राजस्थान में सरकार चाहे किसी भी दल की हो मगर जासूसी का जिन्न कभी पीछा नहीं छोड़ता. पूर्ववती अशोक गहलोत सरकार फोन टैपिंग के जरिए जासूसी के आरोपों में घिरी थी तो भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली मौजूदा BJP सरकार पर विधानसभा में स्पाई कैमरों से जासूसी करवाने के मामले में फंसती नजर आ रही है.
दरअसल, यह सारा मामला राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष की तरफ लगाए गए दो कैमरों के कारण गरमाया है. विधानसभा में सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से खुली निविदा आमंत्रित कर हाल ही में 18 लाख 46 हजार रुपए की लागत में दो नए कैमरे लगाए गए हैं. इसके अलावा एक करोड़ 9 लाख रुपए कैमरे विधानसभा में पहले से लगे हैं.
पहले से लगाए गए कैमरों का एक्सेस पूरी विधानसभा के पास है जबकि दो नए कैमरों का एक्सेस विधानसभाध्यक्ष के रेस्ट रूम में है. कैमरों के एक्सेस को लेकर ही यह हंगामा बरपा है. विपक्ष का आरोप है कि इन दो कैमरों में आवाज भी रिकॉर्ड की जा रही है और ये उस वक्त भी चल रहे हैं जब सदन की कार्यवाही स्थगित रहती है. विपक्ष के मुताबिक उनके विधायक कोई भी रणनीति बनाते हैं तो इन कैमरों के जरिए सरकार को उसका पता चल जाता है. कांग्रेस नेता टीकाराम जूली का कहना है, ''विपक्ष की हर बात को कैमरे में रिकॉर्ड करना अनुच्छेद 21 (निजता के अधिकार) का खुला उल्लंघन और हमारे विशेषाधिकार का हनन है. सरकार हमारी जासूसी कर हमें डराना चाहती हैं मगर हम कैमरे नहीं हटाए जाने तक चुप नहीं बैठेंगे.’’
हालांकि, इस मामले में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा था कि विपक्ष की तरफ जो कैमरे लगाए गए हैं उनमें ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं हो रही है मगर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के टेंडर का हवाला देते हुए कहा कि सरकार झूठ बोल रही है. टेंडर में साफ लिखा है कि ये ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले कैमरे हैं.
टीकाराम जूली ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष ही नहीं बल्कि अपने विधायकों की भी जासूसी कर रही है. 8 सितंबर को राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे विधानसभा में आई थीं और लॉबी में बैठकर विधायकों से मुलाकात कर रही थी. इसी दौरान विधायकों को यह संदेश मिला कि लॉबी में नहीं सदन के भीतर आकर बैठो. इसका मतलब ये है कि सदन के भीतर कौन विधायक किससे मिल रहा है, सरकार इस पर पूरी निगरानी रख रही है.
इधर, इस प्रकरण पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने ट्वीट के जरिए प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “प्रतिपक्ष द्वारा कैमरों से निजता भंग के किए जाने के आरोप निराधार हैं. सदन में लगाए गए कैमरों का उपयोग नियमानुसार और सदन की सुरक्षा के लिए हो रहा है. सदन के नियमों, परंपराओं और मर्यादाओं की पालना करवाना अध्यक्ष की जिम्मेदारी है.”
विधानसभा में स्पाई कैमरों का यह मामला राजस्थान के राज्यपाल तक जा पहुंचा है. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली के नेतृत्व में विधायकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े से मुलाकात कर उनसे संयुक्त जांच कमेटी बनाकर इस मामले की जांच कराए जाने की मांग की. प्रतिपक्ष के विधायकों की मांग है कि इस जांच कमेटी में सभी दलों के विधायकों के अलावा हाईकोर्ट के पूर्व जज को भी शामिल किया जाना चाहिए. विपक्ष ने ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया है कि विधानसभा को सील करके जांच होनी चाहिए ताकि कोई कैमरों की अदला-बदली और उनके साथ छेड़छाड़ नहीं कर सके. राज्यपाल से मुलाकात के बाद टीकाराम जूली ने कहा, “ राज्यपाल ने हमें यह भरोसा दिलाया है कि वे इस पूरे मामले की जांच करवाएंगे कि कैमरे किस कंपनी ने लगाए हैं और उनका एक्सेस किसके पास है.”
सदन में दो अतिरिक्त कैमरे लगाने जाने के मामले को लेकर कांग्रेस विधायक 8 सितंबर से ही सरकार पर हमलावर हैं. 10 सितंबर को सदन शुरू होने से पहले ही कांग्रेस विधायकों ने जमकर बवाल मचाया. कांग्रेस के सभी विधायक 'जग्गा जासूस' लिखी और सीसीटीवी कैमरे छपी कैप पहनकर विधानसभा आए. सदन में भी उन्होंने जासूसी को लेकर खूब हंगाम मचाया जिसके चलते विधानसभा की कार्यवाही बाधित रही.
नया नहीं है जासूसी का जिन्न
राजस्थान में पूर्ववर्ती सरकारें जासूसी के आरोपों से घिरती रही हैं. 2006 में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे पर अपनी ही सरकार के मंत्रियों की जासूसी के आरोप लगे थे. वसुंधराराजे पर उस वक्त उनकी सरकार में मंत्री रहे पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, नरपत सिंह राजवी के घरों की जासूसी कराए जाने के आरोप लगे थे.
2010 में राजस्थान की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार पर विपक्षी विधायकों ने फोन टैपिंग के आरोप लगाए. 2014 में राज्य की वसुंधराराजे सरकार पर विपक्ष के विधायक हनुमान बेनीवाल और किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्षी विधायकों, नेताओं और पत्रकारों के फोन टैप कराने के आरोप लगाए. 2020 में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के फोन टैप कराने के आरोप लगे. अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने एक ऑडियो टैप जारी कर इन आरोपों की पुष्टि की. लोकेश शर्मा अब भी गाहे-बगाहे अशोक गहलोत सरकार पर अपने ही नेताओं की जासूसी कराए जाने के आरोप लगाते रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषक गजेंद्र सिंह के मुताबिक राजस्थान में जासूसी के ये आरोप नेताओं का दोहरा रवैया ही दिखाते हैं. वे कहते हैं, ‘‘सरकार चाहे किसी की भी हो वह अपने विरोधियों पर हर तरीके से नजर रखना चाहती है. पिछले दो दशक में राजस्थान में कई बार अपने ही विधायकों और मंत्रियों की जासूसी करवाए जाने के मामले सुर्खियों में आ चुके हैं. सत्ता में रहते हुए सभी अपने विरोधियों पर हर तरीके से नजर रखना चाहते हैं, तब उन्हें इसमें कोई भी बुराई नजर नहीं आती मगर सत्ता से आते ही सबको जासूसी नजर आने लगती है.’’