कई पुरानी हिंदी फिल्मों में मेले में पारिवारिक सदस्यों के बिछड़ने की कहानियों ने दर्शकों को भावुक किया है. कुंभ जैसे बड़े आयोजन में तो अपने लोगों से बिछड़ जाने की घटनाओं ने कई बार सुर्खियां भी बटोरी हैं. ऐसी ही आशंका से निबटने के लिए प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे विश्व के सबसे बड़े आयोजन महाकुंभ में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस बार डिजिटल तौर तरीकों का सहारा लिया है.
प्रयागराज मेला क्षेत्र के सेक्टर तीन मे संगम लोअर मार्ग पर कप्यूटरीकृत खोया-पाया केंद्र स्थापित किया गया है. महाकुंभ के लिए स्थापित खोया-पाया केंद्र पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर मेले में खोए लोगों को उनके परिवारों से मिलाएंगे. यह केंद्र अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और यहां श्रद्धालुओं की गुमशुदगी संबंधी समस्याओ का तुरंत समाधान करने के लिए दूसरे डिजिटल तौर तरीकों का भी सहारा लिया गया है.
इस खोया-पाया केंद्र के लिए 328 AI लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे. महाकुंभ में अब कोई भी अपना बिछड़ेगा तो ये कैमरे उसे खोज निकालेंगे. इस खोया पाया केंद्र में हर खोए हुए व्यक्ति का तुरंत डिजिटल पंजीकरण तुरंत किया जाएगा. सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं, "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘फेसबुक' और 'एक्स' खोए हुए रिश्तेदारों को खोजने में तत्काल सहायता प्रदान करेंगे, जिससे तीर्थयात्रियों की भीड़ के बीच परिवारों को फिर से मिलाने की प्रक्रिया सुगम होगी."
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जानकारी देते हैं कि खोया-पाया केंद्र हर लापता व्यक्ति का विवरण डिजिटल रूप से दर्ज करेगा. वे बताते हैं, "पंजीकरण के बाद, AI कैमरे व्यक्ति की खोज शुरू कर देंगे. इसके अलावा, लापता लोगों के बारे में जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा की जाएगी, जिससे उन्हें जल्दी से जल्दी ढूंढ़ना आसान हो जाएगा." वे यह भी बताते हैं कि महाकुंभ में “फेस रिकग्निशन तकनीक” का इस्तेमाल उन व्यक्तियों की पहचान करने के लिए किया जाएगा जो अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र रहे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ल बताते हैं, “प्रयागराज की धरती पर वर्ष 2019 में आयोजित दिव्य और भव्य कुंभ पूरी दुनिया देख चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2025 के महाकुंभ में एक कदम और बढ़ाते हुए विश्व के इस सबसे बड़े आयोजन को डिजिटल रूप प्रदान करने का आदेश दिया है. अब पूरी दुनिया यूपी की डिजिटल और तकनीक आधारित महाकुम्भ-2025 की साक्षी बनेगी. मेले की भव्यता को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से पहली बार प्रदेश सरकार पूरे मेले का डिजिटलाइजेशन किया है.”
महाकुंभ के लिए खास तौर से डिजायन किए गए AI आधारित चैटबॉट “कुंभ सहायक” से अब तक एक करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. एक करोड़ की संख्या 6 जनवरी की सुबह की पार हो गई थी. “कुंभ सहायक” चैटबॉट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले माह 13 दिसंबर को प्रयागराज में लांच किया था. “कुंभ सहायक” देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं को महाकुंभ से जुड़ी सभी जानकारियां पलक झपकते उपलब्ध करा रहा है. कुंभ मेला प्राधिकरण को तकनीकी सहयोग दे रहे एक इंजीनियर बताते हैं, “कुंभ सहायक” 11 भाषाओं में श्रद्धालुओं की मदद कर रहा है. यह श्रद्धालुओं को नेविगेशन, पार्किंग व रुकने के स्थान समेत हर जानकारी सेकंडों में उपलब्ध कराने में सक्षम है. इसे आसानी से मोबाइल में डाउनलोड किया जा सकता है. इससे लोग बोलकर या लिखकर अपने सवाल पूछ सकते हैं. जवाब को अपनी भाषा में सुन भी सकते हैं. लगभग 23 लाख श्रद्धालु अपनी तस्वीर कुंभ सहायक पर अपलोड कर चुके हैं.”
प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए लोग इंटरनेट पर विभिन्न वेबसाइट्स और पोर्टल के जरिए जानकारी हासिल कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा समाधान उन्हें महाकुंभ की आधिकारिक वेबसाइट https:// kumbh.gov.in/ पर आकर मिल रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 04 जनवरी तक 183 देशों के 6,206 शहरों के 33 लाख से ज्यादा लोगों ने वेबसाइट पर आकर महाकुंभ के विषय में जानकारी हासिल की है. इनमें यूरोप, अमेरिका समेत सभी महाद्वीप के लोग शामिल है.
कुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद बताते हैं, “महाकुंभ में AI टेक्नोलॉजी, एप, चैटबॉट तथा गूगल नेविगेशन का पहली बार इस्तेमाल किया जाएगा. महाकुंभ मेला से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी. घाट, अखाड़े के साथ ही पूजा पाठ, प्रवचन का विवरण ऑनलाइन होगा.” मेले के डिजिटलाइजेशन के पीछे मूल उद्देश्य इसका व्यापाक प्रचार-प्रसार करने के साथ ही इसे और अधिक सुरक्षित बनाना, हर गतिविधि की मॉनीटरिंग करना और हर सुविधा को सही समय पर सही व्यक्ति तक पहुंचाना है. महाकुंभ में बड़े संतों के प्रवचन, शिविर की लोकेशन, मेले के अलग-अलग क्षेत्रों की लोकेशन आदि की जानकारी ऑनलाइन मिल सकेगी. साथ ही मेले में शुरू की गई सुविधाएं, जैसे लेजर शो, वॉटर स्पोर्ट्स आदि का पूरा विवरण भी ऑनलाइन उपलब्ध होगा. यह महाकुंभ विश्व को भारत की सांस्कृतिक धरोहर के साथ ही देश ओर यूपी की डिजिटल शक्ति से भी परिचित करायेगा.
महाकुंभ की पौराणिक महत्व का डिजिटल अनुभव
महाकुंभ 2025 को डिजिटल महाकुंभ के तौर पर भी विकसित करने के लिए कई नवाचार भी किए गए हैं. महाकुंभ की पौराणिक परंपरा और गाथा को वीआर और डिजीटल तकनीक के माध्यम से नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम “डिजिटल महाकुंभ एक्सपीरिएंस सेंटर” के जरिए किया जाएगा. “डिजिटल महाकुंभ एक्सपीरिएंस सेंटर” वर्चुअल रियलिटी, होलोग्राम और डिजिटल प्रोजेक्शन की तकनीक से महाकुंभ, त्रिवेणी संगम और प्रयागराज महात्म्य की पौराणिक कथाओं को दर्शाएगा. एक तकनीकि अधिकारी बताते हैं “डिजिटल महाकुंभ एक्सपीरियंस सेंटर में 8 गैलरियां होंगी जो आधुनिक डिजिटल तकनीक के माध्यम से समुद्र मंथन और महाकुंभ की गाथाओं का प्रदर्शन करेंगी. यहां तक कि “इमर्सिव वॉक-वे” गैलरी में वर्चुअल तकनीक के माध्यम से विजिटर स्वयं समुद्र मंथन की घटना का अनुभव कर सकेंगे.
“इमर्सिव वॉक-वे” गैलरी परंपरा को नवाचार के साथ जोड़ती है तो “मिस्टिक वॉक-वे” महाकुंभ की आध्यात्मिक आभा का अवलोकन करवाएगी. वर्चुअल रियलिटी और एलईडी टनल में समुद्र मंथन की कथा, कुंभ, प्रयागराज और त्रिवेणी संगम के समृद्ध इतिहास और विरासत की अनोखी अनुभूति होगी. वहीं होलोग्राम और डिजिटल प्रोजेक्शन के माध्यम से महाकुंभ के सार को प्रदर्शित किया जाएगा.” महाकुंभ के अनूठे अनुभव संजोने और उन्हें घर ले जाने के लिए विशेष स्मृति चिह्नों का “सॉवेनियर स्टोर” बनाया गया है. साथ ही “यूनीडाइरेक्शनल विजिटर फ्लो” और “रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम” के माध्यम से सुरक्षित और तनावमुक्त भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था रहेगी.
किसी अस्थायी शहर के लिए पहली बार गूगल नेविगेशन
महाकुंभ मेला क्षेत्र मे बने अस्थायी नगर के लिये गूगल नेविगेशन भी उपलब्ध होगा. महाकुंभ मेले के प्रमुख स्थलों की लोकेशन गूगल मैप पर मिलने के साथ-साथ इस बार श्रद्धालुओं व पर्यटकों को एक और अनूठा व रोमांचक अनुभव प्राप्त होगा. वह कहीं भी बैठकर अपने मोबाइल पर महाकुंभ मेले के किसी भी स्थान का 360 डिग्री व्यू में नजारा देख सकेंगे.
प्रयागराज विकास प्राधिकरण से हुए समझौते के तहत गूगल की ओर से यह सेवा दी जाएगी. यह पहली बार हो रहा है कि किसी अस्थायी शहर के लिए गूगल की ओर से नेविगेशन या अन्य कोई सुविधा दी जा रही है. इसके तहत महाकुंभ मेले के प्रमुख स्थलों जैसे मंदिरों, स्नान घाटों, पांटून पुलों आदि को गूगल मैप पर ट्रैक किया जा सकेगा. अब इसमें गूगल मैप के “स्ट्रीट व्यू फीचर” को भी जोड़ा गया है. इस फीचर के तहत कोई भी व्यक्ति मोबाइल पर ही किसी स्थान विशेष का नजारा 360 डिग्री व्यू में देख सकता है. यह सुविधा महाकुंभ मेला शुरू होने से पहले मिलने लगेगी. इसका फायदा यह होगा कि देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी बैठा व्यक्ति मोबाइल पर ही महाकुंभ मेले के रोमांच का अनूठा अहसास कर सकेगा.