अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अगले दिन उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने स्थानीय प्रशासन के होश उड़ा दिए थे. 22 जनवरी की रात से ही करीब पांच लाख श्रद्धालुओं ने राम लला की दर्शन की आस में अयोध्या में बिड़ला धर्मशाला के सामने रामपथ पर डेरा जमा लिया था.
आलम यह था कि सुबह होते-होते राम मंदिर को जाने वाली सभी सड़कें भक्तों से पट गईं. हालांकि प्रशासन ने इन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. ऐसे में 23 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या पहुंचकर खुद मोर्चा संभाला. अयोध्या जाने वाली सड़कें सील कर दी गईं.
राम मंदिर के आसपास बैरिकेडिंग करके श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था हुई. अगले 24 घंटे के दौरान जब पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के दर्शन के बाद भीड़ कुछ व्यवस्थित हुई तो प्रशासन ने राहत की सांस ली. 22 जनवरी के बाद से अब तक करीब 25 लाख से अधिक श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर चुके हैं. हालांकि अब आने वाले त्योहार के दिन अयोध्या में भीड़ प्रशासनिक क्षमता का एक बार फिर इम्तिहान लेगी.
अयोध्या में राम पथ पर एक बड़े होटल के संचालक विनोद सिंह बताते हैं, "फरवरी-मार्च में बच्चों की परीक्षा के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है. अभी लोग परिवार समेत कम आ रहे हैं. मार्च में होली के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से इजाफा होगा. इस बार रामनवमी पर यह भीड़ अपने चरम पर होगी."
चूंकि नवनिर्मित राम मंदिर में ऐसी तकनीकी व्यवस्था की गई है कि रामनवमी पर सूर्य की किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर पड़ेंगी. इस दिव्य क्षण को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के अयोध्या में जुटने की उम्मीद है. जिला प्रशासन ने भी इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए योजना तैयार करना शुरू कर दी है.
अयोध्या में गाड़ियों और पैदल यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए, 17 अप्रैल को रामनवमी समारोह से पहले 15 अप्रैल तक दो नए सड़क गलियारे क्षीरसागर पथ और सुग्रीव पथ चालू करने की योजना प्रशासन ने तैयार की है. इन सड़क गलियारों को क्रमश: अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन को राम पथ और हनुमान गढ़ी को जन्मभूमि पथ से जोड़ने के लिए विकसित किया जा रहा है.
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने तीन गलियारों को विकसित करने के लिए पहले ही 49 करोड़ रुपए मंजूर कर दिए हैं, जिसमें निर्माण लागत और निजी भूमि अधिग्रहण के लिए धन शामिल है. सुग्रीव पथ को 12 करोड़ रुपए और क्षीरसागर पथ को 20 करोड़ रुपए के बजट से विकसित किया जाएगा. तीसरा मार्ग, अवध आगमन पथ, 300 मीटर से अधिक लंबा होगा, जो रेलवे स्टेशन रोड और राम पथ को जोड़ेगा. अवध आगमन पथ का निर्माण अयोध्या में रिकॉर्ड भीड़ वाले समारोहों जैसे दीपोत्सव आदि के दौरान मोटर वाहनों की आवाजाही के लिए एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में की गई है. इस वैकल्पिक मार्ग को विकसित करने के लिए 17 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है.
क्षीर सागर पथ की चौड़ाई 21 मीटर होगी, जिसमें से 15 मीटर पर एक सड़क कैरिजवे विकसित किया जाएगा. सर्वेक्षण के दौरान आधा दर्जन आश्रमों और धर्मशालाओं के साथ 23 निजी भवनों और 38 दुकानों की पहचान की गई है, जिन्हें गलियारा विकसित करने के लिए तोड़ा जाना है. अयोध्या मंडल के आयुक्त गौरव दयाल बताते हैं, "श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए नए गलियारों की आवश्यकता है. मोटर वाहनों की आवाजाही को सुव्यवस्थित करने के लिए यातायात व्यवस्था में भी बदलाव किए जाएंगे."
राम मंदिर के नजदीक राम पथ पर 'ड्रॉप ऑफ पॉइंट' निर्धारित करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है. प्रशासन को उम्मीद है कि राम नवमी से पहले भीड़ नियंत्रण की यह योजना हकीकत में उतर चुकी होगी. भीड़ प्रबंधन की बारीकियों को जानने के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा अपनाई गई तकनीकों का अध्ययन करने का निर्णय लिया है.
तिरुमाला तिरुपति मंदिर साल भर में 2.4 करोड़ से अधिक और हर दिन औसतन लगभग 60,000 श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. टीटीडी को भक्तों को किसी भी कठिनाई के बिना कतार लाइनों को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए जाना जाता है, जो पीठासीन देवता के दर्शन के लिए मंदिर के क्यू कॉम्प्लेक्स में घंटों तक खड़े रहते हैं.
तिरुमाला में मंदिर के अलावा, टीटीडी देश भर में लगभग पांच दर्जन मंदिरों का प्रबंधन करता है. जानकारी के मुताबिक जल्द ही अयोध्या से एक टीम टीटीडी द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम भीड़ प्रबंधन प्रथाओं का अध्ययन करने के लिए तिरुमाला जाएगी. अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन समारोह के दौरान, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अधिकारियों ने टीटीडी के अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी के साथ भीड़ प्रबंधन की तकनीकों पर चर्चा की थी.