्यूजियम आम दर्शकों के लिए भी खोला जाएगा. रोज 50 लोग इस म्यूजियम का भ्रमण कर सकेंगे. यूपीपीएससी परिसर में तैयार हुए 'कल्पवृक्ष' की तर्ज पर यूपीएससी भी नई दिल्ली में अपने परिसर में ऐसा ही म्यूजियम तैयार करने जा रहा है. इसके लिए बीते दिनों यूपीएससी के अधिकारियों की एक टीम ने प्रयागराज में यूपीपीएससी परिसर का भ्रमण किया.
यूपीपीएससी परिसर में 'कल्पवृक्ष' म्यूजियम के अलावा कई अन्य बदलाव भी किए गए हैं. एक अनोखी पहल के रूप में आयोग परिसर में मौजूद राज कुमारी गुप्ता पार्क में हल्दी-घाटी ओपेन एयर थियेटर का निर्माण कराया गया है. यहां दांडी मार्च के साथ शहीदों (महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद और सुभाष चन्द्र बोस) की मूर्तियां लगाई गई हैं.
साथ में डॉ. भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों की हस्ताक्षर को भी एक दीवार पर लाल रंग से प्रदर्शित किया गया है. अभ्यर्थियों की प्रेरणा स्वरूप आयोग परिसर में बोधिसंगम (सेल्फी प्वॉइन्ट), आयोग परिसर में रोशन सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, खुदीराम बोस, राजकुमारी गुप्ता और सुखदेव के नाम पर पार्कों का सुंदरीकरण किया गया है.

इसके अलावा आयोग के सभी गेटों को जीवंतता देने के लिये अलकनंदा, मदांकिनी, भागीरथी, कालिंदी, मैत्रेय, भागवत और जाह्नवी नामकरण किया गया है. गेट नंबर 5 और 6 का नामकरण क्रमश: मैत्रेय एवं भागवत करते हुए इनका निर्माण सारनाथ की तर्ज पर किया गया है.
इसके अलावा आयोग परिसर में जी-11 नाम से एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू हुआ है. यह भवन किसी भी आयोग परिसर में मौजूद सबसे अत्याधुनिक होगा जहां से सभी सरकारी कामकाज किए जाएंगे.