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कैसे उधड़ रही हैं प्रयागराज महाकुंभ के कामों में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की परतें?

प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन संपन्न हुए 100 दिन से ज्यादा हो चुके हैं और संगम व उसके आसपास का इलाका प्रशासनिक उपेक्षा की दास्तां बयां करने लगा है

Prayagraj After Mahakumbh
प्रयागराज में महाकुंभ आयोजन खत्म के बाद गंगा किनारे बदहाली दिखने लगी है
अपडेटेड 15 जून , 2025

प्रयागराज में गंगा के तट पर अकबर का किला मौजूद है. जब आप यहां से संगम नोज की तरफ बढ़ते हैं तो वीआईपी घाट आता है और उसी के पास मोटर बोट और फ्लोटिंग घाट दिखते हैं. महज साढ़े तीन महीने पहले तक ये चुस्त-दुरुस्त थे. ये महाकुंभ की व्यवस्था में अपना पूरा योगदान दे रहे थे. लेकिन अब ये कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं.

दरअसल प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन पूरा हुए 100 दिन से ज्यादा हो चुके हैं और इतने में ही संगम व उसके आसपास का इलाका प्रशासनिक उपेक्षा की दास्तां बयां करने लगा है. महाकुंभ की समाप्त‍ि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यना‍थ की कुंभ के लिए की गई व्यवस्थाओं को स्थाई रूप में तब्दील करने की घोषणा को संगम क्षेत्र की बदइंतजामी मुंह चिढ़ा रही है. 

कबाड़ हो रहा फ्लोटिंग घाट और मोटर बोट
कबाड़ हो रहा फ्लोटिंग घाट और मोटर बोट (सभी फोटो : आशीष मिश्र)

फ्लोटिंग घाट से करीब एक किलोमीटर दूर प्रयागराज मेला प्राधिकरण के दफ्तर के करीब मैदान में महाकुंभ में साफ-सफाई की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए करोड़ों की लागत से खरीदे गए टिपर (कूड़ा उठाने वाले वाहन) और कॉम्पैक्टर (डंपिंग यार्ड तक कूड़ा पहुंचाने के लिए बड़े वाहन) भी खुले में खड़े-खड़े खराब हो रहे हैं. महाकुंभ में सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए खरीदी गईं 75 इंटरसेप्टर बाइकें और अन्य उपकरण विभिन्न जिलों को जरूरत के अनुसार आवंटित कर दिए गए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से साफ-सफाई के लिए खरीदे गए 160 वाहन परेड ग्राउंड में खड़े कबाड़ हो रहे हैं. इसमें 120 टिपर और 40 कॉम्पैक्टर शामिल हैं. 

प्रयागराज पहुंचकर संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए पूरे वर्ष श्रद्धालुओं के आने का क्रम बना रहता है. पूर्णिमा, अमावस्या  को श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है. जो लोग महाकुंभ में आने से चूक गए थे वे अब स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने के बाद संगम में स्नान करने परिवार समेत पहुंच रहे हैं. महाकुम्भ मेला के दौरान संगम नोज पर की गई कई व्यवस्थाएं सरकारी घोषणा के बावजूद यहां से नदारद हो चुकी हैं.

महाकुंभ के बाद इन दिनों भी संगम नोज के पास श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है
महाकुंभ के बाद इन दिनों भी संगम नोज के पास श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है

 घाटों पर गंदा पानी बह रहा है. टॉयलेट बदहाल हो रहे हैं. कुछ तो उपयोग करने लायक नहीं है. जो टॉयलेट उपयोग लायक हैं भी तो वे काफी दूर हैं. घाटों पर चेंजिंग रूम की दशा भी खराब हो चली है. कई चेंजिंग रूम के दरवाजे गायब हो गए हैं, जिससे महिलाओं को कपड़े बदलने में परेशानी होती है. कुछ लोगों ने संगम पर अस्थाई चेंजिंग रूम बना लिए है जिसमें एक व्यक्त‍ि से 20 रुपए वसूले जा रहे हैं.

संगम नोज पर महिलाओं के लिए अस्थायी चेंजिंग रूम बनाकर हो रही वसूली
संगम नोज पर महिलाओं के लिए अस्थायी चेंजिंग रूम बनाकर हो रही वसूली

संगम नोज पर फूल बेचने वाली रामेश्वरी बताती हैं, “गंगा में इस वक्त पानी कम है. जगह जगह टापू उभर आए हैं. ऐसे में कई लोग अपनी मोटरसाइकिल से गंगा को पार कर रहे हैं जिससे यहां पर स्नान करने वालों को असुविधा हो रही है. पुलिस के न होने से इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है.”

प्रयागराज संगम नोज पर बाइक से नदी पर करते युवक
प्रयागराज संगम नोज पर बाइक से नदी पर करते युवक

संगम नोज पर पीने के पानी की व्यवस्था भी अब लुप्त हो गई है जिससे तेज गर्मी में यहां स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है. 

संगम नोज पर बदहाल पड़ा एक चेंजिंग रूम
संगम नोज पर बदहाल पड़ा एक चेंजिंग रूम

महाकुंभ के कार्यों में प्रयागराज में महर्षि भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था. महर्षि भारद्वाज आश्रम में कभी छोटे-बड़े दर्जनभर मंदिर थे. कॉरिडोर बनने पर छोटे मंदिरों को दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया. कॉरिडोर में 13 करोड़ रुपये खर्च हुए. इसके तहत इनरवॉल, इंटरलॉकिंग, शेड, ग्रीन पाथ-वे, वॉटरप्रूफ पेंटिंग, फव्वारा, पार्किंग, शौचालय, आरओ वॉटर मशीन, पोल लाइट, पौधारोपण आदि काम कराए गए. इस वक्त सबकी दशा खराब है. पौधे सूखने लगे हैं. परिसर में गंदगी का अंबार है. नालियां और आरओ वॉटर टंकी के आसपास गंदगी का आलम है. देवी देविताओं की प्रतिमाओं की देखरेख में भी कमियां साफ नजर आ रही है. 

भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर के भीतर दो फव्वारे लगे हैं. दोनों महीनों से बंद है. उसके अंदर गंदगी का ढेर लगा है. स्थानीय पुजारियों का कहना है कि फव्वारा बनने के कुछ दिनों बाद ही खराब हो गया था. अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया गया. इलाहाबाद हाइकोर्ट में एडवोकेट पूजा मिश्रा कहती हैं, “महर्षि भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर का काम अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुआ. महाकुंभ को देखते हुए आनन-फानन में काम कराया गया. इससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है. देखरेख कौन कर रहा है? वह भी साफ नहीं है. इससे कॉरीडोर की दशा लगातार खराब हो रही है.” हालांकि भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर में गड़बड़ी की शिकायतों को दूर करने का आश्वास प्रयागराज के कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने मंदिर से जुड़े लोगों को दिया है. 

वीआईपी घाट पर बह रहा बदबू दार पानी और सूख रहे पौधे
वीआईपी घाट पर बह रहा बदबू दार पानी और सूख रहे पौधे

महाकुंभ के लिए प्रयागराज में गंगा के किराने बनाए गए गंगा पथ की सड़क भी गड़बडि़यों की कहानी कह रही है. करीब 350 करोड़ की लागत से बनाई गई सड़क कई जगह से धंस गई है. गंगा किनारे मेला कछार से दारागंज में  में शास्त्री ब्रिज के नीचे तक तथा झूंसी में हेताप‌ट्टी के पास से नागेश्वर घाट के आगे तक गंगा पथ स्वीकृत हुआ था. लेकिन यह बेला कछार तक नहीं बन सका था. रसूलाबाद घाट से शास्त्री ब्रिज तक ही इस सड़क का निर्माण हो सका था. स्वीकृति के पहले इस सड़क को लेकर अधिकारियों ने दावा किया था कि इस पथ को मुंबई के मरीन ड्राइव की तरह बनाया जाएगा, ताकि यह आकर्षण का केंद्र बन सके.

वहीं गंगा पथ (रिवर फ्रंट टाइप रोड्स) के किनारे पर बेंच व पौधारोपण कराने को कहा गया था मगर अभी तक एक भी बेंच नहीं लग सकी है. गंगा पथ के निर्माण का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं और पर्यटकों को संगम तक पहुंचने में आसानी प्रदान करना था. इसके लिए लगभग आठ हेक्टेयर जमीन किसानों से अधिग्रहीत की गई थी, जिसके लिए लगभग 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. इसके अलावा लगभग 13.75 किमी लंबे इस पथ के निमांण में 250 करोड़ रुपये खर्च किए गए. इस पथ के बने छह माह ही हुए हैं कि सड़क पर बोल्डर घंसने से बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं. 

31 मई को एडवोकेट चेंबर के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयागराज आने की जानकारी मिलने के बाद गंगा पथ पर पैचवर्क करके कुछ दुरुस्त करने की कोशिश की लेकिन अब फिर वह पुरानी स्थ‍िति में आ गया है. प्रयागराज के समाजसेवी अजित सिंह कहते हैं, “जरा बारिश तो आने दीजिए गंगा पथ निर्माण में हुआ भ्रष्टाचार पूरी तरह से उजागर हो जाएगा.” प्रयागराज में सिंचाई विभाग (बाढ़ खंड) के अधि‍शासी अभि‍यंता डी. एन. शुक्ल स्वीकारते हैं कि गंगा पथ के निर्माण में कुछ अनियमितताएं सामने आई हैं. गड़बड़ी करने वाली फर्म के खि‍लाफ कार्रवाई करने की बात भी अधिकारी कह रहे हैं. 

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज शहर के सौंदर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया लेकिन, इसके बाद से जिम्मेदारों को इसकी सुध नहीं रही. यही कारण है कि यह सौदर्यीकरण उठाईगीरों के निशाने पर आ गया है. ये शहर के अनेक जगहों पर लगी रेलिंग को उखाड़ ले जा रहे हैं. इससे न केवल शहर को सुंदर बनाने की योजना ध्वस्त हो रही है, बल्कि सरकार को आर्थिक चोट भी पहुंच रही है. 

अलोपीबाग फ्लाईओवर के नीचे के खाली स्थान पर पौधारोपण किया गया है. उसे सुरक्षित रखने के लिए स्टील की रेलिंग लगाई गई है, लेकिन वह कई जगह से उखड़ गई है. इसकी शुरुआत फ्लाईओवर के अलोपी देवी मंदिर वाले सिरे के नीचे से हुई और अब कई जगह से रेलिंग उखड़ गई है. खास बात कि यह संगम जाने का रास्ता है और प्रशासन एवं पुलिस के अफसरों का लगातार आवागमन बना रहता है. इसके अलावा यहां हमेशा पुलिस भी तैनात रहती है. इसके बाद भी इस पर किसी की नजर नहीं है. प्रयागराज मेला प्राधिकरण से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं, “पुलिस आयुक्त से इस बारे में बात की जाएगी. सर्वे कराकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. साथ ही निगरानी बढ़ाई जाएगी. सीसीटीवी से देखा जाएगा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. यदि रेलिंग काटी जा रही है तो संबंधित विभागों के माध्यम से उसे काटने वालों के खिलाफ एफआईआर लिखाई जाएगी.” 

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में परिवहन निगम के प्रभारी क्षेत्रीय प्रबंधक पद पर तैनात रहे मनोज कुमार त्रिवेदी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा है. आरोप के बाद पिछले महीने त्रिवेदी को क्षेत्रीय प्रबंधक के पद से हटाकर परिवहन निगम मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है. वित्त विभाग ने अनियमितता की जांच शुरू कर दी है. त्रिवेदी पर कंप्यूटर, एसी, सीसीटीवी समेत कई सामानों की खरीद में गड़बड़ी का आरोप है. परिवहन निगम की कमिटी ने अपनी जांच में गड़बड़ी की पुष्टि की है.

प्रयागराज में महाकुंभ के कार्यों के लिए विभागीय बजट आवंटित कराने में गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की जा रही है. महाकुंभ के कार्यों में विभिन्न विभागों की ओर से बढ़ा-चढ़ा कर बजट स्वीकृत कराया गया था. जब कायों की उच्च स्तरीय जांच शुरू हुई तो बड़ा मामला पकड़ में आ गया. मेला के 290 कार्यों में कुल लगभग 1400 करोड़ रुपये बढ़ाकर बजट मंजूर करा लिया गया था. अलबत्ता इस धनराशि का भुगतान नहीं हुआ था. अब ये धनराशि प्रदेश सरकार के खजाने में वापस की जा रही है. अधिकारी दावा कर रहे हैं कि महाकुंभ नगर से जुड़े प्रशासन के कुशल वित्तीय प्रबंधन के चलते इन विभागों की 290 परियोजनाओं की जांच में यह मामला पकड़ा गया है. 

महाकुंभ के कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद प्रयागराज के कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने सख्त रवैया अपनाया है. महाकुंभ के मद्देनजर नगर निगम और प्रयागराज विकास प्राधिकरण की ओर से कराए गए 103 कार्यों की जांच मजिस्ट्रेट से कराने का आदेश कमिश्नर से दिया है. प्रारंभिक जांच में कई स्तर पर खामियां मिली हैं. सभी कार्यों की जांच के लिए मजिस्ट्रेट की अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं. मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत का कहना है कि सभी मजिस्ट्रेट सीडीओ को रिपोर्ट देंगे. सीडीओ को एक सप्ताह में पूरी रिपोर्ट कंपाइल करके देने के लिए कहा गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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