महाराष्ट्र सरकार पालघर जिले में बन रहे ग्रीनफील्ड वधावन बंदरगाह के पास कृषि उपज की बिक्री और खरीद के लिए अपना पहला अंतरराष्ट्रीय कृषि बाजार बनाने की योजना बना रही है.
इस समुद्री बंदरगाह का उद्देश्य पालघर से करीब 150 किमी दूर मुंबई बंदरगाह और उरण के पास स्थित जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) की व्यस्तता को कम करने के साथ ही माल ढुलाई के बाधाओं को खत्म करना है.
इस बंदरगाह के करीब अंतरराष्ट्रीय बाजार कृषि बाजार बन जाने से आसपास के किसानों की उपज, खासकर पास के दहानू में उगाए जाने वाले चीकू और कोंकण के प्रसिद्ध अल्फांसो आमों को इंटरनेशनल मार्केट में भेजना आसान हो जाएगा.
हालांकि, स्थानीय मछुआरे वधावन बंदरगाह का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वो यहां काफी मात्रा में सारंगा या सिल्वर पॉमफ्रेट मछली पकड़ते हैं. इसके बनने से यहां सिल्वर पॉमफ्रेट मछली की कमी हो सकती है. इससे उनके आजीविका पर असर पड़ेगा.
मछली खाने वालों के बीच काफी पसंद की जाने वाली सिल्वर पॉमफ्रेट महाराष्ट्र की 'राज्य मछली' भी है. राज्य सहकारिता विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जिले में बंदरगाह से कुछ दूर दापचारी के पास बाजार के लिए एक संभावित स्थल की पहचान की गई है, जो लगभग 1,000 एकड़ में फैला होगा.
वे कहते हैं, "इससे किसानों को अपनी उपज का निर्यात करने और इसके लिए ऐसी कीमत हासिल करना आसान होगा जिस पर ठीक मुनाफा मिल जाए. फल और सब्जियों को सुरक्षित रखने के लिए बाजार में एक कोल्ड स्टोरेज का भी निर्माण किया जाएगा." इस बाजार के बनने से पहले जरूरी चीजों के अध्ययन के लिए सलाहकारों की नियुक्ति होनी है. सरकार ने इसके लिए एक निविदा जारी कर दी है.
जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (जेएनपीए) ने वधावन बंदरगाह के विकास के लिए महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड (एमएमबी) के साथ एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. दहानू के पास बनने वाला यह बंदरगाह गुजरात से सटा हुआ है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जून 2024 में प्रस्ताव को मंजूरी दी है और इस मेगा बंदरगाह पर 76,220 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है.
इस परियोजना में 1,473 हेक्टेयर (3,639.86 एकड़) भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा. इसमें से 571 हेक्टेयर (1,410.97 एकड़) जमीन निजी लोगों की हैं या इसपर आदिवासी रह रहे हैं, इन्हीं में से कुछ हिस्सा पर सरकार और वन विभाग के मालिकाना हक है.
एक बार अधिग्रहण होते ही इस जमीन पर रेल और सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा. बंदरगाह से संबंधित बुनियादी सुविधाओं के लिए कुल 1,000 हेक्टेयर सरकारी भूमि उपलब्ध कराई जाएगी.
2035 तक इस बंदरगाह की क्षमता 1.5 करोड़ कंटेनर रखने की होगी. यहां रखे जाने वाले कंटेनर की साइज ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट यानी टीईयू होगा. 2040 तक कंटेनर रखने की ये क्षमता बढ़कर 23.9 मिलियन टीईयू होने की संभावना है.
राज्य सरकार ने 21 जिलों के सभी तहसीलों में 65 कृषि उपज मंडी समितियां (APMC) बनाने का भी फैसला किया है. इससे एक महत्वपूर्ण कमी पूरी हो जाएगी क्योंकि महाराष्ट्र के 358 तालुका (जिसे कई जगह तहसील भी कहते हैं.) में से 68 में कोई APMC नहीं है.