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मुंबई के कमाठीपुरा की बदलेगी तस्वीर; क्या है महाराष्ट्र सरकार का प्लान?

रेड लाइट एरिया की वजह से बदनाम कमाठीपुरा की बड़ी आबादी झुग्गी-झोपड़ियों और तंग गलियों से बने घरों में रहती आ रही है लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार यहां डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू करने वाली है

कमाठीपुरा में बनेगा भव्य इमारत (Photo: Mandar Deodhar)
कमाठीपुरा में बनेगा भव्य इमारत (Photo: Mandar Deodhar)
अपडेटेड 25 जून , 2025

महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MHADA) ने दक्षिण मुंबई में कमाठीपुरा के रिडेवलपमेंट के लिए निविदाएं जारी कर दी हैं. इसके साथ ही मुंबई में इस तरह के सबसे बड़े क्लस्टर रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए रास्ता साफ हो गया है.

MHADA इस पूरे इलाके में होने वाले निर्माण एवं विकास के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने पर विचार कर रहा है. कमाठीपुरा के जिस इलाके में निर्माण होना है, उस जगह लगभग 943 उपकर इमारतें हैं.

ये वो इमारतें हैं, जिनके मालिक MHADA को कुछ राशि भुगतान करते हैं. यह कर इमारतों की मरम्मत और रखरखाव के लिए उपयोग होता है.

इसके अलावा 350 गैर-उपकर वाली इमारतें, 14 धार्मिक स्थल और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा संचालित दो स्कूल का भी रिडेवलपमेंट होना है. इनमें से कई इमारतें एक सदी से भी ज्यादा पुरानी हैं और इसलिए इनकी स्थिति बेहद खराब है.

इस योजना के तहत कुल मिलाकर 9,761 किराएदारों को कवर किया जाएगा, जिनमें 8,385 रिहायशी और 1,376 कमर्शियल किरायेदार शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत जिन 15 गलियों का पुनर्निर्माण किया जाएगा, उनमें ये ढहती हुई इमारतें हैं, जिनका आकार 100-150 वर्ग फीट है.

सबसे छोटे मकान सिर्फ 60 वर्ग फीट के हैं, जिसकी वजह से कई लोगों को रात में सड़कों पर सोना पड़ता है. इस इलाके में माचिस की डिब्बी के आकार के कमरे में एक से ज्यादा परिवार का रहना आम बात है.

यहां रहने वाले लोगों की यह भी शिकायत है कि दलदल और दलदल से निकाली गई जमीन पर बनी इन इमारतों की फर्श धंस रही है. अब निवासियों को लगभग 500 वर्ग फीट के घर मिलेंगे और व्यावसायिक इकाइयों को भी इसी आकार के ढांचे दिए जाएंगे.

रिडेवलपमेंट का काम मुंबई बिल्डिंग रिपेयर्स एंड रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड द्वारा किया जाएगा, जो MHADA के अंतर्गत आता है. सफल बोली लगाने वाली कंपनी को लगभग 567,000 वर्ग मीटर क्षेत्र के विकास का अधिकार प्राप्त होंगे; लगभग 4,500 नई इकाइयों का आवास स्टॉक निर्मित होने की उम्मीद है.

दिसंबर 2022 में महाराष्ट्र सरकार ने कमाठीपुरा में 27.59 एकड़ जमीन पर एक बड़े पुनर्विकास प्रोजेक्ट को मंजूरी दी. इस प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) संभालेगी. यह मुंबई का सबसे बड़ा ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट होगा, जिसके दायरे में करीब 1 लाख लोग होंगे.

इसका मतलब है कि कमाठीपुरा में पुरानी, जर्जर इमारतों को तोड़कर वहां नई, आधुनिक इमारतें बनाई जाएंगी.

कितना पुराना है कमाठीपुरा

18वीं सदी में हैदराबाद के निजाम के क्षेत्र से तेलुगु भाषी ‘कमाठी’ मजदूर मुंबई आए. ये लोग निर्माण कार्यों में मजदूरी करते थे और दक्षिण मुंबई में एक दलदली जमीन पर बस गए. 1804 में सरकार ने इस जमीन को सुधारकर इन मजदूरों के लिए घर बनाए. इस तरह कमाठीपुरा का नाम पड़ा, जिसका मतलब है ‘कमाठियों का क्षेत्र’.

कमाठी समुदाय का योगदान

कमाठी लोग मुंबई के कपड़ा मिलों में काम करते थे और स्थानीय मराठी संस्कृति में घुलमिल गए. उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले के सत्यशोधक समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

साथ ही 1960 में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में भी उनकी बड़ी हिस्सेदारी थी, जिसके कारण महाराष्ट्र को अलग राज्य का दर्जा मिला. पत्रकार और लेखक मनोहर कदम ने अपनी किताब में कमाठी लोगों को इस आंदोलन का ‘तलवारबाज’ बताया है, यानी वे इसके मुख्य योद्धा थे.


कमाठीपुरा की बदनामी

समय के साथ कमाठीपुरा की गलियों में सेक्स व्यापार शुरू हो गया, जिसने इस क्षेत्र को बदनाम कर दिया. मुंबई एक बंदरगाह और सैन्य केंद्र था, जहां बहुत सारे प्रवासी मजदूर आते थे.

इस वजह से यह व्यापार बढ़ा. औपनिवेशिक काल में भारतीय सेक्स वर्कर्स के अलावा यूरोपीय महिलाएं भी इस व्यापार में थीं और मुख्य रूप से कमाठीपुरा में रहती थीं. यह बात लेखिका अश्विनी तांबे ने अपनी रचना में बताई है.
 
औपनिवेशिक काल की गलियां

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर (1909-16) एस.एम. एडवर्ड्स ने लिखा कि कमाठीपुरा की सीमा पर स्थित कर्सटजी शुक्लाजी स्ट्रीट को ‘सफेद गली’ कहा जाता था, क्योंकि वहां यूरोपीय सेक्स वर्कर्स रहती थीं.

इसकी झलक हाल ही में बनी हिंदी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (2022) में भी दिखाई गई है, जिसमें आलिया भट्ट ने मुख्य भूमिका निभाई है.

इस तरह तेलुगु भाषी कमाठी मजदूरों के नाम पर बसा यह शहर सेक्स व्यापार की वजह से बदनाम हो गया. अब MHADA के पुनर्विकास प्रोजेक्ट से कमाठीपुरा में नई इमारतें बनेंगी, जिससे स्थानीय लोगों को बेहतर घर और सुविधाएं मिलेंगी. यह प्रोजेक्ट क्षेत्र की छवि सुधारने और 1 लाख लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास है.
 

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