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उत्तर प्रदेश में RSS और योगी आदित्यनाथ का तालमेल बढ़ा; आखिर क्या है इरादा?

24 नवंबर को RSS के अयोध्या स्थित दफ्तर में संगठन प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच एक बैठक हुई थी और बाद में लखनऊ में भी ऐसी बैठकों की खबर आई

cm yogi adityanath and rss chief mohan bhagwat hindutva politics
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ
अपडेटेड 4 दिसंबर , 2025

क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और BJP ने उत्तर प्रदेश में बड़े बदलाव की दिशा में काम की शुरुआत कर दी है? संघ और योगी आदित्यनाथ की सरकार पिछले दो हफ्तों के दौरान लगातार संपर्क में रहकर राज्य में अगले दौर के काम का मंच तैयार करते दिख रहे हैं.

लखनऊ और अयोध्या में बंद कमरों में हुई एक के बाद एक बैठकों ने एक बार फिर संघ के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बढ़ती नजदीकी की तरफ ध्यान दिलाया, वह भी तब जब BJP 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने संगठन की तैयारियों का नए सिरे से मूल्यांकन कर रही है. सूत्रों के अनुसार, RSS के पदाधिकारी 18 से 26 नवंबर के बीच उत्तर प्रदेश के मंत्रियों, बड़े अफसरशाहों और BJP के नेताओं से मिले और सीधा फीडबैक लिया कि सरकार कैसी चल रही है. चर्चा रोजमर्रा के राजकाज के मसलों, दुरुस्त की जाने वाली खामियों, और अगले चुनावी चक्र से पहले तालमेल मजबूत करने के तरीकों के इर्द-गिर्द घूमती रही.

सूत्रों ने दावा किया कि इसके बाद 24 नवंबर को संघ के अयोध्या दफ्तर में RSS के प्रमुख मोहन भागवत और आदित्यनाथ के बीच बैठक हुई. बातचीत करीब घंटे भर चली. जैसी कि संभावना था, बाद में इस मुलाकात के बारे में चर्चाएं और बढ़ गईं जिसे लेकर पहले ही अटकलें लगाई जा रही थीं.

यह सब तब हुआ जब 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीद से कमतर प्रदर्शन के बाद BJP की राज्य इकाई में बेचैनी का माहौल है. BJP ने राज्य की 80 संसदीय सीटों में से 33 जीतीं, जो 2019 में उसकी झोली में आई 62 सीटों से तकरीबन आधी थीं.

BJP के नेतृत्व ने किसी तरह की अनबन से सार्वजनिक तौर पर इनकार किया, लेकिन राज्य सरकार और संगठन के बीच मतभेदों की फुसफुसाहटें अंदरूनी चर्चाओं में उठती रही हैं. संघ की राय में BJP अगले विधानसभा चुनाव से पहले संगठन में ढिलाई गवारा नहीं कर सकती. फिलहाल चल रही इन चर्चाओं का एक प्रमुख हिस्सा यह भी रहा है कि विधायक और जिले के नेताओं के बीच जमीन पर तालमेल कैसा है. RSS के पदाधिकारियों ने उन मामलों की तरफ ध्यान दिलाया जिनमें BJPके कुछ नेता उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे.

सूत्रों के मुताबिक योजना यह है कि साफ चेतावनी दी जाए, जनता के साथ सीधे जुड़ाव पर जोर दिया जाए और यह पक्का किया जाए कि जिलों के प्रभारी मंत्री वहां RSS के प्रतिनिधियों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखें. मकसद उस तालमेल को गहरा करना है जिसे वे सरकार, पार्टी और संघ के बीच ‘त्रिवेणी’ तालमेल कहते हैं.

यह ज्यादा व्यापक राजनैतिक परियोजना भी है. बिहार विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद समझा जाता है कि RSS और BJP कामयाबी का वही फॉर्मूला उत्तर प्रदेश में भी दोहराना चाहते हैं. BJP के बड़े नेता 2027 के चुनाव को निर्णायक चुनाव बता रहे हैं जिसमें पार्टी का लक्ष्य सत्ता में कार्यकाल की हैट-ट्रिक लगाना होगा. संघ की प्राथमिकता हिंदू समाज के भीतर सामाजिक सौहार्द के नैरेटिव पर जोर देना और दशकों से उत्तर प्रदेश की राजनीति को गढ़ते आ रहे जातिगत विभाजनों को कम करना है. उनका मानना है कि इससे BJP को समाजवादी पार्टी की अगुआई में विपक्ष की तरफ से की जा रही जाति आधारित लामबंदी को भौंथरा करने में मदद मिलेगी.

RSS और BJP के लिए उत्तर प्रदेश राजनैतिक दिल बना हुआ है. संघ का नेतृत्व इस राज्य को सामाजिक सुसंगति और सांस्कृतिक पहचान के बारे में अपने दीर्घकालिक विचारों के मुख्य अखाड़े के रूप में देखता है. BJP इसे राष्ट्रीय सत्ता को कायम रखने के लिए बेहद जरूरी मानती है. राजनैतिक जानकारों का कहना है कि अब जब दोनों घनिष्ठता से मिलकर काम कर रहे हैं और आदित्यनाथ को इस परियोजना का चेहरा बनाया गया है, अगले कुछ महीने बेहद अहम होने वाले हैं. 2027 की लड़ाई ज्यों-ज्यों करीब आ रही है, जमीन पर और ज्यादा तालमेल, संदेशों और राजनैतिक गतिवधियों के लिए तैयार रहिए.  

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