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मध्य प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए आयकर नियमों में क्या बदला जो एक बड़ी मिसाल बन सकता है?

मध्य प्रदेश सरकार ने 1990 से चल रहे एक कानून को ख़ारिज कर सरकार और निर्वाचित प्रतिनिधियों की आर्थिक जवाबदेही की ओर एक कदम बढ़ाया है

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव
अपडेटेड 27 जून , 2024

मध्य प्रदेश की सरकार ने 25 जून को एक प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया कि राज्य के मंत्रियों को अपना आयकर खुद ही भरना होगा और राज्य सरकार अब इसका बोझ नहीं उठाएगी. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक बयान में कहा कि मंत्रिमंडल ने 1972 के उस नियम को खत्म करने का फैसला लिया है, जिसके तहत राज्य सरकार मंत्रियों के वेतन और भत्तों पर आयकर का भुगतान करती थी.

पिछले तीन दशकों से, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों द्वारा भुगतान किए गए आयकर का खर्च राज्य सरकार उठाती थी, जो बाद में उन्हें लौटा दिया जाता था. राज्य सरकार अब विधान सभा के आगामी मानसून सत्र में इस प्रथा को समाप्त करने के लिए मध्य प्रदेश मंत्री (वेतन और भत्ते) अधिनियम, 1972 में एक संशोधन लाएगी.

भले ही आम लोगों में राज्य सरकार के इस कदम की तारीफ की जा रही हो, मगर कांग्रेस ने भाजपा सरकार के इस कदम की आलोचना की है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि सरकार को कुछ करना ही था तो हवाई जहाज खरीदने, सरकारी बंगलों को सजाने और लग्जरी कारों की खरीद पर होने वाले फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना चाहिए था.

मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इसका सुझाव मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक के दौरान दिया था. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव दिया है कि मंत्रियों को अपने भत्तों पर आयकर का भुगतान खुद करना चाहिए, न कि राज्य सरकार को इन करों का भुगतान करना चाहिए. कैबिनेट ने राज्य को इन करों का भुगतान करने की अनुमति देने वाले प्रावधान को समाप्त करने का निर्णय लिया है."

सवाल यह है कि ऐसा करने से राज्य के खजाने में कितना पैसा बचेगा? इंडिया टुडे के पत्रकार राहुल नरोन्हा अपनी रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब देते हुए लिखते हैं, "मध्य प्रदेश के बजट के आकार को देखते हुए बहुत ज़्यादा बचत नहीं होगी. हालांकि मध्य प्रदेश सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में अच्छा संकेत देता है जब नागरिक सरकार और निर्वाचित प्रतिनिधियों से ज़्यादा जवाबदेही की मांग कर रहे हैं. 2023-24 में मध्य प्रदेश का बजट 3.14 लाख करोड़ रुपये था. पिछले पांच सालों में राज्य सरकार ने अपने मंत्रियों और मुख्यमंत्री के लिए आयकर के रूप में 3.24 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. 1990 के दशक के मध्य से, राज्य में छह मुख्यमंत्री रहे हैं और औसतन 40 कैबिनेट सदस्य हैं. साल 2000 तक छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का हिस्सा था और कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या पर कोई सीमा नहीं थी."

मध्य प्रदेश मंत्री (वेतन एवं भत्ते) अधिनियम की धारा 9के के अनुसार, "किसी भी मंत्री, राज्य मंत्री, उप मंत्री या संसदीय सचिव को देय सभी भत्तों, बिना किराए के भुगतान के लिए उपलब्ध कराए गए सुसज्जित आवास की सुविधा और इस अधिनियम के तहत उन्हें दी गई अन्य सुविधाओं के लिए कोई आयकर नहीं देना होगा."

इस अधिनियम के मुताबिक जो भी उचित आयकर इन चीजों पर मंत्री, राज्य मंत्री, उप मंत्री या संसदीय सचिव को लगेगा, वह अधिकतम दर पर राज्य सरकार चुकाएगी. दरअसल यह कानून यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था कि गरीब पृष्ठभूमि के मंत्रियों को आयकर का बोझ न उठाना पड़े.

फ़िलहाल हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे चार अन्य राज्य हैं, जहां यह प्रथा आज भी जारी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 2019 में इसे समाप्त कर दिया था.

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