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खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स : सैकड़ों खिलाड़ी आए, लेकिन डोप टेस्ट के डर से आधे हुए गायब!

राजस्थान के अलग-अलग शहरों में 24 नवंबर से 5 दिसंबर के बीच 'खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स' चल रहे हैं जिसमें रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद कई खिलाड़ी आए ही नहीं

Khelo India University games in Rajasthan
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में टेबल टेनिस का एक मैच
अपडेटेड 4 दिसंबर , 2025

चार साल बाद कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी करने जा रहे भारत के लिए राजस्थान में हुए 'खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स' बुरी खबर लेकर आए हैं. दरअसल, डोपिंग टेस्ट के डर से खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के 12 दिवसीय महाकुंभ में आधे खिलाड़ी बिना खेले ही मैदान छोड़कर भाग छूटे. 

राजस्थान के जयपुर समेत 7 शहरों में 24 नवंबर से 5 दिसंबर तक विभिन्न खेलों की 23 स्पर्धाओं का आगाज हुआ है.  खेल शुरु होने से पहले राजस्थान के खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दावा किया था कि इसमें देशभर के 232 विश्वविद्यालयों के 5 हजार खिलाड़ी भाग लेंगे.  खेलने के लिए 4500 खिलाड़ी पहुंच भी गए मगर उसी बीच नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) की कड़ी निगरानी, अचानक टेस्टिंग और रेंडम सैंपलिंग की जानकारी मिली तो आधे खिलाड़ियों ने खेलों में हिस्सा ही नहीं  लिया. 

दो दिसंबर को महिलाओं की 400 मीटर दौड़ के फाइनल मुकाबले में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की मनीषा ट्रैक पर अकेली दौड़ती नजर आईं. फाइनल में पांच खिलाड़ियों को दौड़ना था मगर चार खिलाड़ी मैदान पर ही नहीं आईं. ऐसे में मनीषा को इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक हासिल हुआ. रजत और कांस्य पदक किसी को नहीं मिला. 

इसी तरह महिलाओं की 100 मीटर दौड़ के फाइनल मुकाबले में छह खिलाड़ियों का नाम शामिल था मगर उनमें से तीन खिलाड़ियों ने मैदान छोड़ दिया. पुरुष वर्ग की 100 मीटर दौड़ का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा क्योंकि छह में से तीन खिलाड़ियों ने ही ट्रैक पर दौड़ लगाई. पुरुषों की 400 मीटर रेस में 8 खिलाड़ियों का नामांकन था, लेकिन केवल दो ही मैदान पर आए. इस मुकाबले में आकाश राज ने गोल्ड जीता, जबकि पी. अभिमन्यु को सिल्वर मिला. यहां भी ब्रॉन्ज मेडल खाली रह गया. 

इसी तरह महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में 5 में से सिर्फ 2 एथलीट्स ने ही भाग लिया. इस मुकाबले में बुशरा खान को गोल्ड और रिंकी पावरा को सिल्वर मेडल मिला. पुरुषों की 400 मीटर हर्डल्स दौड़ में आठ खिलाड़ी भाग लेने वाले थे मगर 7 खिलाड़ी दौड़ने नहीं आए तो स्वर्णिम गुजरात स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के रूचित नामक खिलाड़ी ने अकेले ही दौड़ लगाई. रूचित ने अकेले दौड़कर भी 51 सेकंड में दौड़ पूरी कर रिकॉर्ड बनाया मगर नियमों के चलते उन्हें गोल्ड मेडल नहीं दिया गया.  मेडल नहीं दिए जाने पर रूचित ने कहा, '' मैनें पूरी मेहनत से दौड़कर रिकॉर्ड बनाया. डोपिंग टेस्ट के डर से दूसरे एथलीट ट्रैक पर नहीं उतरे तो इसकी सज़ा मुझे क्यों दी जा रही हैॽ मेरा मेडल क्यों रोका जा रहा हैॽ कुछ ऐसा ही नजारा पुरुष 500 मीटर, पुरुष 100 मीटर डिकेथलॉन और महिला हैमरथ्रो में दिखाई दिया. 

डोप टेस्ट का डर सिर्फ जयपुर तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि भरतपुर में भी इसका असर साफ नजर आया.  भरतपुर में 25 नवंबर से कुश्ती और बॉक्सिंग के मुकाबले शुरू हुए. अलग-अलग वेट कैटिगरी की विभिन्न स्पर्धाओं में 160 पहलवानों ने भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था मगर उनमें से सिर्फ 96 पहलवान ही मैट पर उतरे. बाकी पहलवान डोपिंग टेस्ट के डर से खेलने ही नहीं आए.  महिला वर्ग में अलग-अलग वजन की तीन कैटेगिरी में 30 पहलवान हिस्सेदारी करने वाली थीं मगर उनमें से 13 पहलवान ही खेलने के लिए पहुंचीं.  बीकानेर में वेटलिफ्टिंग के मुकाबले में भी आधे खिलाड़ी मैदान पर नहीं आए. खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के मैदान खिलाड़ी ही नहीं बल्कि दर्शकों के लिए भी तरसते रहे. इन खेलों के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद दर्शक नहीं आए.  

बताया जा रहा है कि राजस्थान के हर शहर में डोप में फंसने की दहशत खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में हिस्सा लेने आ रहे खिलाड़ियों में साफ नजर आई. खेल विशेषज्ञ देवेंद्र सिंह कहते हैं, '' खेलाे इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में खिलाडियों की कम उपस्थिति यह साबित करती है कि खेलों में डोपिंग संस्कृति कितनी गहरी पैठ जमा चुकी है. नाडा के आने की खबर मिलते ही कुछ खिलाड़ी खुद खेलने नहीं आए तो कई कोच ने खिलाड़ियों को मैदान पर नहीं भेजा.'' 

राजस्थान ने इस बार खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के 5वां संस्करण की मेजबानी की है. 24  नवंबर को जयपुर में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया और खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने इन खेलों का आगाज किया था. 

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स केंद्र सरकार की खेलो इंडिया पहल का हिस्सा हैं. राजस्थान में इस बार देशभर के 137 विश्वविद्यालयों की टीमों ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में हिस्सेदारी की जिसमें 33 स्वर्ण पदक जीतकर चंडीगढ़ यूनवर्सिटी पहले स्थान पर रही. गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर 32 स्वर्ण पदक के साथ दूसरे और जैन यूनवर्सिटी कर्नाटका 28 गोल्ड मेडल के साथ तीसरे नंबर पर रही. लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पंजाब से सबसे ज्यादा खिलाड़ियों ने भागीदारी की और 27 गोल्ड, 22 रजत व 17 कांस्य सहित कुल 66 पदक जीते.

इस पूरे मामले पर इंडिया टुडे ने राजस्थान के युवा मामले एवं खेल विभाग के सचिव नीरज के. पवन से बात की तो उनका कहना था, “खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में खिलाड़ी तो आए थे मगर डोप टेस्ट के डर से कई खिलाड़ियों ने स्पर्धाओं में भाग नहीं लिया. जिन खिलाड़ियों ने खेलों में भाग लिया हम उन्हें उनकी स्वच्छ खेल भावना के लिए पूरा सम्मान देंगे.”

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