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राजा पीटर : 2009 में तब के सीएम शिबू सोरेन को चुनाव हराने वाला यह नेता फिर चर्चा में क्यों है?

झारखंड में तमाड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक रमेश सिंह मुंडा की 2008 में गोली मारकर हत्या कर दी गई. 2009 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को राजा पीटर ने हराया था और जिन पर बाद में मुंडा की हत्या का आरोप लगा

(बाएं) राजा पीटर और (दाएं) शिबू सोरेन
(बाएं) राजा पीटर और (दाएं) शिबू सोरेन
अपडेटेड 5 नवंबर , 2024

साल 2005. झारखंड को तब बिहार से अलग हुए बमुश्किल पांच साल ही हुए थे. नए राज्य की फिजाओं में विधानसभा चुनावों की गूंज थी. रांची जिले के अंतर्गत आने वाली तमाड़ सीट भी इससे अछूती नहीं थी. इस आरक्षित सीट से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उम्मीदवार रमेश सिंह मुंडा अपनी किस्मत आजमा रहे थे. ये वही मुंडा थे जो एकीकृत बिहार में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा करते थे और उन्होंने जीत भी हासिल की थी. बाद में समता पार्टी का जेडीयू में विलय हो गया.

इसके बाद रमेश 2005 के विधानसभा चुनावों में तमाड़ सीट से जेडीयू के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे. नतीजे जब आए तो उन्होंने 5900 वोटों से जीत भी हासिल कर ली. अभी तक कहानी बिलकुल सीधी-सपाट चल रही थी. लेकिन यह साल था 2008, और तारीख नौ जुलाई की. उस दिन रांची स्थित बुंडू स्कूल में एक समारोह चल रहा था. वहां रमेश भी मौजूद थे. इस समारोह के दौरान ही नक्सलियों का हमला हुआ और रमेश सिंह मुंडा समेत चार लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी गई.

तमाड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक रमेश सिंह मुंडा की 2008 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी/FB
तमाड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक रमेश सिंह मुंडा की 2008 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी/FB

2005 के उस विधानसभा चुनाव में तमाड़ सीट से एक और शख्स ने ताल ठोकी थी. उसका नाम था - गोपाल कृष्ण पातर, जिसे लोग राजा पीटर के उपनाम से ज्यादा जानते हैं. लंबे बालों वाले पीटर ने रमेश सिंह मुंडा के खिलाफ तब निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार मिली थी. बहरहाल, पीटर के बारे में यहां सिर्फ इतना ही जिक्र करते हैं. आगे कहानी में उनकी और विस्तार से चर्चा की गई है.

मुंडा की हत्या के बाद खाली पड़ी तमाड़ सीट पर उपचुनाव होना तय हुआ. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रमुख शिबू सोरेन ने यहां से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया. सोरेन तब राज्य के मुख्यमंत्री थे, हालांकि उन्होंने विधायक बने बिना ही पद की शपथ ले ली थी.

दरअसल, सोरेन से पहले मधु कोड़ा राज्य के सीएम थे लेकिन कोयला घोटाले में फंसने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. 28 अगस्त, 2008 को जब शिबू सोरेन ने सीएम पद की शपथ ली तब वे दुमका से सांसद थे. सीएम पद पर बने रहने के लिए उनके सामने छह महीने के भीतर यानी 28 फरवरी 2009 तक झारखंड विधानसभा का सदस्य बनने की संवैधानिक मजबूरी थी. तब उनके लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश की जा रही थी. और यह तलाश पूरी हुई तमाड़ सीट पर आकर. यूपीए उम्मीदवार के तौर पर शिबू ने यहां से पर्चा दाखिल किया.

लेकिन हाय री किस्मत! 2009 के उस तमाड़ उपचुनाव में झारखंड पार्टी (जेपी) के प्रत्याशी गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर ने शिबू सोरेन को पटखनी दे डाली. पीटर ने उन्हें 9,062 मतों से हराया. इस तरह शिबू सोरेन को अपनी सीएम पद की कुर्सी से इस्तीफा देना पड़ा और राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. इसके बाद पीटर जल्द ही जेडीयू में शामिल हो गए. 2009 में हुए राज्य विधानसभा के चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की और शिबू सोरेन कैबिनेट में मंत्री भी बने. इस चुनाव में जेएमएम ने एनडीए के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी.

शिबू सोरेन/फाइल फोटो
शिबू सोरेन/फाइल फोटो

हाल ही में ईटीवी भारत से बातचीत में पीटर ने शिबू सोरेन को हराने को लेकर कहा कि, "सीएम रहते हुए दिशोम गुरु शिबू सोरेन की हार का कारण वे खुद थे. उन्होंने यहां से चुनाव लड़कर गलती की, जिसका नतीजा यह हुआ कि वे चुनाव हार गए और दूसरी सबसे बड़ी वजह यह रही कि उन्होंने कुछ गिरफ्तार नक्सलियों को थाने से रिहा करवा दिया. इसके अलावा जातिगत समीकरण मुद्दा बन गया. शिबू सोरेन आंदोलनकारी रहे हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन इस क्षेत्र में उनका कोई प्रभाव नहीं था. मैं यहां का समाजसेवी था और उसका लाभ मुझे मिला."

बहरहाल, शिबू सोरेन को हराने के बाद राजा पीटर का नाम तब पूरी तरह सुर्खियों में था. इसके अलावा वह 2010 से 2013 तक सोरेन सरकार में आबकारी मंत्री भी रहे. लेकिन पीटर फिर से सुर्खियों में तब आए जब कुख्यात माओवादी कमांडर कुंदन पाहन ने पुलिस के सामने एक बयान दिया. 2017 में आत्मसमर्पण करने के बाद पाहन ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में खुलासा किया कि "राजा पीटर ही तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या की साजिश रचने वाला व्यक्ति था."

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनआईए ने कथित तौर पर पीटर पर मुंडा की हत्या के लिए नक्सलियों से संपर्क करने का आरोप लगाया था. झारखंड पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, उन दिनों किसी राजनेता का नक्सलियों से जुड़ा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी. एक अधिकारी ने कहा, "अगर आप तमाड़ जैसे इलाके में राजनीति में थे, तो आपका नक्सलियों के साथ किसी तरह का तालमेल या संबंध होना लाजिमी था."

राजा पीटर/फाइल फोटो
राजा पीटर/फाइल फोटो

ये वही रमेश सिंह मुंडा थे जिनके खिलाफ पीटर 2005 में तमाड़ से निर्दलीय विधायकी का चुनाव लड़ा और जिसमें उसे हार मिली थी. बाद में उनकी हत्या कर दी गई. साल 2017 में एनआईए ने रमेश मुंडा हत्याकांड मामले को अपने हाथ में ले लिया. इसी क्रम में कुंदन पाहन से हुई पूछताछ में राजा पीटर का नाम सामने आया. एनआईए ने पीटर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. करीब छह साल तक जेल में रहने के बाद 2023 में झारखंड हाई कोर्ट ने पीटर को जमानत पर रिहा कर दिया.

बाप के कथित हत्यारे के सामने बेटे की लड़ाई!

जिन रमेश सिंह मुंडा की हत्या की गई, उनके बेटे हैं विकास कुमार मुंडा. फिलहाल जेएमएम से तमाड़ के विधायक हैं और इस बार के विधानसभा चुनाव में भी जेएमएम से ही मैदान में हैं. उनके सामने वही पीटर हैं जिनपर विकास के पिता की हत्या का साजिश रचने का आरोप है. लेकिन यह पहली बार नहीं है कि विकास उनका चुनावी मैदान में सामना कर रहे हैं.

साल 2009 के विधानसभा चुनाव में पीटर ने तमाड़ से जीत हासिल की थी. तब विकास ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के टिकट पर चुनावी मैदान में थे, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन विकास ने जल्द ही इसकी भरपाई भी कर ली. साल 2014 के आम चुनाव में पीटर ने तमाड़ से निर्दलीय चुनाव लड़ा और इस बार वह विकास मुंडा से हार गए.

इस बार भी विकास आजसू के टिकट पर ही चुनाव लड़ रहे थे. साल 2019 में विकास ने जेएमएम का दामन थाम लिया, हालांकि उनकी जीत का सिलसिला बरकरार रहा. विकास ने इस बार आजसू पार्टी के राम दुर्लभ सिंह मुंडा को हराते हुए राजा पीटर को चौथे स्थान पर धकेल दिया, लेकिन ये लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.

जेएमएम विधायक विकास कुमार मुंडा
जेएमएम विधायक विकास कुमार मुंडा

इस बार भी आदिवासी आरक्षित सीट तमाड़ में पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा के बेटे और उनके कथित हत्यारे के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. इस बार विकास कुमार जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं राजा पीटर एक बार फिर जेडीयू में वापस चले गए हैं और उन्हें एनडीए गठबंधन के तहत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का समर्थन भी प्राप्त है.

विकास का कहना है कि चुनाव नतीजे से सभी वाकिफ हैं क्योंकि मतदाता अपने प्रिय प्रतिनिधि के बेटे की जगह हत्यारे को कभी पसंद नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, "वे विकास चाहते हैं और चरमपंथ और जेडीयू उम्मीदवार की गतिविधियों से थक चुके हैं, जिन्होंने क्षेत्र के लिए कभी कुछ सकारात्मक नहीं किया है."

वहीं, राजा पीटर इन आरोपों से इनकार करते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में पीटर ने कहा कि "आपराधिक मामलों में उनकी संलिप्तता का फैसला अदालत करेगी. और यह जनता तय करे कि क्षेत्र के लिए किसने अच्छा किया है."

पिता की तरह टाटा स्टील में किया काम

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजा पीटर के पिता केएम पातर टाटा स्टील में सुपरवाइजर का काम करते थे. पीटर भी 1979 में टाटा स्टील में शामिल हुए. उन्होंने मनीषा उर्फ ​​बेला से शादी की. 2009 में जब उन्होंने तमाड़ में शिबू सोरेन को हराया, तब तक उनका आपराधिक रिकॉर्ड बन चुका था और वे हत्या के प्रयास सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामले में जमानत पर बाहर थे.

इसके बाद उन्होंने तमाड़ (एसटी) इलाके में सामाजिक कामों के जरिए खुद की छवि को सुधारने की कोशिश की. पीटर ने अपने गांव उलीडीह में भी कई ऐसे सामाजिक काम किए. बाद में साल 2006 में पीटर ने आरती नाम की एक लड़की से विवाह किया. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में आरती ने बताया था कि "तमाड़ में ही हमारी मुलाकात हुई और हमने विवाह करने का फैसला किया. उस समय उनके बाल थोड़े घुंघराले थे और अब सीधे और लंबे हैं. यही बात उन्हें दूसरों से अलग बनाती है. वे खूब पढ़ते हैं और अंग्रेजी में पारंगत हैं."

आरती ने तब कहा था कि पीटर का "दिल गरीबों के लिए धड़कता है". लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक, पीटर को पहले से जानने वाले एक नेता ने तब कहा, "वे कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं लेकिन बोकारो और जमशेदपुर जैसी जगहों पर उसके नाम पर वसूली करने वाले भी कई लोग थे."

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