scorecardresearch

एक दलित युवक की हत्या पर योगी और राहुल आमने-सामने, संवेदना से सियासत तक फैला मामला

रायबरेली दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की पीट-पीटकर हत्या ने यूपी की सियासत को हिला दिया. योगी आदित्यनाथ और राहुल गांधी, दोनों ने परिवार से मुलाकात की है

Rahul Gandhi Fatehpur visit, Hariom death case, Dalit family meeting, Rahul Gandhi news today, Fatehpur Uttar Pradesh news, Dalit justice demand, Rahul Gandhi press talk, UP government response, Congress leader visit
हरिओम वाल्मीकि की मां से मिलते राहुल गांधी
अपडेटेड 18 अक्टूबर , 2025

रायबरेली के ऊंचाहार इलाके के दांडेपुर जमुनापुर गांव में 2 अक्टूबर की शाम एक ऐसी घटना हुई जिसने पूरे उत्तर प्रदेश को हिला दिया. 28 वर्षीय दलित युवक हरिओम वाल्मीकि को भीड़ ने “ड्रोन चोर” समझकर नंगा करके बेल्ट और बेंत से पीटा. कुछ मिनटों में यह मॉब लिंचिंग में बदल गई. 

लाठी-डंडों से होते हमले, मोबाइल कैमरों में कैद तस्वीरें और मदद के लिए चीखता युवक.  यह वीडियो सामने आया तो लोग सन्न रह गए. हरिओम की मौत के बाद रायबरेली की सियासत में हलचल मच गई. प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की, लेकिन उसके साथ ही संवेदना और राजनीति की एक दौड़ शुरू हो गई, एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दूसरी तरफ लोकसभा में विपक्ष के नेता और रायबरेली से कांग्रेसी सांसद  राहुल गांधी. दोनों ने परिवार से मुलाकात की, बयान दिए, आरोप-प्रत्यारोप हुए और रायबरेली का यह गांव प्रदेश की सियासी बहस के केंद्र में आ गया.

पुलिस ने जांच शुरू की और अब तक 21 आरोपियों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से 12 जेल भेजे गए हैं. बाकी की तलाश जारी है. मॉब लिंचिंग की इस घटना में लापरवाही बरतने के आरोप में पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. मृतक के पिता ने एफआईआर में लिखवाया कि उनका बेटा मानसिक रूप से अस्वस्थ था. इस स्वीकारोक्ति के बावजूद, उसे “ड्रोन चोर” कहकर भीड़ ने जान से मार डाला. 

घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने तेजी से कदम उठाए. सबसे पहले राज्य के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण और कैबिनेट मंत्री राकेश सचान रायबरेली पहुंचे. दोनों ने हरिओम के परिवार से मुलाकात की, सांत्वना दी और आर्थिक सहायता के रूप में मृतक की पत्नी और पिता को 6.92-6.92 लाख रुपये के चेक सौंपे. कुल 13.84 लाख रुपये की तत्काल मदद दी गई. असीम अरुण, जो खुद पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे हैं, ने कहा कि सरकार इस घटना को अत्यंत गंभीरता से ले रही है. उनके शब्दों में, “हम यहां केवल मुआवजा देने नहीं आए हैं, बल्कि न्याय सुनिश्चित करने आए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पूरे मामले को व्यक्तिगत रूप से देख रहे हैं. परिवार को जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलने में मदद की जाएगी.”

अरुण ने यह भी बताया कि हरिओम की विधवा को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर मिलेगा, पांच हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी और उनके बच्चे को ढाई हजार रुपये की मासिक छात्रवृत्ति मिलेगी. उन्होंने कहा, “सरकार परिवार के साथ पूरी तरह खड़ी है, न सिर्फ़ आज, बल्कि न्याय मिलने तक.” मंत्री राकेश सचान ने भी यही बात दोहराई. उन्होंने कहा, “यह असामाजिक तत्वों द्वारा किया गया जघन्य अपराध था. योगी सरकार की कानून-व्यवस्था मजबूत है. जो भी कानून अपने हाथ में लेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. हम जाति देखकर न्याय नहीं करते, हर अपराधी को सजा मिलेगी, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो.”

घटना के 10 दिन बाद 12 अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद हरिओम के परिवार से मिले. उन्होंने परिवार को सांत्वना दी और मृतक की पत्नी संगीता को स्थायी नौकरी, मकान और कई अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ देने का वादा किया. संगीता, जो अपने पिता और बेटी के साथ मुख्यमंत्री से मिलीं, ने कहा, “मैं सरकार और पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट हूं. मुझे भरोसा है कि न्याय मिलेगा. केवल बाबा ही यहां दलितों की रक्षा कर सकते हैं.” मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि दोषियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा और न्याय हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा. इस मुलाकात को BJP ने सरकार की संवेदनशीलता और “कानून के राज” के प्रतीक के रूप में पेश किया.

हरिओम बाल्मीकि की पत्नी श्रीमती संगीता बाल्मीकि ने अपने पिता एवं बेटी केे साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी
हरिओम बाल्मीकि की पत्नी श्रीमती संगीता बाल्मीकि ने अपने पिता एवं बेटी केे साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी

लेकिन इसके साथ ही विपक्षी कांग्रेस ने सरकार की नीयत और कार्रवाई पर सवाल उठाने शुरू कर दिए. दो हफ्ते बाद कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी 17 अक्टूबर को फतेहपुर पहुंचे और वहां हरिओम वाल्मीकि के परिवार से मुलाकात की. उनके पहुंचने से पहले ही इलाके की दीवारों पर पोस्टर चिपकाए गए थे, जिन पर लिखा था, “दर्द को मत भुनाओ, वापस जाओ.” इस बीच एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें हरिओम का भाई शिवम वाल्मीकि सरकार की कार्रवाई से संतुष्टि जताते हुए कहता दिखाई दिया “सरकार के मंत्री हमसे मिलने आए थे और हमें आर्थिक मदद और नौकरी दी गई है. हत्यारे जेल में हैं. इसलिए हम राहुल गांधी और दूसरे नेताओं से अनुरोध करते हैं कि राजनीति करने न आएं.” 

कांग्रेस ने तुरंत पलटवार किया. पार्टी प्रवक्ता मनीष हिंदवी ने आरोप लगाया कि यह वीडियो प्रशासन के दबाव में बनवाया गया है. उन्होंने कहा, “सरकार डरी हुई है. वह चाहती है कि विपक्ष पीड़ितों से न मिले. यह विपक्ष के अधिकार को छीनने की कोशिश है.” कांग्रेस नेताओं का कहना था कि सरकार चाहती है कि केवल अपने मंत्रियों को भेजकर वह “संवेदना की राजनीति” को अपने हाथ में रखे और विपक्ष को गांव में कदम तक न रखने दे.

परिवार से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा, “दलितों पर देशभर में अत्याचार हो रहे हैं. उनकी हत्या हो रही है, उनका बलात्कार हो रहा है. मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि उन्हें न्याय दें, उनका सम्मान करें और अपराधियों को बचाना बंद करें. मैं यहां आया हूं ताकि उनका दर्द सुन सकूं. हम सत्ता में नहीं हैं, लेकिन जहां भी ज़रूरत होगी, वहां खड़े रहेंगे.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी देशभर के दलितों के साथ है और “जहां भी दलितों पर अत्याचार होगा, कांग्रेस वहां पहुंचेगी और उनकी मदद करेगी.”

राहुल गांधी के इस दौरे के बाद BJP ने पलटवार किया. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक्स पर लिखा, “राहुल गांधी जी, आपको शर्म आनी चाहिए. यह आपके फोटो-ऑप के अलावा कुछ नहीं है. हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, सबका साथ, सबका विकास, सबका सम्मान और सबकी सुरक्षा. मामले के कई आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जनता कांग्रेस और गांधी परिवार की हकीकत जानती है जो मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं.”समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, “यह राजनीतिक पर्यटन से ज्यादा कुछ नहीं है. दुखद घटना को जाति के चश्मे से देखना दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार ने परिवार की हर मांग पूरी की है. न्याय मिला है. राहुल गांधी केवल आंसू बहाने की राजनीति कर रहे हैं.” 

रायबरेली में यह घटना उस समय हुई जब राज्य की राजनीति पहले से गर्म थी. रायबरेली लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन हाल के वर्षों में BJP यहां अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है. राहुल गांधी इस क्षेत्र से सांसद हैं, इसलिए उनके आने का सियासी मतलब भी साफ था—एक ओर दलितों के प्रति संवेदना दिखाना और दूसरी ओर कांग्रेस की “ग्राउंड पॉलिटिक्स” को मजबूत करना. वहीं योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए यह अवसर था यह दिखाने का कि उसकी प्रशासनिक मशीनरी दलितों की सुरक्षा को लेकर सजग और संवेदनशील है. 

राज्य के मंत्री राकेश सचान ने कहा, “कांग्रेस चाहती है कि रायबरेली हमेशा आंसुओं और सहानुभूति की राजनीति में उलझी रहे. हम विकास और न्याय की राजनीति कर रहे हैं. परिवार को जो मदद दी गई है, वह राजनीतिक नहीं, मानवीय आधार पर दी गई है.” वहीं कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “BJP सरकार दलितों के खिलाफ हो रहे अपराधों को छिपाने की कोशिश कर रही है. सरकार विपक्ष के नेताओं को रोकने में लगी है, ताकि उसकी नाकामियों पर पर्दा डाला जा सके.”

घटना के बाद ऊंचाहार और आसपास के इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया. प्रशासन ने शेष आरोपियों की तलाश के लिए कई ठिकानों पर छापेमारी की. पुलिस ने बताया कि गिरफ्तारी के दौरान एक आरोपी ने गोली चलाई थी, जवाबी कार्रवाई में वह घायल हुआ. जिला प्रशासन के अनुसार, “कानून-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में है और सरकार किसी भी स्थिति में अशांति नहीं फैलने देगी.” 

लेकिन गांव के भीतर अब भी डर है. BJP नेताओं का तर्क है कि कांग्रेस हर घटना को जातिगत चश्मे से देखती है, जबकि उनकी सरकार “सबका साथ, सबका विकास” के सिद्धांत पर चल रही है. वहीं कांग्रेस का जवाब है कि सरकार केवल तब जागती है जब कैमरे पहुंचते हैं. राजनीतिक विश्लेषक मनोज यादव कहते हैं, “योगी आदित्यनाथ के लिए यह घटना संवेदनशीलता दिखाने का मौका थी, ताकि सरकार की ‘सख्त लेकिन संवेदनशील’ छवि बने. वहीं राहुल गांधी दलित अत्याचार को केंद्र में रखकर कांग्रेस की खोई हुई ज़मीनी पकड़ वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों के बीच यह प्रतिस्पर्धा केवल सहानुभूति की नहीं, दलित मतदाताओं के विश्वास की भी है.” 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति अब नई शक्ल ले रही है. मायावती की निष्क्रियता के बाद BJP और कांग्रेस दोनों दलित वोटबैंक को भावनात्मक तरीके से साधने की कोशिश कर रहे हैं. रायबरेली की घटना इस सियासी संघर्ष का नया मंच बन गई है. गांव के बाहर बैठे एक बुजुर्ग कहते हैं, “नेता आते हैं, वादे करते हैं, कैमरे जाते हैं, लेकिन उस मिट्टी पर अब भी डर जमी है.” शायद यही वाक्य इस कहानी की सबसे सच्ची तस्वीर है, जहां न्याय की उम्मीद और सियासत की हकीकत आमने-सामने खड़ी हैं.

Advertisement
Advertisement