यूपी की राजधानी में नौकरशाहों के बीच 31 जुलाई को सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की थी कि क्या निवर्तमान मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को सेवा विस्तार मिलेगा या नहीं. यह कयासबाजी शाम चार बजे थमती दिखी जब यह तय हो गया कि मनोज कुमार सिंह को मुख्य सचिव के तौर पर सेवा विस्तार नहीं मिलेगा.
थोड़ी ही देर में तब नौकरशाही और राजनीति के गलियारों में एक ही नाम की गूंज सुनाई देने लगी- एस. पी. गोयल, जिन्हें अफसरों के बीच एसपीजी के नाम से जाना जाता है. कुछ ही देर में इस बारे में आदेश भी जारी हो गया कि वर्तमान में मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव पद पर तैनात एस.पी. गोयल ही यूपी के नए मुख्य सचिव होंगे.
शाम करीब साढ़े पांच बजे गोयल ने लोकभवन पहुंचकर मनोज कुमार सिंह से मुख्य सचिव पद का कार्यभार ग्रहण किया. 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के समय गोयल केंद्र सरकार में मानव संसाधन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे. 19 मई 2017 को, उन्हें मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया और नागरिक उड्डयन, संपदा एवं प्रोटोकॉल विभागों का भी प्रभार दिया गया. उस वक्त यह माना गया था कि गोयल की तैनाती के पीछे तत्कालीन यूपी बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल से नजदीकियां थीं. लेकिन धीरे-धीरे उनके कामकाज की शैली ने उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे विश्वासपात्र नौकरशाहों में से एक बना दिया.
राज्य सरकार में कार्यरत एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बताते हैं, "गोयल हमेशा से उत्तर प्रदेश के सबसे प्रभावशाली नौकरशाहों में से एक रहे हैं. जहां अन्य नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री के करीबी और प्रभावशाली होने की छवि बनाई, वहीं उनका कम चर्चित रहना उनके पूरे कार्यकाल में मददगार रहा. हकीकत यह है कि मुख्यमंत्री कार्यालय की सभी महत्वपूर्ण फाइलें गोयल के पास से ही गुजरीं. वे निर्विवाद रूप से आज उत्तर प्रदेश के सबसे शक्तिशाली नौकरशाह हैं, जिनकी शीर्ष स्तर पर निकटता है."
गोयल के करीबी अफसर बताते हैं कि वे भले ही शांत दिखते हों लेकिन वे कामकाज में निडर और बेबाक राय देने के लिए भी जाने जाते हैं. यूपी में मुख्यमंत्री योगी की भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति को कड़ाई से अमलीजामा पहनाने के पीछे उनका ही हाथ है. अधिकारियों की निगरानी के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में “सीएम डैशबोर्ड” जैसी व्यवस्था शुरू करना गोयल का ही ब्रेन चाइल्ड था. यूपी को हवाई अड्डों के मामले में देश का अग्रणी राज्य बनाने के पीछे भी उनकी ही प्रशासनिक मेहनत बताई जाती है.
गोयल के कार्यकाल में ही यूपी में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की संख्या दो से बढ़कर 4 (लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या, कुशीनगर) पहुंची. वहीं यूपी में अब आगरा, बरेली, गोरखपुर, हिंडन, कानपुर, प्रयागराज, मुरादाबाद में एयरपोर्ट बनकर तैयार हुए. गोयल ने नागरिक उड्डयन विभाग के प्रमुख सचिव की बागडोर संभालने के बाद जेवर एयरपोर्ट की योजना को धरातल पर उतारने का काम किया था. जेवर एयरपोर्ट के ड्राइंग एंड डिजाइन से लेकर भूमि अधिग्रहण कराने, जेवर एयरपोर्ट के लिए स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) तैयार करने, ग्लोबल टेंडर कराने तक में भी गोयल की बड़ी भूमिका थी. यूपी में तबादलों पर मुख्यमंत्री कार्यालय के सख्त रवैये के पीछे उनका ही रिसर्च वर्क था.
यूपी में मुख्य सचिव की कुर्सी संभालने वाले एस. पी. गोयल गोयल 31 जनवरी, 2027 तक इस पद पर रहेंगे. मार्च, 2027 में यूपी में विधानसभा चुनाव होंगे और इस लिहाज से गोयल की कार्यप्रणाली पर योगी सरकार की छवि काफी हद तक निर्भर करेगी. उत्तर प्रदेश के नए मुख्य सचिव के रूप में उनके सामने कई बड़ी प्रशासनिक, राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियां होंगी.
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के मध्य में यह नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब प्रदेश तेज़ी से चुनावी मोड की ओर बढ़ रहा है. लखनऊ के बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक सुशील पांडेय बताते हैं, “योगी सरकार की योजनाओं का समय पर और धरातल पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के साथ सीएम योगी की ‘सजग प्रशासन–दृढ़ शासन’ की छवि को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी बतौर मुख्य सचिव एस. पी. गोयल की होगी. युवाओं, किसानों और महिलाओं से जुड़ी स्कीमों की डिलीवरी ट्रैकिंग और जिलों से लेकर मंडल स्तर तक ब्यूरोक्रेसी में अनुशासन और पारदर्शिता लागू करना भी इनके जिम्मे होगा.”
विपक्ष लगातार योगी सरकार की 'ठोक दो नीति' और पुलिस एन्काउंटरों पर सवाल उठा रहा है. ऐसे में पुलिस और प्रशासन के बीच समन्वय, मानवाधिकार आयोग और कोर्ट की निगरानी को ध्यान में रखते हुए बिना पक्षपात कार्रवाई सुनिश्चित करने के साथ चुनाव पूर्व धार्मिक और जातीय तनावों को रोकने के लिए प्रशासनिक सतर्कता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी गोयल की ही होगी.
नौकरशाही में गुटबाजी को संभालते हुए “गंगा एक्सप्रेसवे”, “जीरो पावर्टी स्कीम” जैसी योजनाओं को जल्द धरातल पर पहचान दिलाने के अलावा इस वर्ष के अंत में होने वाले ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीआइएस) को सफलता पूर्वक आयोजित करने में एस.पी. गोयल की प्रशासनिक क्षमता की पहचान होगी. मोदी–योगी ब्रांड की बड़ी योजनाएं- पीएम गति शक्ति, डिफेंस कॉरिडोर, विकसित भारत 2047 के विजन को ज़मीन पर उतारने में गोयल की अग्निपरीक्षा होगी.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पुरानी पेंशन, पुलिस भत्ते, शिक्षक भर्ती जैसे मुद्दों पर आंदोलन तेज़ हुए हैं. गोयल की छवि ‘नरम मगर निर्णायक’ अफसर की है, लेकिन अब उन्हें मोलभाव की नहीं, समाधान की शैली अपनानी होगी. सुशील पांडेय बताते हैं, “एस. पी. गोयल के लिए मुख्य सचिव बनना प्रशासनिक उपलब्धि है, लेकिन असली परीक्षा अब शुरू होती है. उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गति, केंद्र सरकार की अपेक्षा, और यूपी की जटिल सामाजिक संरचना- तीनों को संतुलित करना होगा. अगर वे पारदर्शी, निर्णायक और समन्वयकारी शैली में आगे बढ़ते हैं, तो उनका कार्यकाल यूपी के प्रशासनिक इतिहास में एक नया मानक स्थापित कर सकता है.” मुख्य सचिव एस. पी. गोयल न तो माइक के पीछे खड़े होने वाले अफसर हैं, और न ही कैमरे के आगे आने वाले. लेकिन अब उनकी हर चुप्पी, हर निर्णय और हर नियुक्ति पर कैमरे टिके रहेंगे.”
गोयल का अब तक करियर
58 वर्षीय गोयल लखनऊ के रहने वाले हैं. उन्होंने बीएससी (ऑनर्स) और इग्नू से एमसीए कोर्स किया है. 1989 में गोयल ने सिविल सेवा परीक्षा में पहली रैंक हासिल की थी. उन्होंने अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत उन्होंने इटावा में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद से की थी. इसके बाद मेरठ, अलीगढ़, बहराइच के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) रहे.
गोयल मथुरा, इटावा, प्रयागराज, देवरिया के डीएम भी रह चुके हैं. बसपा सरकार के दौरान गोयल तत्कालीन कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के स्टाफ अफसर थे. इसके बाद सपा सरकार में वे यूपी प्लानिंग विभाग के सचिव और कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के प्रमुख सचिव रहे. केंद्र में मोदी सरकार बनने पर वे मानव संसाधन मंत्रालय में बतौर संयुक्त सचिव तैनात हुए और फिर यहीं से 2017 में यूपी में उनकी वापसी हुई थी.