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राजस्थान : विधानसभा में सवाल का सौदा! आदिवासी पार्टी के विधायक पर लगे आरोपों की पड़ताल

राजस्थान के एंटी करप्शन ब्यूरो ने भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के विधायक जयकृष्ण पटेल को विधानसभा में पूछे जाने वाले अपने कुछ सवालों को ड्रॉप करने के एवज में रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया है

BAP MLA Jaikrishna Patel
बीएपी के विधायक जयकृष्णा पटेल
अपडेटेड 5 मई , 2025

जयकृष्ण पटेल. राजस्थान के उभरते हुए एक आदिवासी नेता और बांसवाड़ा जिले के बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक. 11 माह पहले वागड़ के सबसे दिग्गज आदिवासी नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय की सबसे मजबूत सीट रही बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा समर्थित उम्मीदवार को 51 हजार 434 वोटों के भारी-भरकम अंतर से शिकस्त देकर उन्होंने मालवीय और भाजपा के सियासी भविष्य को हासिए पर धकेल दिया था, लेकिन विधायक पद की शपथ लेने के महज 10 दिन बाद ही रिश्वत के खेल में ऐसे उलझा कि अब एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी की गिरफ्त तक पहुंच गए हैं. 4 मई को एसीबी ने जयकृष्ण पटेल को जयपुर में 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया. 

कांग्रेस के टिकट पर 2023 में बागीदौरा से चुनाव जीतने वाले महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था. इस कारण उन्हें विधानसभा से इस्तीफा देना पड़ा. लोकसभा चुनाव में बांसवाड़ा संसदीय क्षेत्र से महेंद्रजीत सिंह मालवीय भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सुप्रीमो राजकुमार रोत के सामने चुनाव हार गए. इसके बाद खाली हुई इस सीट पर बीएपी ने जयकृष्ण पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया. पटेल ने भाजपा के सुभाष तंबोलिया को 51 हजार 434 वोटों के अंतर से शिकस्त देकर पहली बार यहां से पार्टी का खाता खोला.   

14 जून 2024 से शुरू हुए राजस्थान विधानसभा के दूसरे सत्र में 3 जुलाई को जयकृष्ण पटेल ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. इसके ठीक 10 दिन बाद 13 जुलाई को करौली जिले के टोडाभीम क्षेत्र में खनन कंपनी से जुड़ा उनका वह सवाल चिन्हित हुआ जिसको ड्रॉप करने के एवज में पटेल पर रिश्वत लेने के आरोप हैं. 

इंडिया टुडे की पड़ताल में यह सामने आया है कि 16वीं विधानसभा के दूसरे सत्र में विधायक की ओर से कुल 37 सवाल पूछे गए थे जिनमें से 3 सवाल खनन विभाग से जुड़े थे. एसीबी ने रिश्वत के बदले जिन तीन सवालों को ड्रॉप किए जाने का हवाला दिया है उनमें से 6284 नंबर का सवाल 13 जुलाई 2024 को चिन्हित हुआ और उसके कुछ दिन बाद खनन विभाग की ओर से उसका लिखित जवाब पेश किया गया. इस सवाल के जवाब में खनन विभाग ने यह साफ कर दिया था कि टोडाभीम के मोरडा, गडी, कमालपुर, राजौली, धवान, गुढ़ाचंद्रजी गांवों में अवैध खनन की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है और न ही यहां पहाड़ी पर कब्जा कर अवैध फार्म हाउस बनाए गए हैं. 

विधायक ने यह भी पूछा था कि क्या यहां फार्म हाउस में वन्य जीवों को कैद करके रखा गया है, इसके जवाब में खनन विभाग ने स्पष्ट किया कि उप वन संरक्षक करौली की ओर से की गई जांच में यहां किसी तरह के वन्य जीव नहीं पाए गए हैं.

इस प्रश्न का विधानसभा के पटल पर लिखित जवाब आना एसीबी के दावों पर भी सवाल उठाता है क्योंकि यह सवाल न सिर्फ चिन्हित हुआ बल्कि इसका उत्तर विधानसभा के पटल पर भी मौजूद है. इसके अलावा जिन दो सवालों का एसीबी हवाला दे रही है वो विधानसभा की ओर से चिन्हित ही नहीं हुए. विधायक जयकृष्ण पटेल के रिश्वत कांड को लेकर कुछ ऐसी ही आशंका बीएपी के सुप्रीमो और बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने जताई है. 

राजकुमार रोत कहते हैं, ‘‘हमारे विधायक को राजनीतिक साजिश कर फंसाया गया है क्योंकि जिस व्यक्ति ने एसीबी से शिकायत की है वह खुद भाजपा का कार्यकर्ता है और बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुका है. हमें यह पहले से ही सूचना मिल चुकी थी कि हमारी पार्टी के खिलाफ इस तरह का षड़यंत्र चल रहा है, कुछ लोगों ने यह भी कहा था कि विधायक को उनका कार्यकाल पूरा नहीं करने देंगे.’’ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल ने भी जयकृष्ण पटेल की गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक साजिश होने का अंदेशा जताया है.   

वहीं, एसीबी ने दावा किया कि तारांकित प्रश्न संख्या 6284, 5998 और अतारांकित प्रश्न संख्या 950 को ड्रॉप करने के एवज में विधायक जयकृष्ण पटेल ने खनन व्यवसायी रविंद्र सिंह से 10 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी. आखिरकार ढाई करोड़ रुपए में डील हुई और रिश्वत की राशि किस्तों में लिए जाने पर सहमति बनी. 

एसीबी सूत्रों ने बताया कि पेशगी के तौर पर विधायक ने एक लाख रुपए की राशि बांसवाड़ा में पहले ही ले ली थी और 3 मई को जयपुर पहुंचकर खनन व्यवसायी को पैसे लाने के लिए धमकाया. खनन व्यवसायी रविंद्र सिंह ने 4 अप्रैल को एसीबी मुख्यालय पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद एसीबी ने विधायक को रडार पर लिया और सबूत इकट्ठा किए. 

राजस्थान के इतिहास का यह पहला मामला है जिसमें मौजूदा विधायक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, इस दौरान रिश्वत की रकम एसीबी के हाथ नहीं लगी. एसीबी के महानिदेशक रवि प्रकाश मेहरड़ा बताते हैं, ‘‘पैसे बरामद नहीं हो सके हैं, लेकिन विधायक के हाथों पर पैसे गिने जाने का रंग पाया गया है. पैसे लेकर विधायक का आदमी भाग गया. हमारे पास वीडियो है जिसमें परिवादी (शिकायत दर्ज करने वाला) एमएलए को नोट गिनवा रहा था और नोटों का बैग लेकर विधायक सीढ़ियों से ऊपर जा रहे हैं. 4 अप्रैल को परिवादी ने एसीबी से संपर्क किया था.’’  

अगर, एसीबी की जांच में रिश्वतखोरी के इस मामले की पुष्टि हो जाती है तो विधायक जयकृष्ण पटेल की विधानसभा सदस्यता भी जा सकती है. इस मामले में विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है, ‘‘विधायक द्वारा रिश्वत मांगे जाने का यह मामला मेरे संज्ञान में था. मैनें एसीबी को कार्रवाई करने की छूट दी थी. विधायक सवाल ड्रॉप करने के लिए मेरे पास भी आए थे, मगर मैंने ऐसा करने के लिए इंकार कर दिया था. विधायक द्वारा इस तरह विधानसभा का इस्तेमाल कर रिश्वत मांगना लोकतंत्र के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. एसीबी की जांच में अगर विधायक दोषी पाए गए तो उनकी विधानसभा की सदस्यता भी जाएगी.’’  

राजनीतिक हलकों में भी बीएपी के विधायक की इस गिरफ्तारी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजस्थान की सियासत में जिस तेजी से इस पार्टी का उभार हुआ था, विधायक की इस हरकत के कारण अब पार्टी को बड़ा खमियाजा उठाना पड़ सकता है. राजनीतिक विश्लेषक अजय पुरोहित कहते हैं, ‘‘वागड़ में बीएपी ने भाजपा और कांग्रेस के जनाधार को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. पार्टी के विधायक का इस तरह रिश्वत लेते हुए पकड़े जाना आने वाले वक्त में बीएपी के लिए बड़ा झटका साबित होगा.’’  

राजस्थान में पिछले कुछ अरसे में बीएपी एक मजबूत तीसरी ताकत के रूप में उभरी है. राजकुमार रोत बांसवाड़ा से पार्टी सांसद हैं और राजस्थान विधानसभा में उनकी चार सीटें हैं. पांच माह पहले हुए उपचुनाव में भी बीएपी ने डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट से जीत हासिल की थी. उदयपुर जिले की सलूंबर सीट पर भी बीएपी के जीतेश कटारा करीबी मुकाबले में 1285 वोटों से चुनाव हारे हैं.

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