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झारखंड : शिबू सोरेन के नाम पर राजनीति शुरू! किसने उठाया पहला कदम?

झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन की प्रतिष्ठा ऐसी है कि उनके निधन को अभी पूरा हफ्ता भी नहीं बीता कि उनकी विरासत के नाम पर राज्य में राजनीति शुरू होती दिख रही है

Shibu Soren
शिबू सोरेन
अपडेटेड 7 अगस्त , 2025

शिबू सोरेन की चिता अभी-अभी ही ठंडी हुई है, इधर उनके नाम पर राजनीति शुरू हो गई है. ऐसा करनेवाले कोई और नहीं, बल्कि अंतिम समय में साथ छोड़ चुके पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन हैं. 

बीजेपी की टिकट पर घाटशिला क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ चुके बाबूलाल सोरेन ने बीते 6 अगस्त को जमशेदपुर में शिबू सोरेन की याद में पूर्वी सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा अस्पताल मोड़ चौक पर एक श्रृद्धांजलि सभा आयोजित की है.. यहां उन्होंने कहा कि वे ‘शिबू सोरेन सेना’ बनाएंगे.  उनका कहना है कि शिबू सोरेन जी का सपना 28 जिलों के साथ झारखंड राज्य का निर्माण था, लेकिन केवल 18 जिले ही शामिल हुए. बाकी को हासिल करना ही उनके प्रति सच्ची श्रृद्धांजलि होगी. बाबूलाल सोरेन के मुताबिक, "दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने वृहद झारखंड का सपना देखा था. उसी को हासिल करने के लिए आंदोलन किया. लेकिन जब राज्य बना, तो वह आधा अधूरा ही रहा.’’ 

बाबूलाल सोरेन दावा करते हैं कि झारखंड में ओडिशा के मयूरभंज, बालेश्वर, क्योंजर, सुंदरगढ़ जिले, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुरा, झारखंग्राम, मदनीपुर जिले और बिहार के जमुई, बांका जैसे आदिवासी बहुल जिलों को भी शामिल किया जाना था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. शिबू सोरेन सेना इसी को हासिल करने के लिए बनाई जा रही है. उनका कहना है कि इसके लिए जल्द ही एक व्यापक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा. 

झारखंड में आदिवासियों के सबसे सम्मानित नेता के निधन को दो-चार दिन ही बीते हैं. लेकिन इतने में ही उनके नाम पर ऐसी घोषणा हड़बड़ी जैसी लगती है. इस पर बाबूलाल सफाई देते हैं, "किसी भी शुभ काम के लिए जल्दबाजी नहीं होती. हमारे पिता जी ने शिबू सोरेन को बड़े भाई और गुरू का दर्जा दिया था. मैंने भी हमेशा उन्हें बड़े पिता के तौर पर ही देखा. यही वजह है कि श्रृद्धांजलि सभा के दौरान भावना में आकर मैंने ये घोषणा कर दी. अब मैं समझ रहा हूं कि भगवान ने ऐसा करने के लिए मुझे चुना है. हमारा हक बनता है कि उनके सपनों को पूरा करें.’’ 

वे आगे यह भी जोड़ते हैं, "ऐसा नहीं है कि यह मेरे अकेले का निर्णय है. मैंने अपने समाज के लोगों से बात कर इसका फैसला लिया है. साथ ही इसकी पूरी जानकारी पिता चंपाई सोरेन को भी दी है. आने वाले 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर एक बड़ी सभा करने जा रहे हैं. जहां सेना के पदाधिकारियों का गठन, उसके कामकाज का प्रारूप तैयार होगा. हम दिशोम गुरू की तरह सेवा और लड़ाई का रास्ता नहीं छोड़ेंगे.’’ 

पांच अगस्त को जब चंपाई सोरेन शिबू सोरेन को श्रृद्धांजलि देने गए, तो वे फफक पड़े. अपने बेटे के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री ने फिलहाल कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. 

बीजेपी ने किया किनारा, JMM ने कहा सही समय नहीं 

वहीं बीजेपी ने अपने नेता के इस बयान से फिलहाल किनारा कर लिया है. पार्टी के प्रवक्ता अजय शाह कहते हैं, "बाबूलाल सोरेन ने शिबू सोरेन के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधो के आधार पर ऐसी घोषणा की होगी. ये  पार्टी लाइन नहीं है. अगर कोई अपने व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर घोषणा कर रहा है, तो इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है.’’ 

वहीं इस पूरे प्रकरण पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा, "ऐसा करने का ये सही वक्त नहीं है. राजनीतिक विरोधी भी इस वक्त सम्मान में सर झुकाए खड़े हैं. लोग अभी श्राद्धकर्म को विधिवत पूरा करने में व्यस्त हैं.’’ हालांकि वे आगे यह भी जोड़ते हैं, "बाबूलाल सोरेन को मैं एक गंभीर राजनेता नहीं मानता. वो चंपाई सोरेन के बेटे हो सकते हैं, लेकिन उनसे पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है. इससे पहले भी पार्टी छोड़ने का फैसला और फिर उसके बाद की बयानबाजी, उनकी अपरिपक्वता ही दिखाती है.’’ 

बाबूलाल सोरेन का राजनीतिक करियर 

साल 2024 में विधानसभा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले 28 अगस्त को चंपाई सोरेन ने JMM से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 30 अगस्त 2024 को उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था. उनके साथ बेटे बाबूलाल सोरेन भी बीजेपी में शामिल हो गए. 

इस्तीफा देते समय उन्होंने शिबू सोरेन के नाम एक पत्र भी लिखा था. जिसमें उन्होंने कहा था, “JMM की मौजूदा कार्यशैली से व्यथित होकर उन्हें पद छोड़ने के लिए विवश होना पड़ रहा है. आपके मार्गदर्शन में जिस पार्टी का सपना हम जैसे कार्यकर्ताओं ने देखा था, जिसके लिए हमने जंगलों, पहाड़ों, गांवों की खाक छानी थी, आज वो अपनी दिशा से भटक चुकी है.”  

बदले में बीजेपी ने उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़वाया. उनके प्रचार के लिए प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और बीजेपी नेता मिथुन चक्रवर्ती ने प्रचार किया था. लेकिन वे जेएमएम के कद्दावर नेता रामदास सोरेन से 20 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हार गए. 

रामदास सोरेन इस वक्त राज्य के शिक्षा मंत्री हैं और फिलहाल गंभीर स्वास्थ्य हालात से जूझ रहे हैं. सिर में चोट लगने के बाद उन्हें गंगाराम अस्पताल नई दिल्ली में भर्ती किया गया है और वेंटिलेटर पर रखा गया है. 

इन सब के बीच सीएम हेमंत सोरेन रामगढ़ जिले के गांव नेमरा में अपने पिता के श्राद्धकर्म से संबंधित रीतियों को निपटा रहे हैं. वे गांववालों के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं. एक्स पर उन्होंने लिखा, "नेमरा की यह क्रांतिकारी और वीर भूमि, दादाजी की शहादत और बाबा के अथाह संघर्ष की गवाह है. यहां के जंगलों, नालों-नदियों और पहाड़ों ने क्रांति की उस हर गूंज को सुना है. हर कदम, हर बलिदान को संजोकर रखा है.”

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