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महाराष्ट्र : मोदी समर्थक राज ठाकरे, विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ क्यों नहीं लड़ रहे?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए राज ठाकरे अपनी पार्टी के कुछ उम्मीदवारों की घोषणा भी कर चुके हैं

राज ठाकरे
राज ठाकरे
अपडेटेड 13 अगस्त , 2024

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के मुखिया राज ठाकरे ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी आने वाला विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. राज ठाकरे का यह बयान चौंकाने वाला है क्योंकि चार महीने पहले अप्रैल में ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद उन्होंने देश को मजबूत नेतृत्व की जरूरत बताते हुए महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ 'महायुति' गठबंधन को समर्थन देने की बात कही थी.

अक्टूबर-नवंबर 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर महाराष्ट्र दौरे पर निकले राज ठाकरे ने कहा है कि उनकी पार्टी 225 से 250 सीटों (राज्य में कुल 288 सीटें हैं) पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. यहां तक कि मनसे चीफ ने अभी ही पूर्व विधायक बाला नंदगांवकर (शिवडी विधानसभा सीट), दिलीप धोत्रे (मंगलवेढ़ा) और संतोष नागरगोजे (लातूर ग्रामीण) की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है.

मुंबई में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा करते हुए पार्टी प्रमुख राज ठाकरे ने एनसीपी के प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर सीधा हमला करते हुए कहा था कि अगर भाई-बहन एक साथ आ जाते तो पार्टी नहीं टूटती. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिया था. मनसे ने पिछले महीने महाराष्ट्र विधान परिषद में सीट के लिए कोंकण (स्नातक) निर्वाचन क्षेत्र से फिल्म निर्माता अभिजीत पानसे को मैदान में उतारा था, लेकिन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी के मौजूदा विधान परिषद सदस्य निरंजन दावखरे से मुलाकात के बाद उम्मीदवारी वापस ले ली.

राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए घोषणा की है, "टिकट केवल उन लोगों को दिए जाएंगे जो चुनाव के योग्य हैं और चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. मैं चाहता हूं कि आने वाले चुनाव में हमारी पार्टी के सदस्य इस विधानसभा चुनाव में चुने जाएं. बहुत से लोग इस पर हंसेंगे. उन्हें हंसने दें, मुझे इससे कोई समस्या नहीं है. लेकिन ऐसा होने जा रहा है. यह मत सोचिए कि बाद में गठबंधन होगा या नहीं और हमें क्या पोर्टफोलियो मिलेगा." महाराष्ट्र विधानसभा में मनसे के पास केवल एक विधायक है - कल्याण ग्रामीण से प्रमोद (राजू) पाटिल.

इंडिया टुडे के पत्रकार धवल एस. कुलकर्णी बताते हैं कि मनसे माहिम से पूर्व विधायक नितिन सरदेसाई और वर्ली से पार्टी महासचिव संदीप देशपांडे को भी मैदान में उतार सकती है, जो शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का निर्वाचन क्षेत्र है. 2019 में राज ने अपने भतीजे आदित्य के खिलाफ उम्मीदवार उतारने से परहेज किया था.

मनसे ने लोकसभा चुनाव में महायुति का सिर्फ समर्थन ही नहीं किया था बल्कि राज ठाकरे ने मुंबई के शिवाजी पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक जनसभा को भी संबोधित किया था. लेकिन फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करनी पड़ी?

धवल अपनी रिपोर्ट में इसका जवाब देते हुए लिखते हैं, "मनसे कार्यकर्ताओं का दावा है कि आम चुनाव में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, राज के समर्थन के कारण ही माहिम विधानसभा क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी शिवसेना (यूबीटी) पर बढ़त हासिल करने में और वर्ली और शिवड़ी में (हार का) अंतर कम करने में कामयाब रही. हालांकि, मनसे को चुनाव लड़ने के लिए कोई लोकसभा सीट नहीं मिली. पार्टी तीन सीटों में से एक पर चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक थी - मुंबई दक्षिण, मुंबई दक्षिण मध्य या मुंबई उत्तर पश्चिम."

मनसे के एक वरिष्ठ नेता ने इंडिया टुडे को बताया, “महायुति के साथ विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन करना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के तीन प्रमुख घटक राजनीतिक जगह के लिए संघर्ष कर रहे हैं और सीटों को लेकर झगड़ रहे हैं. अगर महायुति हमें सीटें देने से इनकार करती है तो हम घर पर बैठने का जोखिम नहीं उठा सकते. हम उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक नहीं हैं, लेकिन उन्होंने गठबंधन करने की पहल नहीं की है.”

इस नेता का यह भी कहना है कि एक मौका है कि मनसे कुछ सीटों पर महायुति के साथ समझौता कर सकती है, लेकिन गेंद उनके पाले में है. नेता ने दावा किया कि महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी की राजनीति से निराश मतदाता राज्य की राजनीति की बढ़ती द्विध्रुवीय प्रकृति के बावजूद मनसे को वोट देंगे.

राज ठाकरे, जो कभी शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी थे, ने अपने चचेरे भाई उद्धव के साथ विवाद के कारण 2005 में शिवसेना छोड़ दी थी. उन्होंने 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की स्थापना की.

हिंदी भाषियों के विरोध के मुद्दे से चर्चा में रही मनसे ने 2009 के लोकसभा चुनाव में 11 उम्मीदवार उतारे और एक निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन किया था. हालांकि तब पार्टी कोई सीट नहीं जीत पाई, लेकिन उसने नौ निर्वाचन क्षेत्रों में शिवसेना और बीजेपी उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित की. उसी साल विधानसभा चुनाव में, मनसे ने 13 सीटें जीतीं और 66 निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी और शिवसेना उम्मीदवारों ने हार के लिए मनसे उम्मीदवारों को दोषी ठहराया.

2014 तक मनसे की चुनावी रणनीति में शिवसेना और बीजेपी उम्मीदवारों को चुनौती देना और प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को समर्थन देना शामिल था. हालांकि, पार्टी कोई भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई और उसका विधानसभा प्रतिनिधित्व सिर्फ़ एक सीट पर सिमट गया.

2019 में, कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करने का मनसे का प्रयास कांग्रेस के भीतर विरोध के कारण विफल हो गया. राज ठाकरे ने सार्वजनिक सभाओं और मोदी की आलोचना करने वाले वीडियो के माध्यम से कांग्रेस और एनसीपी के लिए प्रचार किया, लेकिन भगवा गठबंधन ने 48 लोकसभा सीटों में से 41 पर जीत हासिल की, और मनसे को फिर से केवल एक विधानसभा सीट मिली.

समय के साथ मनसे ने हिंदी भाषी प्रवासियों के खिलाफ अपने मूल रुख से हटकर हिंदुत्व की स्थिति अपना ली और बीजेपी की नीतियों के साथ और अधिक जुड़ गई. इसके बावजूद, मुंबई और आस-पास के इलाकों में मराठी युवाओं और महिलाओं के बीच इसका मजबूत समर्थन बना हुआ है. 2019 में मनसे ने मुंबई के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में खूब वोट हासिल किए और राज्य भर में 22 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही, जिससे पता चलता है कि इसे अभी भी कुछ क्षेत्रों में ठोस समर्थन हासिल है.

अब शिंदे की शिवसेना और बीजेपी वाले महायुति गठबंधन के साथ अंदरूनी खिट-पिट के कारण राज ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है मगर यह तो समय ही बताएगा कि चुनावों से पहले फिर वे गठबंधन से जुड़ते हैं या अपनी बात पर अडिग रहते हैं. 

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