
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा. पूर्वी राजस्थान से आने वाले मीणा समुदाय के एक खांटी नेता. राजस्थान की भजन लाल सरकार में कृषि मंत्री. सुर्खियों में रहना जिनकी आदत है और अपनी ही सरकार को घेरना उनकी फितरत.
किरोड़ी का अतीत बताता है कि वे अब तक जिस भी सरकार में मंत्री रहे उसकी मुखालफत में भी कभी पीछे नहीं रहे. मंत्री पद से ज्यादा उनकी सक्रियता जनता के मुद्दों पर रहती है फिर चाहे वे सत्ता पक्ष में हों या विपक्ष में.
यहां किरोड़ी का जिक्र उनके उन बयानों को लेकर हो रहा है जो राजस्थान में इन दिनों सियासी उबाल लाए हुए हैं. किरोड़ी लाल ने कुछ दिन पहले अपने प्रभार की 7 सीटों में से एक भी सीट हार जाने पर मंत्री पद से इस्तीफा देने की बात कही थी.
उनका पहला बयान 17 मई 2024 को आया था जिसमें उन्होंने दावा किया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अप्रैल को जब रोड शो के लिए दौसा आए थे तब उन्होंने मुझे 7 सीटों की जिम्मेदारी दी थी. इस बार अगर इन सात सीटों में से एक भी सीट हार गए तो मैं कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दूंगा."

सार्वजनिक सभा में दिया गया उनका यह बयान उस समय के चुनावी शोर-शराबे में गुम हो गया. लेकिन चुनाव परिणाम से एक दिन पहले 3 जून को उन्होंने फिर यही दोहराया कि अगर 7 में से एक भी सीट हारे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा. किरोड़ी जिन 7 सीटों की बात कर रहे थे उनमें दौसा, टोंक सवाई माधोपुर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, कोटा-बूंदी, भीलवाड़ा और जयपुर ग्रामीण शामिल थीं. लोकसभा के ताजा नतीजों में इनमें से 4 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार हुई है, और जयपुर ग्रामीण सीट पर पार्टी बहुत ही मामूली अंतर से जीत पाई है.
नतीजों के दिन जब 4 सीटों पर भाजपा हार गई और सोशल मीडिया पर उनके इस्तीफे की चर्चाएं चलने लगीं तो उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, "रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई." इसके बाद फिर किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे के कयास लगने शुरू हो गए. लेकिन उनका न इस्तीफा हुआ और न ही वे सार्वजनिक जगहों पर नजर आए.
नतीजे घोषित होने के बाद किरोड़ी लाल ने सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल बंद कर दिया और 12 दिन तक सरकारी कामकाज से भी दूरी बना ली. 15 जून (शनिवार) को निजी वाहन में माउंट आबू दौरे पर निकले किरोड़ी से जब इस्तीफे पर बात की गई तो उन्होंने मुंह पर हाथ रख दिया. बार-बार उनसे इस्तीफे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "इस्तीफे की बात कह दी है तो अब देना ही पड़ेगा."
किरोड़ी के इस्तीफे पर विपक्ष भी निशाना साधने में पीछे नहीं रहा. राजस्थान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने तंज कसा, "डॉ. किरोड़ी लाल मीणा अपने वादे के पक्के हैं, देख लेना वो इस्तीफा जरूर देंगे."
बयान के 12 दिन बाद किरोड़ी लाल के भतीजे और महवा सीट से विधायक राजेंद्र मीणा मीडिया के सामने आए और कहा, "किरोड़ी लाल मीणा वादा करके कभी मुकरते नहीं हैं, जो कहते हैं वो करते हैं, एक दो दिन धैर्य रखें, वो इस्तीफा जरूर देंगे."
काबिलेगौर है कि किरोड़ी लाल मंत्री रहते हुए अपने विभाग को लेकर जितने सक्रिय नजर नहीं आते, उससे ज्यादा उनकी सक्रियता जनता के मुद्दों पर रहती है. उत्पीड़न और अपराध जैसे मुद्दों पर वे अपनी ही सरकार को घेरने में संकोच नहीं करते. उनके इलाके में जब भी किसी तरह के उत्पीड़न की वारदात सामने आती है तो वे मौके पर पहुंचकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर देते हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में भी प्रदेश में हुए हिंसक गुर्जर आंदोलन के दौरान किरोड़ी लाल ने अपना इस्तीफा दे दिया था. यह इस्तीफा उस दिन हुआ था जब गुर्जर जाति के आरक्षण के लिए गठित चोपड़ा आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री राजे को सौंपी थी.
अशोक गहलोत के दूसरे कार्यकाल में जब किरोड़ी लाल की पत्नी गोलमा देवी मंत्री बनी थीं तब भी किरोड़ी लाल के कहने पर गोलमा देवी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. बताया जाता है कि किरोड़ी लाल पूर्वी राजस्थान में उनकी सिफारिश पर सीटें नहीं दिए जाने से कांग्रेस से नाराज थे. किरोड़ी लाल के अपनी ही सरकार को घेरने के किस्से तो अंतहीन हैं मगर अब देखना यह है कि क्या राजस्थान की भजन लाल सरकार में वे मंत्री के बतौर एक साल भी पूरा नहीं कर पाएंगे.