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महाराष्ट्र : महायुति की सरकार अपनी ही लाडकी बहिन योजना के लाभार्थियों की जांच में क्यों जुटी?

नवंबर, 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में महायुति के नेताओं ने अपनी शानदार जीत का श्रेय 'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना' को दिया था, लेकिन अब सरकार ने उसके लाभार्थियों की जांच शुरू कर दी है

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 8 जनवरी , 2025

यही कोई महीने भर से ज्यादा का समय हुआ, जब महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी शानदार जीत का श्रेय 'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना' को दिया था. लेकिन अब सीएम देवेंद्र फडणवीस की अगुआई वाली राज्य सरकार ने इस स्कीम के लाभार्थियों की जांच शुरू कर दी है.

जांच में अब यह आकलन किया जा रहा है कि गरीब महिलाओं के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत जिन महिलाओं को नकद राशि मिल रही है, क्या वे वाकई इसकी पात्रता रखती हैं. इसके अलावा राज्य की अन्य इंसेंटिव स्कीमों से लाभान्वित होने वाले लोगों को कैश ट्रांसफर में भी कटौती की जा सकती है.

पिछले साल जून में लोकसभा चुनावों में मिले झटके के बाद तत्कालीन सीएम एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली महायुति सरकार ने राज्य में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की थी. इनमें फ्लैगशिप स्कीम थी - 'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना'. इसके तहत 2.30 करोड़ राज्य की गरीब महिलाओं को 1500 रुपये हर महीने दिए जाने थे. असल में यह स्कीम पड़ोसी और बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में महिलाओं के लिए चल रही ऐसी ही एक योजना की नकल थी. मप्र के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इसका खूब फायदा मिला था. 

शिंदे सरकार की अगुआई में लाडकी बहिन योजना के अलावा और भी वेलफेयर स्कीम की शुरुआत की गई, जिनमें प्रशिक्षुओं के लिए वजीफा, बुजुर्गों के लिए मुफ्त तीर्थाटन और मुंबई में पांच एंट्री प्वॉइंट्स पर पैसेंजर कारों के लिए टोल से मुक्ति प्रमुख थीं. इन सभी योजनाओं ने नवंबर, 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन की ताकत को बढ़ाने का काम किया.

नवंबर में राज्य के विधानसभा चुनावों में मिली विजय के बाद महायुति के नेताओं ने माना कि लाडकी बहिन योजना की वजह से इन गरीब महिलाओं का एक नया मतदाता वर्ग पनपा, जिन्होंने गठबंधन की भारी जीत सुनिश्चित की. अक्सर इन महिला वोटरों को 'मूक' समझा जाता है जिनकी वित्तीय और सामाजिक स्वायत्तता बहुत ही विवश हालात में होती है.

अपने कैंपेन के दौरान तत्कालीन सीएम शिंदे ने वादा किया था अगर वे दोबारा चुने गए तो मदद राशि को बढ़ाकर 2,100 रुपये कर दिया जाएगा. इसके बरक्स विपक्ष कोई विश्वसनीय जवाबी बयान नहीं दे पाया था और उसने सरकार बनाने पर नकद राशि को दोगुना करके 3,000 रुपये करने का वादा किया.

अब स्थिति यह है कि मौजूदा राज्य सरकार लाडकी बहिन योजना की लाभार्थियों की जांच शुरू करने पर विचार कर रही है ताकि अपात्र महिलाओं को स्कीम से बाहर किया जा सके. हालांकि राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने आश्वासन दिया कि "कोई व्यापक जांच नहीं होगी". उन्होंने कहा कि केवल शिकायत के आधार पर वेरिफिकेशन शुरू किया जा रहा है.

ये क्रॉस-वेरिफिकेशन कई आधार पर किए जाएंगे. मसलन, स्कीम के लिए दोहरे या बहुतेरे रजिस्ट्रेशन, आय, चार पहिया वाहनों के मालिकाना हक और निवास जैसे पैरामीटर पर जांच होगी. तटकरे ने कहा कि जिला प्रशासन को उन लाभार्थियों के बारे में शिकायतें मिली हैं जिनकी आय ढाई लाख रुपये सालाना से अधिक है या जिनके पास चार पहिया वाहन हैं. लाडकी बहिन योजना के लिए पात्र महिलाओं की वार्षिक आय ढाई लाख रुपये से कम होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अन्य लोग स्वेच्छा से यह लाभ छोड़ने के लिए आगे आए हैं, क्योंकि उनकी सालाना आय तय सीमा से अधिक हो गई है. और चूंकि यह योजना महाराष्ट्र में रहने वाली महिलाओं तक ही सीमित है, इसलिए उन महिलाओं की पहचान की जाएगी जिनका विवाह दूसरे राज्यों में हुआ है, और ऐसी महिलाओं को योजना से बाहर रखा जाएगा. ज्यादातर शिकायतें वर्धा, पालघर, यवतमाल और नांदेड़ जिलों से सामने आई हैं.

तटकरे ने कहा, "80 फीसद से ज्यादा लाभार्थी पहले से ही इन मापदंडों में फिट बैठते हैं. इसलिए उनका क्रॉस-वेरिफिकेशन नहीं किया जाएगा." इनमें वे लोग शामिल हैं जिनके पास यलो और ऑरेंज पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) राशन कार्ड हैं, और जिनके आधार नंबर उनके बैंक खातों से जुड़े हैं, और वे लोग जिनके नाम पर दोपहिया वाहन हैं, न कि फोर व्हीलर्स.

इसके अलावा, सरकार के साथ कार्यरत महिलाओं को स्कीम से बाहर रखा जाएगा और उनके रोजगार के बाद से उन्हें मिलने वाले सभी लाभ वापस लिए जाएंगे. इसकी जांच के लिए परिवहन (वाहनों के मालिकाना हक के लिए) और आयकर (सालाना आय के लिए) जैसे विभागों के डेटाबेस को खंगाला जाएगा.

तटकरे ने ये भी कहा कि जिन लाभार्थियों को अन्य सरकारी योजनाओं के तहत 1500 रुपये से कम वित्तीय मदद मिल रही है, उन लाभार्थियों की लाडकी बहिन योजना की राशि में आनुपातिक रूप से कटौती की जाएगी. उदाहरण के लिए, नमो शेतकरी महासम्मान निधि योजना के तहत जिन पात्र गरीब महिला किसानों को 1,000 रुपये की राशि मिलती है, अगर वे लाडकी बहिन योजना की भी पात्रता रखती हैं तो उन्हें 1500 में से एक हजार रुपये काटकर 500 रुपये की राशि ही मिलेगी.

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