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तीन दशक बाद मिला डीयू को नया कॉलेज, लेकिन इसके नाम को लेकर बवाल क्यों मचा है?

सावरकर के नाम पर कॉलेज पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ में बनाया जाएगा, जो डीयू के वेस्ट कैंपस का हिस्सा है. लेकिन कांग्रेस ने इस फैसले का विरोध करते हुए मांग की कि इसका नाम डॉ. मनमोहन सिंह पर रखा जाए

हिंदूवादी राजनीति के प्रतीक विनायक दामोदर सावरकर/फाइल फोटो
हिंदूवादी राजनीति के प्रतीक विनायक दामोदर सावरकर/फाइल फोटो
अपडेटेड 3 जनवरी , 2025

हिंदूवादी राजनीति के प्रतीक विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर चले आ रहे विवादों के सिलसिले में अब एक नया अध्याय जुड़ा है. यह विवाद दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के एक नए कॉलेज को लेकर है जिसका नाम सावरकर के नाम पर रखा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 जनवरी को इसकी आधारशिला रखी है. इसी दिन पीएम मोदी ने डीयू के दो नए परिसरों की भी नींव रखी.

लेकिन कॉलेज का नाम सावरकर पर रखे जाने के डीयू के फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई ने मांग की है कि कॉलेज का नाम पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखा जाए, जिनका 26 दिसंबर को निधन हो गया था. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस पर "प्रतिष्ठित हस्तियों का आदतन अपमान करने" का आरोप लगाया.

वीर सावरकर कॉलेज पिछले करीब तीन दशक में डीयू को मिलने वाला पहला कॉलेज है. इसकी स्थापना नजफगढ़ के रोशनपुरा में होगी. इस फैसले को 2021 में दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद से मंजूरी मिली थी. इससे पहले डीयू द्वारा स्थापित अंतिम कॉलेज भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज है, जिसे 1995 में बनाया गया था. इसका नाम भास्कराचार्य पर रखा गया, जो 12वीं सदी के गणितज्ञ थे. इस कॉलेज को दिल्ली सरकार से फंड मिलता है.

वीर सावरकर कॉलेज की स्थापना असल में एक व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसके तहत पीएम मोदी ने 3 जनवरी को डीयू के दो अन्य प्रमुख परियोजनाओं का भी अनावरण किया. इनके तहत सूरजमल विहार स्थित डीयू के ईस्ट कैंपस में एक नए एकेडमिक ब्लॉक की आधारशिला रखी गई, उसके बाद द्वारका स्थित वेस्ट कैंपस में भी एक नए एकेडमिक ब्लॉक बनाए जाने की नींव रखी गई.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सावरकर के नाम पर कॉलेज पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ में बनाया जाएगा, जो डीयू के वेस्ट कैंपस का हिस्सा है. जबकि एक अन्य संस्थान का नाम बीजेपी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज के नाम पर रखा जाएगा, जो डीयू के ईस्ट कैंपस के अंतर्गत फतेहपुर बेरी में होगा. इन सभी परियोजनाओं की लागत 600 करोड़ रुपये से ज्यादा है, और इनका उद्देश्य डीयू के बुनियादी ढांचे और शैक्षणिक प्रस्तावों को मजबूत करना है.

2 जनवरी को डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा, "तीन परियोजनाओं में पहला ईस्ट कैंपस है, उसके बाद वेस्ट कैंपस और फिर नजफगढ़ में वीर सावरकर कॉलेज है. इन अतिरिक्त बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से हमारा लक्ष्य अधिक सीटें और नए अवसर उपलब्ध कराना है, जो 1.5 से दो साल के भीतर तैयार हो जाएंगे. ये परियोजनाएं सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है."

इन परियोजनाओं के तहत जहां सूरजमल विहार में 15.25 एकड़ में फैले ईस्ट कैंपस पर 373 करोड़ रुपये की लागत आएगी, और इसमें एलएलबी, एलएलएम और बहु-विषयक पाठ्यक्रम जैसे कार्यक्रम होंगे. इसके अलावा सुविधाओं में आधुनिक कक्षाएं, मूट कोर्ट, कंप्यूटर लैब और कैफेटेरिया शामिल होंगे. वहीं, द्वारका सेक्टर-22 में 107 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले वेस्ट कैंपस में 42 कक्षाएं, डिजिटल लाइब्रेरी और कॉन्फ्रेंस हॉल होंगे.

नजफगढ़ में 18,816 वर्ग मीटर के इलाके में करीब 140 करोड़ की लागत से बनने वाला वीर सावरकर कॉलेज अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा, जो शहरी विस्तार सड़क (यूईआर) राजमार्ग के करीब स्थित है.

कांग्रेस की मांग - मनमोहन सिंह पर रखा जाए कॉलेज का नाम

कॉलेज का नामकरण वीर सावरकर के नाम पर किए जाने को लेकर कांग्रेस ने विरोध जताया है. पार्टी की छात्र शाखा एनएसयूआई ने मांग की है कि कॉलेज का नाम पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखा जाना चाहिए न कि सावरकर के नाम पर.

एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. सिंह के योगदान पर प्रकाश डाला, और अनुरोध किया कि कॉलेज का नाम सावरकर के बजाय मनमोहन सिंह के नाम पर रखकर उनकी विरासत का सम्मान किया जाए.

एनएसयूआई ने कहा, "डॉ. सिंह ने आईआईटी, आईआईएम, एम्स जैसे कई संस्थान स्थापित किए और सेंट्रल यूनिवर्सिटी एक्ट पेश किया. उनके नाम पर संस्थानों का नाम रखना पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और उनके बदलावकारी नजरिए का सम्मान करेगा." एनएसयूआई ने सिंह के नाम पर एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की भी मांग की, जिनके अभूतपूर्व सुधारों ने 1991 में अर्थव्यवस्था को उदार बनाया.

इसके अलावा कांग्रेस सांसद नसीर हुसैन और सुखजिंदर रंधावा ने भी अंग्रेजों को 'दया याचिका लिखने वालों' का महिमामंडन करने के लिए बीजेपी पर निशाना साधा. रंधावा ने कहा, "प्रधानमंत्री को दोबारा सोचना चाहिए. सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी. उनके नाम पर कॉलेज का नाम कैसे रखा जा सकता है?"

वहीं, पार्टी के राज्यसभा सांसद हुसैन ने बीजेपी पर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की अवहेलना करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "बीजेपी उन लोगों को वैधता दे रही है जिन्होंने अंग्रेजों को दया याचिकाएं लिखीं और उनसे पेंशन ली."

एनएसयूआई की मांग का समर्थन करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने इंडिया टुडे से कहा, "वीर सावरकर का दिल्ली से कोई नाता नहीं है. बेहतर होता कि नए कॉलेज का नाम दिल्ली और आसपास के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा जाता. ऐसा नाम चुना जाना चाहिए था जो विवादास्पद न हो."

बीजेपी ने कहा - डीयू के फैसले का हम सम्मान करते हैं

बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों का बचाव करते हुए पलटवार किया. दिल्ली बीजेपी प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, "केवल कांग्रेस ही जानती है कि वह किन नेताओं का सम्मान करती है. वीर सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी थे. अगर दिल्ली यूनिवर्सिटी अपने कॉलेज का नाम उनके सम्मान में रख रही है तो हम इसका स्वागत करते हैं."

सचदेवा के अलावा बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस से सवाल किया कि क्या इंदिरा गांधी या उद्धव ठाकरे जैसे नेता, जिन्होंने सावरकर की प्रशंसा की थी, वे भी उनके बारे में गलत थे.

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