राजस्थान में कम अंतर से हार-जीत वाली सीटों पर भाजपा और कांग्रेस इस बार अलग-अलग रणनीति अपना रही हैं. भाजपा ने 124 उम्मीदवारों की सूची में कम अंतर से हारने और जीतने वाली एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार बदले हैं वहीं कांग्रेस ने ऐसी सीटों पर निर्दलीय चुनाव जीतने वाले नेताओं को मौका दिया है.
राजस्थान में 2018 में 9 सीटें ऐसी थी जिनमें हार-जीत का अंतर एक हजार वोटों से भी कम था वहीं 29 सीटें ऐसी हैं जहां हार-जीत का अंतर 5 हजार वोटों से कम रहा. इनमें से अधिकांश सीटें ऐसी हैं जहा हार और जीत में निर्दलीय और अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों की अहम भूमिका रही. कांग्रेस ऐसी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को साधने में लगी है तो भाजपा अपने बागी उम्मीदवारों को मौका देने में जुटी है.
राजस्थान में 2018 में 1000 से भी कम वोटों से हार-जीत का अंतर वाली सीटों में भीलवाड़ा जिले की आसींद, सीकर जिले की फतेहपुर और दांतारामगढ़, झुंझुनूं जिले की खेतड़ी, पाली की मारवाड़-जंक्शन, हनुमानगढ़ की पिलीबंगा, जैसलमेर की पोकरण, बाड़मेर की सिवाना और बूंदी जिले की बूंदी विधानसभा सीटें शामिल हैं.
इसके अलावा जिन 29 सीटों पर हार और जीत के बीच का अंतर 5 हजार वोटों से भी कम रहा उनमें उदयपुर की वल्लभनगर, अलवर की तिजारा और बहरोड़, झुंझनूं की सूरजगढ़ और मंडावा, जयपुर की शाहपुरा, फुलेरा, बगरू, चौमूं और चाकसू, कोटा की सांगोद, डूंगरपुर की सागवाड़ा और आसपुर, बाड़मेर की पचपदरा और चौहटन, भरतपुर की नदबई, नागौर की नावां और मकराना, अजमेर की मसूदा और ब्यावर, राजसमंद की भीम, सीकर की खंडेला, झालावाड़ की खानपुर, बांसवाड़ा की घाटोल, बारां की छबड़ा, जोधपुर की भोपालगढ़, चित्तौड़गढ़ की बेगूं, दौसा की बांदीकुई और चूरू जिले की चूरू विधानसभा सीट शामिल हैं. इन 38 सीटों पर हार-जीत में निर्दलीय, छोटी पार्टियों और नोटा को मिले वोटों का अहम योगदान रहा.
भाजपा ने कम अंतर वाली 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं. भाजपा ने झुंझुनूं, तिजारा, सूरजगढ़, मकराना, घाटोल, बांदीकुई, चूरू, फतेहुपर और दांतारामगढ़ में अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं वहीं कांग्रेस ने मारवाड़ जंक्शन में पिछली बार निर्दलीय जीतने वाले खुशवीर सिंह जोजावर को मौका दिया है. चूरू से पिछली बार भाजपा के विधायक रहे राजेंद्र राठौड़ को इस बार तारानगर भेजा गया है. हालांकि कम अंतर से हार-जीत वाली कई सीटों पर अभी तक दोनों ही पार्टियां अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पाई हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दोनों ही पार्टियां इन सीटों पर उम्मीदवार बदलना चाहती हैं जिसके कारण टिकटों की घोषणा में देरी हो रही है.
उदयपुर जिले की वल्लभनगर सीट पर पिछली बार कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत और जनता सेना राजस्थान के रणधीर सिंह भींडर के बीच मुकाबला था. भींडर को यहां 3719 वोटों से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन तीसरे नंबर पर रहे भाजपा के उदयलाल डांगी यहां 46 हजार 667 वोट ले गए. इस बार कांग्रेस ने गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति गजेंद्र शक्तावत को मौका दिया है. भाजपा अभी तक फैसला नहीं कर पाई है. बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार जनता सेना के रणधीर सिंह को अपने साथ लाकर उन्हें मौका दे सकती है.
2018 में अलवर जिले की तिजारा सीट पर बसपा के संदीप कुमार ने कांग्रेस के एमामुद्दीन अहमद उर्फ दुरू मियां को 4457 वोटों से हराया था. भाजपा के संदीप दायमा 41 हजार 345 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे. भाजपा ने इस बार संदीप दायमा की जगह अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को मौका दिया है. कांग्रेस अभी यहां प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है.
झुंझुनूं जिले की सूरजगढ़ सीट पर पिछली बार भाजपा के सुभाष पूनियां ने कांग्रेस के श्रवण कुमार को 3425 वोटों से मात दी थी. बसपा के करमवीर यादव ने यहां 30 हजार 948 वोट हासिल किए थे. इस बार भाजपा ने सुभाष पूनिया का पत्ता काटकर पूर्व सांसद संतोष अहलावत को मौका दिया है वहीं कांग्रेस ने श्रवण कुमार पर ही दांव खेला है. जयपुर जिले की शाहपुरा से पर 2018 में निर्दलीय आलोक बेनीवाल ने कांग्रेस के मनीष यादव को 3855 वोटों से चुनाव हराया था. भाजपा के राव राजेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों ही उम्मीदवार तय नहीं कर पाई हैं.
जयपुर जिले की फुलेरा सीट पर 2018 में भाजपा के निर्मल कुमावत ने कांग्रेस के विद्याधर सिंह को 1132 मतों से मात दी थी. इस बार भाजपा ने तीन बार विधायक रह चुके निर्मल कुमावत को मौका दिया है जबकि कांग्रेस अभी फैसला नहीं कर सकी है. बाड़मेर जिले की पचपदरा सीट पर कांग्रेस के मदन प्रजापत ने भाजपा के पूर्व मंत्री अमराराम को 2395 वोटों से हराया था. इस बार कांग्रेस ने मदन प्रजापत को मौका दिया है, जबकि भाजपा अभी फैसला नहीं कर पाई है.
भरतपुर जिले की नदबई से पिछली बार बसपा के जोगेंद्र सिंह अवाना ने भाजपा की कृष्णेंद्र कौर दीपा को 4094 वोटों से शिकस्त दी थी. कांग्रेस के हिमांशु कटारा यहां तीसरे नंबर पर रहे थे. इस बार दोनों ही दल यहां फैसला नहीं कर पा रहे हैं. कांग्रेस पांच साल तक साथ देने वाले जोगेंद्र सिंह अवाना पर दांव खेलना चाहती है. नागौर जिले की मकराना सीट पर पिछली बार भाजपा के रूपा राम ने कांग्रेस के जाकिर हुसैन गैसावत को 1488 वोटों से हराया. निर्दलीय गंगाराम ने यहां हार-जीत के अंतर से ज्यादा 2588 वोट हासिल किए. इस बार भाजपा ने रूपा राम का टिकट काटकर सुमिता भींचर को मौका दिया है.
बांसवाड़ा जिले की घाटोल सीट से पिछली बार भाजपा के हरेंद्र निनामा ने कांग्रेस नानालाल निनामा को 4449 वोट से हराया था. इस बार भाजपा ने हरेंद्र निनामा को टिकट काटकर पूर्व विधायक मानशंकर निनामा को मौका दिया है. यहां निर्दलीय नरेंश कुमार ने हार-जीत के अंतर से ज्यादा 4460 वोट लिए. डूंगरपुर जिले की आदिवासियों के लिए आरक्षित सागवाड़ा सीट पर पिछली बार भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के रामप्रसाद ने भाजपा के शंकर लाल को 4582 वोटों से चुनाव हराया था. कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार 41 हजार वोट लेकर तीसरे नंबर पर पिछड़ गए थे. इस बार भाजपा ने शंकर लाल डेचा को ही मौका दिया है जबकि कांग्रेस अभी तक उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है.
हार-जीत में अन्य की भूमिका
बारां जिले की छबड़ा सीट पर पिछली बार भाजपा के प्रताप सिंह सिंघवी ने कांग्रेस के करण सिंह को 3744 वोट से मात दी. यहां निर्दलीय वीरभद्र सिंह 14 हजार 252 वोट लेकर बाजी पलट दी. जयपुर की चौमूं सीट पर भाजपा के रामलाल शर्मा ने कांग्रेस के भगवान सहाय सैनी को 1288 वोटों से हराया. यहां आरएलपी के छुट्टन लाल यादव 39 हजार 42 वोट लेकर समीकरण बिगाड़ दिए थे.
जोधपुर जिले की भोपालगढ़ सीट पर आरएलपी के पुखराज गर्ग ने कांग्रेस के भंवरलाल बलाई को 4962 वोट से हराया. भाजपा की कमसा को यहां 45 हजार वोट मिले. राजसमंद जिले की भीम सीट पर कांग्रेस के सुदर्शन सिंह रावत ने भाजपा के हरी सिंह रावत को 3714 वोट से हराया. निर्दलीय अजय सोनी यहां 35 हजार 722 वोट ले गए. अजमेर जिले की ब्यावर सीट से भाजपा के शंकर सिंह रावत ने कांग्रेस के पारसमल जैन को 4502 वोटों से मात दी. निर्दलीय देवेंद्र सिंह चौहान यहां 18 हजार 674 वोट ले गए.
चित्तौड़गढ़ जिले की बेगूं सीट से कांग्रेस के राजेंद्र सिंह विधूड़ी ने भाजपा के डॉ. सुरेश धाकड़ को 1661 वोट से हराया. निर्दलीय गोपाल लाल भील 10 हजार 919 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे. जयपुर की बगरू सीट पर पिछली बार कांग्रेस की गंगादेवी ने भाजपा के कैलाश चंद को 5343 वोट से हराया. निर्दलीय दिनेश राय भाटी ने 15 हजार 796 वोट लेकर भाजपा की हार पक्की कर दी.
अलवर जिले की बहरोड़ सीट पर निर्दलीय बलजीत यादव ने कांग्रेस के रामचंद्र यादव को 3836 वोट से हराया. भाजपा के मोहित यादव को 37 हजार 755 वोट मिले. दौसा जिले की बांदीकुई सीट पर कांग्रेस के गजराज खटाना ने भाजपा के राम किशोर सैनी को 4764 वोट से हराया. बसपा के भागचंद सैनी ने यहां 44 हजार 992 वोट लेकर सारे समीकरण बिगाड़ दिए. इस बार भाजपा ने भागचंद सैनी को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है.
डूंगरपुर जिले की आसपुर सीट पर भाजपा के गोपालचंद मीणा ने बीटीपी के उमेश को 5330 वोट से हराया. कांग्रेस के राइया मीणा को यहां 42 हजार 185 वोट मिले. भीलवाड़ा जिले की आसींद सीट पर पिछली बार हार-जीत का अंतर महज 154 वोटों का रहा. भाजपा के जब्बर सिंह सांखला और कांग्रेस के मनीष मेवाडा के बीच लड़ाई में आरएलपी के मनसुख सिंह ने 42 हजार वोट हासिल कर चुनावी समीकरण बिगाड़ दिए.
सीकर जिले की फतेहपुर सीट पर हार-जीत का 860 वोटों का अंतर रहा. कांग्रेस के हाकम अली ने भाजपा की सुनीता कुमारी को हराया. माकपा और बसपा ने यहां 4500 वोट लिए. इस बार भाजपा ने सुनीता कुमारी की जगह कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालक श्रवण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. झुंझुनूं जिले की खेतड़ी विधानसभा सीट पर पिछली बार 957 वोटों का अंतर रहा था. कांग्रेस के डॉ. जितेंद्र सिंह और भाजपा के धर्मपाल के बीच लड़ाई में बसपा के पूरणमल सैनी 35 हजार 166 वोट ले गए.
सीकर जिले की दांतारामगढ़ सीट पर कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह और भाजपा के हरीशचंद्र कुमावत के बीच 920 वोटों का मामूली अंतर रहा था. माकपा के अमराराम ने यहां 45 हजार 186 वोट हासिल किए. इस बार भाजपा ने यहां से हरीशचंद्र कुमावत की जगह गजानंद कुमावत को मौका दिया है. कांग्रेस ने अभी यहां से उम्मीदवार तय नहीं किया है वहीं माकपा से अमराराम फिर मैदान में हैं.
पाली जिले की मारवाड़- जंक्शन से पिछली बार निर्दलीय खुशवीर सिंह जोजावर ने भाजपा के केशाराम चौधरी को 251 वोटों से मात दी थी. कांग्रेस के जस्साराम राठौड़ यहां 21 हजार 37 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस ने इस बार खुशवीर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने अभी प्रत्याशी चयन नहीं किया है.