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BJD से लगातार निकल रहे बागी, क्या अब ओडिशा में नई पार्टी बनेगी?

BJD के बागी दिग्गज नेता खुद पार्टी छोड़ रहे हैं या पार्टी से निष्कासित हो रहे हैं, लेकिन दिलचस्प बात यह कि नवीन पटनायक इन नेताओं को रोकने के लिए कुछ करते नहीं दिख रहे

पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक BJD के एक कार्यक्रम में (फाइल फोटो)
अपडेटेड 24 सितंबर , 2025

अपने 27 साल के इतिहास में बीजू जनता दल (BJD) देश की ऐसी गिनी-चुनी क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है, जो 24 सालों तक सत्ता में रही. लगातार सत्ता में रहने के बाद बीते एक साल से वह बाहर है. यही वक्त होता है, जब ऐसी किसी दल के टूटने, बिखरने, नए सिरे से बनने और इन सब के मार्फत नए राजनीतिक अध्याय लिखे जाने जैसी घटनाएं होती है. 

BJD भी अभी अपने सबसे बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. पहले पार्टी में नवीन पटनायक की जगह नया नेता तय करने की हलचल हुई. यह नाव थोड़े हिचकोले खाकर फिलहाल किनारे खड़ी है. तब तक दूसरी नाव हिचकोले खाने लगी. इस नाव पर पार्टी के बागी नेता सवार हैं, जो अपने लिए किसी तीसरे नाव की व्यवस्था में जुट गए हैं. 

नेताओं को पार्टी से निकाले जाने और BJD छोड़ने की शुरूआत हो चुकी है. बीते 10 सितंबर को पूर्व कानून मंत्री जगन्नाथ सरका को रायगड़ा जिला इकाई का अध्यक्ष बनाने का विरोध करते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद एन भास्कर राव ने पार्टी से इस्तीफा दिया. उन्होंने बीजू स्वाभिमान मंच (BSM) के नाम से एक सामाजिक संगठन बनाने की बात कही. ठीक इसी दिन पूर्व मंत्री लाल बिहारी हिमिरिका ने भी इस्तीफा दे दिया. यह फैसला सरका की नियुक्ति के तुरंत बाद राव के आवास पर आयोजित एक बैठक में लिया गया. राव राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष थे, जबकि हिमिरिका पूर्व मंत्री और विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं.

BJD के इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताते हुए राव ने कहा, “ पार्टी ने सक्षम नेताओं की अनदेखी कर एक हारे हुए नेता को जिला अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. हमारी कांग्रेस या BJP में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं है. BSM एक सामाजिक मंच है और रायगड़ा के विकास के लिए कार्य करेगा. हम दिवंगत बीजू बाबू की विचारधारा में विश्वास करते हैं.” 

इसके बाद बीते 12 सितंबर को ओडिशा के पूर्व मंत्री और 24 साल तक लगातार पार्टी से जुड़े रहे वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल कुमार मलिक को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया. पार्टी की यह कार्रवाई अध्यक्ष नवीन पटनायक के करीबी माने जाने वाले मलिक के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर क्षेत्रीय संगठन ठीक से काम नहीं करता है तो वे पार्टी छोड़ सकते हैं. 

इस्तीफों पर प्रतिक्रिया देते हुए BJD प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने कहा कि नवीन पटनायक के नेतृत्व में पार्टी रायगड़ा में और मजबूत होगी. इन इस्तीफों का पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा, “जो लोग BJD की विचारधारा का पालन नहीं करते, उनके लिए पार्टी छोड़ देना ही बेहतर है. ये स्वयंभू नेता हैं जो जनता के लिए काम नहीं करते. साल 2019 में इनके रहते हुए भी रायगड़ा विधानसभा सीट एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती थी. इनका जाना पार्टी के लिए वरदान है. BJD रायगड़ा में पहले की तरह ही मजबूत बनी रहेगी.” 

बागी और भी हैं  

इधर पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अमर प्रसाद सतपथी ने संकेत दिया कि एक नई BJD का गठन हो सकता है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सिर्फ सच्चे BJD कार्यकर्ता और समर्थक ही इस नई पार्टी को आकार देंगे. पूर्व सांसद एन. भास्कर राव और पूर्व मंत्री लाल बिहारी हिमिरिका के इस्तीफे का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “यह घटना अब केवल रायगड़ा तक सीमित नहीं है. पूरे राज्य में और यहां तक कि पंचायत स्तर पर भी पार्टी के भीतर इस तरह की नाराजगी देखने को मिल रही है. भरोसे की कमी के कारण नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़ रहे हैं. अगर पार्टी अपनी मूल नीतियों और सिद्धांतों से भटकती है तो लोग BJD से दूर हो जाएंगे.” हालांकि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है. वे बड़चना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला था. 

सतपथी ने आगे कहा कि अगर हालात सुधारने की कोशिश नहीं की गई तो स्थिति और बिगड़ेगी.  हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि BJD के भीतर से ही एक नई शुरुआत होगी. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या ओडिशा की राजनीति में भी एकनाथ शिंदे (जिन्होंने महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत की थी) जैसा कोई मौजूद है, तो उन्होंने पौराणिक उदाहरण देते हुए कहा, “कौन जानता है कि व्यक्ति अभी गोपा में है या मथुरा पहुंच चुका है?” शायद वे पार्टी के भीतर संभावित बगावत की ओर इशारा कर रहे थे. इससे पहले प्रकाश चंद्र बेहरा ने पार्टी छोड़ी थी, जबकि दो राज्यसभा सांसद ममता मोहंता और सुजीत कुमार पहले ही BJP में शामिल हो चुके हैं. 

इसके अलावा ढेंकानाल से चार बार सांसद रह चुके तथागत सतपथी ने भी पार्टी की आलोचना की थी. उन्होंने पार्टी के उप-राष्ट्रपति चुनाव से बाहर होने के फैसले को ‘राजनीतिक आत्महत्या’ कहा था. हालांकि वे साल 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ही राजनीति से संन्यास ले चुके हैं. लेकिन उनका बयान पार्टी के एक तबके की आवाज माना जा सकता है. 

BJD हार के बाद बिखरती दिख रही है लेकिन पार्टी भी बागी नेताओं को मनाने के बजाय उन्हें बख्शने के मूड में नहीं है. उन्हें सीधे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा है. राजनीतिक संकेत साफ हैं कि पार्टी की मौजूदा दिशा से असंतुष्ट नेताओं के नेतृत्व में जल्द ही एक समानांतर BJD खड़ा हो सकता है. राजनीतिक टिप्पणीकार ये भी मानते हैं कि जिन लोगों ने पार्टी छोड़ी है, या फिर जिनको निकाला गया है, फिलवक्त इनकी राजनीतिक हैसियत इतनी नहीं है कि ये BJD को कोई नुकसान पहुंचा सके. ये सभी नवीन पटनायक की वजह से जीतते और मंत्री पद पाते रहे हैं. दूसरी बात, ये सभी नेता उम्रदराज हो चुके हैं. सभी 70 पार कर चुके हैं. अगले साल संभावित पंचायत चुनाव में ये भले ही कुछ जगहों पर BJD को थोड़े बहुत नुकसान पहुंचा दें, इससे ज्यादा फिलहाल इनके वश का नहीं है. 
 

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