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राजस्थान में महिलाओं को मिलेगा 50 फीसदी आरक्षण! इससे क्या बदलेगा?

राजस्थान सरकार के एक फैसले के बाद अब राज्य में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के 50 फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे

जयपुर के सरकारी स्कूल में महिला शिक्षक सरकार के फैसले पर खुशी जताती हुईं
जयपुर के सरकारी स्कूल में महिला शिक्षक सरकार के फैसले पर खुशी जताती हुईं
अपडेटेड 16 जून , 2024

राजस्थान में पंचायतीराज संस्थाओं के बाद अब प्राथमिक स्कूलों में भी आधी दुनिया का दबदबा होने वाला है. राजस्थान सरकार ने प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्तियों में महिलाओं के लिए आरक्षण 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए वायदे के तहत यह निर्णय किया है. सरकार ने राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम 1994 में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दी है जिसके तहत राजस्थान में अब तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्तियों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिलेगा. 

राजनीतिक विश्लेषक त्रिभुवन तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में 50 फीसदी आरक्षण के सरकार के इस फैसले को क्रांतिकारी कदम मानते हैं. त्रिभुवन का कहना है, ‘‘ महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देना वक्त की जरूरत है. सरकार को तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती ही नहीं बल्कि अन्य सेवाओं में भी 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान लागू करना चाहिए. अब वक्त आ चुका है कि विधानसभा, लोकसभा और मंत्रिमंडल में भी महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए. ’’  

राजस्थान में सरकारी स्कूलों में बालिकाओं की संख्या ज्यादा होने के बावजूद स्कूली शिक्षा में वर्तमान में महिला और पुरुषों के बीच गहरी खाई है. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में महज 30-32 फीसदी ही महिला शिक्षक हैं. प्रारम्भिक शिक्षा की बात करें तो राजस्थान में कक्षा एक से पांच और छह से आठ तक के स्कूलों में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद  2 लाख 50 हजार हैं. इन पदों पर अभी 1 लाख 95 हजार शिक्षक  कार्यरत हैं. इनमें महिला अध्यापकों की संख्या 30 फीसदी है जबकि 70 फीसदी पदों पर पुरुष शिक्षक काम कर रहे हैं. 

महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण होने के बाद प्रदेश में अब होने वाली नई भर्तियों में 60 फीसदी तक महिला शिक्षकों का चयन हो सकेगा. आरक्षण के प्रावधानों के तहत जो महिलाएं सामान्य श्रेणी में चुनी जाती हैं उन्हें आरक्षित पदों से बाहर रखा जाता है. माध्यमिक शिक्षा की बात करें तो राजस्थान में 10वीं से 12वीं तक के स्कूलों में दो लाख 10 हजार पद स्वीकृत हैं जिनमें से महिला शिक्षकों की संख्या महज 65 हजार है. स्कूल व्याख्याताओं के 56 हजार पदों में से महिला व्याख्याताओं की संख्या महज 20 हजार है. 

राजस्थान में पंचायतीराज और नगरीय विकास संस्थानों में महिलाओं को पहले से ही 50 फीसदी आरक्षण प्राप्त है और नगर निकायों में महिलाओं की हिस्सेदारी 33 फीसदी निर्धारित है. पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को 14 साल पहले साल 2010 में 50 फीसदी आरक्षण दिया गया था. वर्ष 2009 में राजस्थान की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने नगर निकायों में भी महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था, लेकिन सरकार के इस फैसले पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसके बाद से राजस्थान में नगर निकायों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्राप्त है. 

राजस्थान में पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिल रहा है. इन संस्थाओं में महिला जन प्रतिनिधियों की संख्या 60 फीसदी से भी ज्यादा है. प्रदेश में जिला प्रमुख के 33 पदों में से 16 पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, लेकिन 21 में महिला जिला प्रमुख चुनी गई हैं. इसी तरह प्रदेश की 351 पंचायत समितियों में से 206 पंचायत समितियों के प्रधान के पद पर महिलाएं काबिज हैं. पंचायतीराज व्यवस्था की सबसे नीचली कड़ी ग्राम पंचायतों में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व 62 फीसदी से ज्यादा है. राजस्थान की 11341 ग्राम पंचायतों में से 7032 ग्राम पंचायतों में महिलाएं सरपंच हैं. आरक्षण के लिहाज से ग्राम पंचायतों में महिला सरपंचों के लिए 5670 पद आरक्षित हैं, लेकिन 1362 सरपंच आरक्षित पदों से भी ज्यादा चुनी गई हैं.  

इसी तरह राजस्थान में नगर निकाय संस्थाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्राप्त है, लेकिन इन निकायों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 39 फीसदी से भी ज्यादा है. राजस्थान में कुल 196 नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाएं हैं जिनमें से 81 में महिलाएं प्रमुख हैं. आरक्षण के लिहाज से राजस्थान के नगरीय निकायों में 65 पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, लेकिन 16 महिलाएं आरक्षित पदों से ज्यादा चुनकर आई हैं.

प्रदेश के 9 नगर निगम में 6 नगर निगम ऐसे हैं जहां की मेयर महिलाएं हैं. जयपुर और जोधपुर के चारों नगर निगमों में महापौर का पद महिलाएं संभाल रही हैं. कोटा उत्तर और बीकानेर नगर निगम में भी महापौर का पद महिलाओं के पास है. प्रदेश की भरतपुर, उदयपुर और कोटा नगर निगम ही ऐसे हैं जहां पुरुष महापौर हैं. 

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