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राजस्थान : जन्मदिन के बहाने शक्ति प्रदर्शन! सचिन पायलट ने इसके लिए मेवाड़ ही क्यों चुना?

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सात सितंबर को सांवलिया सेठ के मंदिर में पूजा-अर्चना कर अपना जन्मदिन मनाया और साथ ही राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन भी किया

Sachin pilot in celebrating his birthday on 7th of September 2025 (facebook.com/sachinpilot/photos))
सचिन पायलट मेवाड़ में अपने समर्थकों के बीच
अपडेटेड 9 सितंबर , 2025

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे अपने सियासी अभियानों की शुरुआत अक्सर सूबे के धार्मिक स्थलों से करती रही हैं मगर अब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी बीजेपी नेता की राह पर निकल पड़े हैं. 

पायलट ने इस बार अपना जन्मदिन टोंक या जयपुर में मनाने की जगह मेवाड़ में मनाया. सात सितंबर को मेवाड़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सांवलिया सेठ के मंदिर में पूजा-अर्चना कर पायलट ने अपना जन्मदिन मनाया. इस दौरान कांग्रेस नेता ने जबर्दस्त सियासी शक्ति प्रदर्शन भी किया. 

सियासी जानकारों की मानें तो पायलट ने अपने समर्थकों के इस जमावड़े से यह संदेश देने की कोशिश की है कि मेवाड़-वागड़ में चाहे कांग्रेस अपना जनाधार खोती जा रही है मगर यहां उनकी लोकप्रियता उफान पर है.  

मेवाड़ में राजनीतिक मामलों के जानकार लखन सालवी कहते हैं, ''सचिन पायलट अब राजस्थान की सियासी नब्ज पहचानने लगे हैं.  अब तक दौसा, सवाई माधोपुर और अजमेर जैसे गुर्जर बहुल क्षेत्रों में ही पायलट का ज्यादा फोकस रहा है मगर अब उन्होंने 35 विधानसभा सीटों वाले इस आदिवासी क्षेत्र में अपना दमखम दिखाया है. सचिन पायलट के सियासी भविष्य के लिए तो यह अहम है ही साथ ही कांग्रेस आलाकमान को भी उन्होंने साफ संकेत दिया है कि मेवाड़-वागड़ में भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं है.'' 

पायलट के सांवलिया सेठ मंदिर में जन्मदिन मनाने के पीछे एक वजह ये भी है कि इस मंदिर की देश और प्रदेश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खासी लोकप्रियता है. सांवलिया सेठ को राजस्थान का सबसे अमीर भगवान कहा जाता है क्योंकि यहां हर माह करोड़ों रुपए का चढ़ावा भगवान को पार्टनर मानकर चढ़ाया जाता है. 

व्यापार जगत में सांवलिया सेठ की इतनी ख्याति है कि लोग अपना व्यापार बढ़ाने के लिए उन्हें अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं. यानी, अपने व्यवसाय का एक हिस्सा वो सांवलिया सेठ मंदिर में दान करते हैं. यहां देश ही नहीं बल्कि कई प्रवासी भारतीय भक्त भी आते हैं. ये विदेशों में अर्जित आय में से सांवलिया सेठ का हिस्सा चढ़ाते हैं. इसलिए हर माह खुलने वाले भंडारे से डॉलर, अमरीकी डॉलर, पाउंड, दीनार, रियॉल आदि के साथ कई देशों की मुद्रा निकलती है. इसके अलावा यहां सोना-चांदी और अन्य बहुमूल्य रत्न भी बड़ी मात्रा में चढ़ाए जाते हैं. 

दिलचस्प बात है कि इस मंदिर में पूजा अर्चना का काम शुरुआत से ही गुर्जर पुजारी संभालते हैं. बताया जाता है कि मंदिर में स्थापित मूर्तियां भोला राम गुर्जर नाम के एक ग्वाले को सपने में नजर आई थीं. इसी के चलते यहां पूजा गुर्जर पुजारी करते हैं. 

धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ ही मेवाड़-वागड़ सियासी मायनों में भी बहुत खास है. कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाने वाले इस क्षेत्र में अब भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) का वर्चस्व बढ़ रहा है.  आंकड़ों पर नजर डालें तो मेवाड़-वागड़ क्षेत्र में पिछले दो दशक में कांग्रेस का जनाधार बहुत तेजी के साथ खिसका है. 

2018 में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) और अब भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के उभार ने कांग्रेस को इस क्षेत्र में बड़ा नुकसान किया है. सियासी जानकार कहते हैं कि मेवाड़-वागड़ में कांग्रेस का वोट बैंक अब BAP की तरफ फिसलता जा रहा है. यही कारण है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में 35 सीटों वाले मेवाड़-वागड़ क्षेत्र में कांग्रेस के हिस्से महज 6 सीटें आई. फिलहाल यहां 23 सीटों पर बीजेपी काबिज है और 4 पर BAP का कब्जा है. दो विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीय विधायक हैं. 

इसी तरह 2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस तो सरकार ने बनाई लेकिन मेवाड़-वागड़ क्षेत्र में वह सिर्फ 12 सीटों पर सिमट कर रह गई. तब बीजेपी को यहां 20 सीटें मिली थीं.  दो पर BTP और एक जगह निर्दलीय विधायक चुने गए. 2013 के विधानसभा चुनाव में तो यहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. उस वक्त कांग्रेस को यहां आजादी के बाद की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा और वह 35 में से सिर्फ तीन सीटों तक सिमट कर रह गई. 2013 में यहां बीजेपी को 31 सीटें मिलीं वहीं एक सीट पर निर्दलीय विधायक चुने गए. 

मेवाड़ में राजनीतिक मामलों के जानकार सरफराज अहमद कहते हैं, ''BAP के उफान ने इस क्षेत्र में कांग्रेस का जनाधार खिसका दिया है. अब कोई सियासी चमत्कार ही यहां कांग्रेस के वापस पैर जमा सकता है. सचिन पायलट के इसी चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है.'' 

जब यह पायलट का शक्ति प्रदर्शन था तो इसमें उनके समर्थकों खुली छूट थी, शायद एक इशारा भी, इसीलिए यहां उनके समर्थक जोर-शोर से ‘हमारा सीएम कैसा हो, सचिन पायलट जैसा हो’  का नारा लगाते दिखे. वहीं पायलट ने भी अपने संबोधन में मेवाड़ के सियासी मायनों का जिक्र किया. पायलट ने कहा, ''मेवाड़ की धरती ही सत्ता का रास्ता तय करती है, इतनी बड़ी तादाद में कार्यकर्ताओं का आना यह दिखाता है कि तीन साल बाद राजस्थान में कांग्रेस की बंपर वापसी होगी.''  

राजस्थान कांग्रेस में अब तक शक्ति का सबसे बड़ा केंद्र रहे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास फिलहाल पार्टी का कोई औपचारिक पद नहीं है. इसके बावजूद वे बीते कुछ समय से गाहे-बगाहे राजस्थान के कई क्षेत्रों में दौरा कर चर्चा में बने हैं. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी करीब-करीब रोजाना ही अपनी टिप्पणियों से वे भजनलाल सरकार को घेरते हैं.

इस मायने में भी सचिन पायलट का शक्ति प्रदर्शन अहम है. एक तरह से उन्होंने पार्टी आलाकमान और कार्यकर्ताओं को यह मैसेज देने की कोशिश की है कि अगला विधानसभा चुनाव अगर कांग्रेस जीती तो वे मुख्यमंत्री पद के सबसे पहले दावेदार होंगे.

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