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राजस्थान की सबसे बड़ी रावण मंडी में भी छाई चुनावी रंगत

जयपुर में राजस्थान की सबसे बड़ी 'रावण मंडी' है जहां दशहरे से पहले हरियाणा तक से लोग रावण के पुतले खरीदने आते हैं

राजस्थान की सबसे बडी रावण मंडी जयपुर में है
राजस्थान की सबसे बडी रावण मंडी जयपुर में है
अपडेटेड 24 अक्टूबर , 2023

जयपुर का आखिर मेट्रो स्टेशन है मानसरोवर. पिछले कई दिन से यह मेट्रो स्टेशन चारों तरफ से रावण के पुतलों से घिरा है. मेट्रो पिलर के साथ दूर-दूर तक जहां तक नजर जाए रावण के पुतले ही पुतले खड़े नजर आते हैं. यह नजारा राजस्थान की सबसे बड़ी रावण मंडी का है. इस मंडी में एक फीट के छोटे से रावण से लेकर 120 फीट तक के विशालकाय रावण मौजूद हैं.

इस बस्ती के रावण मंडी नाम के पीछे भी एक कहानी है. करीब 40 साल पहले जालौर जिले के सांचोर कस्बे से 10 भाई मजदूरी के लिए जयपुर आए थे. जयपुर शहर में खूब भटकने के बाद भी मजदूरी नहीं मिली तो उन्होंने शहर से थोड़ी दूर मानसरोवर के नजदीक बांस की वस्तुएं और मुड्ढे (बांस की कुर्सियां) बनाने का काम शुरू किया.

धीरे-धीरे इन लोगों ने बांस की झोंपड़ी और बांस के पर्दे जैसी चीजें बनाने का काम भी शुरू कर दिया. इस काम में बड़ी मात्रा में बांस व अन्य सामान बच जाता था जिसका कोई उपयोग नहीं हो पाता था.इसी के चलते करीब 22 साल पहले इन्होंने बांस से रावण बनाने का काम शुरू किया.

रावण मंडी कच्ची बस्ती के अध्यक्ष जगदीश महाराज बताते हैं, "शुरुआती साल में हमने करीब 100-200 रावण के पुतले बेचे, लेकिन धीरे-धीरे हमारे बनाए हुए पुतले लोगों को पसंद आने लगे. 100 पुतलों से शुरू हुआ कारोबार अब 15 से 20 हजार रावण के पुतलों तक पहुंच गया है.’’ जगदीश महाराज के 10 भाइयों का परिवार अब 400 से ज्यादा लोगों का कुनबा हो गया है. जगदीश और उनके इस परिवार में 150 से ज्यादा मतदाता हैं. रावण मंडी का यह क्षेत्र जयपुर जिले के झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में आता है.

रावण मंडी में बनाए गए रावण के पुतले
रावण मंडी में बनाए गए रावण के पुतले

 

इस मंडी में बनाए गए रावण के पुतलों की डिमांड सिर्फ जयपुर तक ही सीमित नहीं है बल्कि राजस्थान के कई जिलों और हरियाणा से भी आर्डर के साथ पुतले बनाए जा रहे हैं. रावण मंडी में पिछले 20 साल से पुतले बना रही खिल्ली देवी कहती हैं, "हमें भरोसा है कि इस बार 20 हजार से ज्यादा रावण के पुतलों की ब्रिकी होगी."

इसी उम्मीद में रावण मंडी के करीब 300 कारीगर पिछले एक माह से दिन-रात रावण के पुतले बनाने में जुटे हैं. इस बार विधानसभा चुनाव के कारण कुछ विशेष अंदाज में पुतले बनाए गए हैं. रावण मंडी में कुछ पुतले नेताओं की पोशाक में भी नजर आ रहे हैं. कागज और सफेद कपड़े से तैयार धोती-कुर्ता और सिर पर रंग-बिरंगी राजस्थानी पगड़ी वाले रावण इस बार सभी को आकर्षित कर रहे हैं. लंबी-लंबी मूंछों के साथ इन रावण की आंखों में चमकदार लाइटें भी लगाई गई हैं.

इसके साथ ही इस बार 81 फीट का घूमने वाला रावण भी बनाया गया है. रावण की गर्दन में करीब 10 हजार रुपए से ज्यादा लागत वाली स्प्रिंग लगाई गई हैं, जिसके कारण रावण का पुतला चारों ओर घूमता रहेगा. रावण मंडी में इस बार 100 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक कीमत के पुतले मौजूद हैं. यहां कुछ साल पहले तक सिर्फ रावण के पुतले ही बनाए जाते थे, लेकिन अब रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले भी बनाए जाने लगे हैं.

रावण मंडी बस्ती के अध्यक्ष जगदीश महाराज
रावण मंडी बस्ती के अध्यक्ष जगदीश महाराज

 

चुनाव का असर, इस बार रिकॉर्ड तोड़ बुकिंग

राजस्थान में एक माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का असर इस बार प्रदेश की सबसे बड़ी रावण मंडी में भी नजर आ रहा है. रावण मंडी के अध्यक्ष जगदीश महाराज बताते हैं, "पिछले तीन साल में हम दशहरे पर बहुत बड़े संकट का सामना कर रहे थे, लेकिन इस बार रावण की रिकॉर्ड तोड़ बुकिंग हुई है. पहले जयपुर शहर के प्रमुख पार्क और मैदान में ही रावण के पुतले जलाए जाते थे, लेकिन इस बार हर गांव-मुहल्ले में रावण के पुतले जलाने की तैयारी हो रही है. रावण के पुतलों की ज्यादातर बुकिंग चुनाव लड़ने जा रहे नेताओं और उनके समर्थकों की ओर से कराई गई है.’’ साथ में वे यह भी बताते हैं कि  राजधानी जयपुर में चुनाव में भागीदारी करने जा रहे अधिकांश नेता अपने विधानसभा क्षेत्रों में दशहरे के दिन अधिक से अधिक रावण दहन करने जा रहे हैं. 

'रावण' पर भी महंगाई का असर 

देश में बढ़ती महंगाई से रावण भी अछूता नहीं रहा है. पहले बांस की मोटी लकड़ी से रावण बनाए जाते थे, लेकिन अब उसकी जगह पतली लकड़ी लगाई जाने लगी है. रावण मंडी के कलाकार रामस्वरूप बताते हैं, "पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के कारण केरल और असम से लाया जाने वाला बांस भी महंगा हो गया है. इसके अलावा कागज और रंगीन कपड़े के भाव भी काफी बढ़ गए हैं. यही वजह है कि 50 फीट ऊंचा रावण का एक पुतला बनाने में पहले 6-7 हजार रुपए खर्च होते थे वहीं अब इसकी लागत 10 हजार रुपए से भी ज्यादा हो गई है.’’ 

रावण मंडी के कलाकारों के लिए रावण के पुतले बनाना किसी जुए से कम नहीं है. पिछले तीन साल से अक्टूबर में होने वाली असमय बारिश की वजह से मंडी में तैयार किए गए पुतले बर्बाद हो गए. तीन साल पहले तो दशहरे के एक दिन पहले आई मूसलधारा बारिश में अधिकांश रावण के पुतले खराब हो गए. जगदीश महाराज बताते हैं, "इस बार भी असमय बरसात के कारण कुछ पुतले बर्बाद हुए हैं, लेकिन इस बार चुनाव के कारण मांग अधिक होने से इसकी भरपाई हो जाएगी.’’ 

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