इस बार उत्तर प्रदेश विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद) के मॉनसून सत्र में 13–14 अगस्त को चली 24 घंटे की लगातार कार्यवाही का घोषित मकसद था ‘विजन 2047’ पर बहस. लेकिन इससे इतर काफी हद तक यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोची-समझी राजनीतिक चाल भी थी
2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में उम्मीद से कम प्रदर्शन के बाद बीजेपी में पुनर्गठन की चर्चा के बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस चर्चा के बहाने 2027 के विधानसभा चुनावों का नैरेटिव सेट करने की कोशिश की - विकास, स्थिरता और लंबी दूरी की योजनाओं को केंद्र में रखते हुए.
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मॉनसून सत्र में कराई गई 24 घंटे की विशेष कार्यवाही (मैराथन डिबेट) सत्र का फोकस ‘विकसित भारत–विकसित उत्तर प्रदेश-विजन 2047’ रहा; सरकार ने साफ कहा कि यह विकास-रोडमैप पर सतत चर्चा का प्रतीकात्मक और व्यावहारिक, दोनों कदम है. यह संदेश सीधे रूप से ‘लंबी दूरी की सोच, दीर्घकालीन प्लानिंग’ से जुड़ा है- जो चुनाव से पहले स्थिरता-और-डिलिवरी की थीम को मजबूती देता है. विधानसभा सत्र से पहले ऑल-पार्टी मीटिंग में इसकी सहमति बनवाकर प्रक्रिया को ‘समावेशी विमर्श’ का रंग दिया गया, हाउस-मैनेजमेंट की यह बारीकी भी चुनावी सिग्नल है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्र के दौरान विकास-केंद्रित नैरेटिव के साथ विपक्ष, ख़ासकर समाजवादी पार्टी (सपा), पर पुराने दौर के ‘भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार’ का आरोप दोहराया. ये वही टोन है जो 2017 से चली आ रही बीजेपी की यूपी की रणनीति का मूल रही है. सीएम योगी ने अपनी सरकार की पिछले आठ वर्षों की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला और विज़न 2047 पर राज्य विधानसभा में अपने लंबे संबोधन में भविष्य के प्रयासों का खाका खींचा.
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी की हार के एक साल बाद और 2027 के विधानसभा चुनाव की चुनौती से दो साल से भी कम समय पहले, आदित्यनाथ ने कानून-व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की उल्लेखनीय प्रगति का बखूबी बखान किया. उनके भाषण का मूल संदेश यही था कि उनका शासन मॉडल बीजेपी को विपक्ष से मुकाबला करने और 2027 में पार्टी के सत्ता में बने रहने का मार्ग दिखा सकता है. इसने कहीं न कहीं उन अटकलों को भी थामने की कोशिश की जिसने हालिया राजनीति गतिविधियों के बाद यूपी के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बदलाव की कयासबाजी शुरू कर दी है.
पार्टी समर्थकों में जोश भरने के उद्देश्य से, मुख्यमंत्री योगी ने कहा, "उत्तर प्रदेश अब भारत की ऊर्जा का केंद्र है. आज, उत्तर प्रदेश राष्ट्र के लिए आशा और उम्मीद की किरण बन गया है, जो भारत के विकसित भारत के विजन को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. विजन 2047, विकसित भारत के भीतर विकसित उत्तर प्रदेश की नींव रखेगा." विपक्ष पर निशाना साधते हुए, उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार के शासनकाल में उत्तर प्रदेश असुरक्षा और उच्च अपराध से ग्रस्त था, महिलाएं और व्यापारी आतंक में जी रहे थे.
कमज़ोर वर्गों, ख़ासकर दलितों और अति पिछड़ी जातियों के बीच पैठ बनाने की विपक्ष की योजनाओं का मुक़ाबला करने के लिए, योगी ने कहा कि 1947 से 2017 तक उत्तर प्रदेश में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का सीमित प्रभाव रहा. उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार के राज्य की बागडोर संभालने के बाद, 6 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया.
दरअसल मुख्यमंत्री योगी को इस बात का आभास था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का संविधान विरोधी नैरेटिव बीजेपी पर यूपी में भारी पड़ा था. इसीलिए उन्होंने सदन में गरजते हुए कहा कि विपक्ष का पीडीए का नारा जनता को धोखा देने की एक चाल है, जबकि उनकी सरकार ने सचमुच पिछड़ा (पिछड़ा), दलित और अल्पसंख्यक (अल्पसंख्यक) कारीगरों के लिए काम किया है.
योगी सरकार ने 24 घंटे के सत्र को विकास कोर-थीम का पब्लिक शोकेस बनाया. एयरपोर्ट, एक्सप्रेसवे, निवेश, शहरी-इन्फ्रा जैसी उपलब्धियों को भविष्य-लक्ष्यों से जोड़ना, ताकि मतदाता यूपी में विकास के ट्रेंड को जारी रख्नने के लिए ही वर्ष 2027 में वोट दे.
रात भर चलती बहस, स्पीकर व मंत्रियों की उपस्थिति और विधायकों (महिला विधायक सहित) की सक्रियता, इसके जरिए “कड़ी मेहनत करने वाली सरकार व दल” के रूप में परसेप्शन-बिल्डिंग की भी कोशिश हुई जो मध्यवर्ग और शहरी मतदाताओं को पसंद आती है.
चौबीस घंटे लगातार सदन की कार्यवाही पर राजनीतिक विश्लेषक भी नजर रखे हुए थे. लखनऊ में बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के प्रोफेसर और राजनीतिक जानकार सुशील पांडेय बताते हैं, “2047 के विज़न-डॉक्यूमेंट पर चौबीस घंटे चर्चा से सरकार ने यह स्थापित किया कि वह 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए पुख्ता तैयारी कर रही है. परोक्ष रूप से योगी सरकार ने यह संदेश भी देने की कोशिश की कि “लॉन्ग-होराइज़न डिलिवरी” के लिए वही टीम चाहिए.”
बहस के दौरान महिला विधायकों की उल्लेखनीय भागीदारी को प्रमुखता मिली. यह महिलाओं-केंद्रित लाभार्थी राजनीति और सुरक्षा व सम्मान के संदेश के साथ मेल खाती है. लंबे विमर्श में रोजगार, उद्यम, कृषि-आधारित वैल्यू-चेन, और शहरी इन्फ्रा की चर्चाएं ‘विज़न 2047’ के फ्रेम में लाई गईं जो 2027 के चुनाव से पहले भगवा खेमे के वोट-ब्लॉक्स को भी लक्ष्य कर रही हैं. सुशील पांडेय बताते हैं, “सरकार ने विधान परिषद में भी “विकसित भारत–विकसित यूपी” पर 24-घंटे का विमर्श चलाकर थीम को दोहरा प्रवर्धन (एम्प्लीफिकेश्न) दिलाया यानी एजेंडा सिर्फ़ एक इवेंट नहीं, ‘गवर्नेंस-कैंपेन’ है.”
विपक्ष मौके का फायदा नहीं उठा पाया
मॉनसून सत्र की इस 24 घंटे की विशेष कार्यवाही में विपक्ष की मौजूदगी और सक्रियता सीमित और आंशिक रही. सत्र से पहले सपा समेत कुछ विपक्षी दलों ने इसे महज़ ‘प्रचार का मंच’ बताते हुए बॉयकॉट के संकेत दिए, लेकिन अंतिम समय पर बहस में शामिल हुए. उनके फोकस में 2022 के चुनावी वादों का हिसाब, बेरोज़गारी, महंगाई, बाढ़ और स्वास्थ्य-शिक्षा जैसी जमीनी समस्याएं रहीं.
हालांकि बहस के अधिकांश हिस्से में विपक्ष का टोन रक्षात्मक दिखा और विकास-रोडमैप पर उनकी नजरिया साफ-साफ उभरकर सामने नहीं आ पाया. सत्ता पक्ष की हाई-विज़ुअल रणनीति के मुकाबले उनका असर अपेक्षाकृत सीमित रहा.
सीधे शब्दों में कहें तो विपक्ष पुराने वादों के हिसाब की मांग में उलझा रहा, जबकि सत्ता पक्ष ने मेहनती सरकार की छवि गढ़ने और भविष्य के रोडमैप को जनता तक पहुंचाने का अवसर साधा. यह बहस चुनावी एजेंडा का ट्रेलर साबित हुई. आगे की लड़ाई अब इस बात पर टिकी है कि अगले 18–24 महीनों में ज़मीन पर कौन-सा नैरेटिव आंकड़ों और अनुभव- दोनों में ज़्यादा विश्वसनीय साबित होता है.
इस सत्र से जुड़े कुछ खास बातें :
1. विधानसभा में पहली बार 24 घंटे की विशेष चर्चा हुई. थीम: “विकसित भारत, विकसित उत्तर प्रदेश / विज़न 2047” सरकार ने इसे दीर्घकालिक विकास रोडमैप पर खुली बहस के रूप में पेश किया.
2. सरकार ने मंत्रियों/वक्ताओं का रोस्टर जारी कर सेक्टोरल कवरेज सुनिश्चित की. सत्र को ‘नॉन-स्टॉप’ मोड में चलाने का एलान किया गया.
3. सत्र में महिलाओं सहित 189 विधायक रात भर सक्रिय दिखे; स्पीकर सतीश महाना, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना सहित कई वरिष्ठ लोग देर रात तक उपस्थित रहे.
4. सीएम योगी ने सत्र का समापन करते हुए जनभागीदारी से आइडियाज़ बुलाने की अपील की—विज़न 2047 को जनता-केंद्रित बताने का संदेश दिया.
5. विपक्ष (सपा) ने चौबीस घंटे सत्र को “इवेंटबाज़ी” कहकर निशाना बनाया; सवाल उठाया कि 24 घंटे चलाने की ज़रूरत क्या थी.