लखनऊ के लाखों लोगों के लिए 19 जुलाई की एक गिरफ्तारी हैरानी और डर दोनों साथ लेकर आई. पुलिस ने उस दिन 25 साल के मोहम्मद आरिफ को गिरफ्तार किया था. आरिफ पर इंदिरानगर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने वाली चार साल की बच्ची का रेप करने का आरोप है. आरिफ स्कूल वैन का ड्राइवर था.
पुलिस जांच में पता चला है कि पीड़िता की मां ने 17 जुलाई को स्कूल प्रबंधक से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. उसी शाम इंदिरानगर पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज की गई. पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधक ने वैन की व्यवस्था की थी, जिसका इस्तेमाल उसकी बच्ची को स्कूल लाने-ले जाने के लिए किया जाता था.
बच्ची 14 जुलाई को अपने अंदरूनी अंगों में दर्द की शिकायत करते हुए परेशान होकर घर लौटी थी. डॉक्टर के पास जाने पर परिजनों को उसकी चोटों का पता चला, जिसके बाद बच्ची ने रोते हुए बताया कि सुबह स्कूल जाते समय 'ड्राइवर अंकल' ने ‘गलत हरकत’ की थी. बच्ची की मां यह सुनकर घबरा गई और उसने तुरंत स्कूल अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराई. दुर्भाग्य से, स्कूल ने कोई कार्रवाई नहीं की.
जब महिला ने वैन चालक आरिफ से इस बारे में बात की, तो उसने धमकी दी कि अगर परिवार ने इस मामले को आगे बढ़ाया तो वह बच्ची को नुकसान पहुंचाएगा. पुलिस को संदेह है कि आरोपी ने पहले भी अन्य युवतियों या बच्चियों को निशाना बनाया होगा. मामले की जांच से जुड़े एक अधिकारी कहते हैं, "जांच जारी है और एक टीम वैन से आने जाने वाले बच्चों से जानकारी जुटा रही है."
लखनऊ में स्कूली वैन में चार साल की बच्ची के साथ हुई रेप की घटना ने सुरक्षा से जुड़े कई सवाल खड़े कर दिए हैं. यह पहला मामला नहीं है जब स्कूली वैन बच्चों के लिए आफत बन गई हो. इससे पहले पिछले 24 दिसंबर को कानपुर में स्कूल वैन ड्राइवर ने 12 साल की एक छात्रा से वैन में ही रेप किया था.
बीते कुछ महीनों के भीतर यूपी के अलग-अलग जिलों से स्कूली वैन की दुर्घटनाओं के कई सारे मामले सामने आए हैं (देखें : लगातार बढ़ रही दुर्घटनाएं). अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार श्रीवास्तव बताते हैं, “स्कूल प्रबंधन और अभिभावक भी इस बात की पड़ताल नहीं करते कि स्कूली बस या वैन ड्राइवर का चरित्र कैसा है? उसका पुलिस वेरिफिकेशन हुआ है कि नहीं? इस लापरवाही का फायदा उठाकर कई बार अपराधी प्रवृति के ड्राइवर भी स्कूली वैन से बच्चों को ले जा रहे हैं.”
लखनऊ में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत मिशन भरोसा पोर्टल पर दर्ज स्कूली वाहन ड्राइवरों का ब्योरा उनकी आपराधिक गतिविधियों की तस्दीक कर रहा है. मिशन भरोसा प्रोजेक्ट के तहत स्कूली वाहन चालकों का पुलिस वेरिफिकेशन कराया गया है जिसके नतीजे बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से काफी चिंताजनक हैं. लखनऊ में “मिशन भरोसा” प्रोजेक्ट से मिली जानकारी के अनुसार अब तक पोर्टल पर 355 स्कूल, 5184 वाहन और 2465 चालकों को रजिस्टर किया जा चुका है.
पोर्टल पर रजिस्टर्ड सभी ड्राइवरों का कैरेक्टर सर्टिफाई कराते हुए आइकार्ड भी जारी किए गए हैं. स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहन ड्राइवरों के पुलिस वेरिफिकेशन में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं. कई मामलों में ड्राइवरों का पता गलत पाया गया है तो कई वाहनों का ब्योरा भी जांच में सही नहीं पाया गया. कई ड्राइवरों के खिलाफ गंभीर अपराधों के केस तक दर्ज हैं. इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिनके खिलाफ सात से आठ धाराओं में केस दर्ज हैं.
हालांकि ड्राइवरों का कहना है कि उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया गया है. लखनऊ में रेप का मामला सामने आने के बाद पुलिस 'मिशन भरोसा' में आपराधिक मामलों में फंसे ड्राइवरों की जांच में जुट गई है. इस बीच मिशन भरोसा में रिकॉर्ड दर्ज होने के चलते कई स्कूलों ने अपने वाहन बंद कर दिए हैं. ऐसे में स्कूल और स्टूडेंट्स की संख्या लगातार बढ़ने के बावजूद लखनऊ में स्कूली वाहनों की संख्या 2622 कम हो गई हैं.
शिक्षण संस्थानों पर अपने वाहनों के रखरखाव का जिम्मा भी होता है. लखनऊ में यातायात विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, “21 सितंबर 2024 को बैठक में स्पष्ट किया गया था कि स्कूल प्रबंधन को प्राइवेट स्कूली वाहनों की भी जिम्मेदारी लेनी होगी. वे यह कहकर नहीं बच सकेंगे कि घटना निजी वाहन से हुई. हालांकि, इसके बाद भी स्कूल प्रबंधन खास ध्यान नहीं दे रहे हैं. लखनऊ में बच्ची से रेप की घटना स्कूल प्रबंधन की इसी लापरवाही का नतीजा है.”
परिवहन विभाग ने लखनऊ के 300 स्कूलों को हाल ही में नोटिस जारी किया है, जिसमें स्कूली वाहनों में सुरक्षा के इंतजाम व फिटनेस करवाने को कहा गया है. इसके लिए उन्हें एक महीने की मियाद दी गई है. परिवहन आयुक्त बी. एन. सिंह बताते हैं कि स्कूली वाहनों के खिलाफ पहली जुलाई से चेकिंग अभियान चलाया गया था जिसमें काफी अच्छी कार्रवाई हुई थी. सिंह के मुताबिक ऐसे अभियान फिर से चलाए जाएंगे, ताकि स्कूली बच्चों की सुरक्षा से समझौता न हो. हालांकि ऐसे दावों को अमल में लाना एक बड़ी चुनौती भी है.
लगातार बढ़ रहीं दुर्घटनाएं :
1. कन्नौज जिले में विधुना-सौरिख फोरलेन रोड पर 21 जुलाई की सुबह सवा नौ बजे कन्नौज डिग्री कालेज के सामने विपरीत दिशा में खड़ी स्कूली वैन को डंपर ने टक्कर मार दी. इसमें 13 छात्र और चालक घायल हो गए.
2. आगरा के बाग मुजफ्फर खां इलाके में 2 जुलाई को सेंट जार्जेज स्कूल सेकेंड यूनिट के बाहर दोपहर एक बजे छुट्टी के वक्त बच्चों के बैठने के बाद स्कूली वैन पीछे नाले में गिर गई. इसमें 11 बच्चे घायल हो गए.
लखनऊ के आलमबाग इलाके में 13 नवंबर 2024 को फतेहअली रोड स्थित राजकीय उद्यान के सामने गलत दिशा से आ रही इको वैन ने स्कूली बच्चों को ले जा रहे दो ईरिक्शा पर टक्कर मार दी. ई रिक्शा पर सवार 12 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए.
3. लखनऊ में पारा के मुजफ्फरखेड़ा गांव के पास 24 सितंबर, 2024 की सुबह सेंट मेरी इंटरकालेज की तेज रफ्तार वैन साइकिल सवार छात्रा को टक्कर मारने के बाद दुकान से टकरा गई. हादसे में वैन सवार सात बच्चे चोटिल हो गए.
4. कानपुर के सेन पश्चिम पारा थाना क्षेत्र के न्यू आजाद पुर सकरापुर मोड़ के पास 3 सितंबर, 2024 को 12 स्कूली बच्चों को लेकर जा रही स्कूली वैन ट्रैक्टर ट्राली को रास्ता देने के प्रयास में 10 फीट गहरे नाले में जा गिरी. इसमें 6 बच्चे बुरी तरह घायल हो गए.
5. सीतापुर के पीसावां इलाके में 13 अगस्त 2024 की दोपहर बच्चों को घर छोड़ने जा रही स्कूली वैन को बेकाबू कार ने टक्कर मार दी. इससे वैन में सवार सभी 15 बच्चे घायल हो गए. बिना फिटनेस के दौड़ रही थी वैन.
स्कूली वैन दुर्घटनाओं के मुख्य कारण
- ओवरलोडिंग (अधिक बच्चों को बैठाना) : तय क्षमता से अधिक बच्चों को वैन में ठूंस देना, बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था का अभाव.
- अयोग्य या बिना लाइसेंस वाले ड्राइवर : प्रशिक्षित न होने के बावजूद ड्राइवर का स्कूली वैन चलाना.
- अनुभवहीन या शराब पीकर वाहन चलाना.
- खराब वाहन स्थिति या रखरखाव में कमी : स्कूली वैन में ब्रेक, स्टीयरिंग, लाइट, टायर आदि की खराब स्थिति. नियमित फिटनेस जांच न होना. वैन में सीट बेल्ट, फायर एग्जिंग्विशर, जीपीएस ट्रैकर का न होना. इमरजेंसी निकास का अभाव.
- प्राइवेट गाड़ियों का स्कूल वाहन के रूप में प्रयोग : बिना पंजीकरण या फिटनेस सर्टिफिकेट के निजी वाहन का उपयोग. बिना परमिट चलना.
- स्कूल प्रशासन की लापरवाही : वैन ऑपरेटरों की सही जांच-पड़ताल न करना. बच्चों की सुरक्षा के मानकों की निगरानी में ढिलाई.
- ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन : तेज गति, गलत दिशा में चलाना, रेड लाइट तोड़ना. ज़ेब्रा क्रॉसिंग, स्कूल ज़ोन संकेतों की अनदेखी.
- अभिभावकों की उदासीनता : सस्ती दरों के चक्कर में असुरक्षित स्कूली वैन का चयन. बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल न उठाना.
- बच्चों की अनुशासनहीनता : चलती वैन में खड़े होना, शोर मचाना, दरवाज़ा खोलना और आपस में लड़ना.