कुछ सालों की बुलंदियों के बाद अप्रैल की 22 तारीख को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने कश्मीर के फलते-फूलते पर्यटन उद्योग को पूरी तरह से तबाह कर दिया. घटना के बाद इस सीजन में इसके फिर से पटरी पर आने की कोई उम्मीद नहीं बची.
कश्मीर में लाखों-करोड़ों रुपये की होटलों और हाउसबोटों की बुकिंग रद्द हो गईं. कश्मीर को लेकर लोगों में डर का माहौल ऐसा था कि घाटी के मनोरम दृश्य भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रहे थे.
हाल के आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति कश्मीर और इसके निवासियों के लिए दोहरा संकट बन गई. इसकी वजह से सीमावर्ती क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ और इसने पर्यटन उद्योग को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया.
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जम्मू और कश्मीर में पर्यटन एक प्रभावशाली बदलाव की ओर बढ़ रहा है. जून के मध्य में प्रतिदिन 200-400 पर्यटकों की मामूली संख्या से पहलगाम, कोकरनाग, अच्छाबल और वेरीनाग जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों के फिर से खुलने के बाद अब घाटी की प्रमुख जगहों पर हर रोज पर्यटकों की संख्या बढ़कर 5,000 या उससे भी अधिक हो गई है.
पिछले साल अक्टूबर में इस केंद्रशासित प्रदेश की कमान संभालने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 21 किलोमीटर लंबी मैराथन दौड़ में हिस्सा लिया. यह नई चुनौतियों का सामना करने के उनके दृढ़ संकल्प का एक छोटा-सा उदाहरण भर था. अब महीनों बाद, पर्यटन उद्योग को मंदी से उबारने के लिए अब वो लगातार बैठकें कर रहे हैं. उनका दौरा आए दिन प्रदेश के अलग-अलग हिस्से में होता है.
ट्रैवल एजेंट्स सोसाइटी ऑफ कश्मीर (TASK) के अध्यक्ष मोहम्मद इब्राहिम सियाह इंडिया टुडे को बताते हैं, "दोबारा से पर्यटकों का आना शुरू हो गया है. बुकिंग धीरे-धीरे फिर से बढ़ रही है. फिलहाल होटलों और अन्य जगहों पर 20-30 फीसद ही बुकिंग हो रही है."
कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार भी बड़ी राहत दे रही है. सीएम अब्दुल्ला ने पर्यटकों में विश्वास जगाने के लिए एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे की मांग की थी. इसके बाद जून से अब तक तीन केंद्रीय मंत्री कश्मीर का दौरा कर चुके हैं.
केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की 18-19 जून की जम्मू-कश्मीर यात्रा हुई, जिसमें उन्होंने पहलगाम का दौरा किया और अब्दुल्ला ने उनकी मेजबानी की. इसके अलावा 7-8 जुलाई को कश्मीर में पूरे देश के हर राज्यों के पर्यटन सचिवों की बैठक हुई. यह कश्मीर में अपनी तरह की पहली बैठक थी.
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने 7 जुलाई को श्रीनगर में एक उच्च-स्तरीय बैठक कर कहा, "कश्मीर में पर्यटन ठप हो गया था, लेकिन अब पर्यटकों की संख्या को देखकर लगता है कि जिंदगी फिर से पटरी पर आ गई है. जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र सरकार की पहल, जैसे प्रतिनिधिमंडल और मंत्रियों को कश्मीर भेजने से लोगों में विश्वास बहाल होगा. इससे आने वाले दिनों में फलदायी साबित होंगे. कश्मीर का पर्यटन फिर से पूरे जोश में आ जाएगा."
इस बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन सचिव पहुंचे थे. उनके अलावा केंद्रीय मंत्रालय के सचिव भी बैठक में मौजूद रहे. इस बैठक में 2025-26 के लिए पर्यटन संबंधी बजट घोषणाओं के साथ-साथ विकास और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की नीति तैयार की गई.
साथ ही इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू-कश्मीर समेत पूरे भारत में 50 से ज्यादा प्रतिष्ठित वैश्विक मानक वाले पर्यटन स्थलों को विकसित करने पर एक रूपरेखा तैयार की गई.
इससे पहले 3-4 जुलाई को अपने दो दिवसीय कश्मीर दौरे के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी के साथ श्रीनगर के लाल चौक पहुंचे थे. उन्होंने यहां कश्मीरी शॉल खरीदे और संसदीय समिति के सदस्यों के साथ प्रतिष्ठित घंटाघर के नीचे चाय की चुस्कियां लीं.
इससे ठीक एक दिन पहले केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कश्मीर का दौरा किया था. 6 जुलाई को प्रधानमंत्री कार्यालय में सलाहकार तरुण कपूर श्रीनगर आए और लाल चौक पर व्यापारियों और स्थानीय लोगों से मिलकर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर उनकी राय जानी.
केंद्र सरकार की यह बड़ी पहल अमरनाथ यात्रा के दौरान हुई है, जिसमें अब तक 2 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री कश्मीर स्थित पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं. इस क्षेत्र का पर्यटन इसकी सफलता पर टिका है. 4 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन के साथ इस तीर्थयात्रा ने पर्यटन के लिए पर्याप्त अवसर पैदा कर दिए हैं.
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 600 अतिरिक्त कंपनियों के साथ अब तक की सबसे ज्यादा सैन्य तैनाती सहित व्यापक सुरक्षा व्यवस्था ने यात्रा को आतंकी खतरों से सुरक्षित बना दिया है. सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की तैयारियों को देख दोबारा से तीर्थयात्री यात्रा के लिए आकर्षित हुए हैं. 2024 में अब तक के सबसे ज्यादा 5.12 लाख तीर्थयात्री यह यात्रा कर चुके हैं.
पर्यटन जम्मू-कश्मीर के सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP में लगभग 7 फीसद का योगदान देता है और 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करता है. साफ है कि पर्यटन यहां की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है.
हाल के वर्षों में पर्यटकों का आगमन तेजी से बढ़ रहा है और 2024 में रिकॉर्ड 35 लाख पर्यटक यहां आए. पर्यटन के अलावा जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था कृषि और बागवानी पर आधारित है.
पर्यटकों के अभाव में पर्यटन क्षेत्र में भारी बेरोजगारी है. अब्दुल्ला ने पर्यटन को दोबारा से बहाल करने का वादा किया है और तमाम बाधाओं के बावजूद इसे पटरी पर लाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं. पहलगाम में अपनी कैबिनेट बैठक से लेकर 27-28 मई को गुलमर्ग में सचिवों की बैठक तक, वे इस तरह के फैसलों से देशभर के लोगों में सुरक्षित पर्यटन का संदेश देना चाहते हैं.
अब्दुल्ला ने भारत भर में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े 200 से ज्यादा साझेदारों और ट्रैवल एजेंटों से मुलाकात की है और देशव्यापी 'चलो कश्मीर' अभियान शुरू करने की पैरवी की है. जम्मू और कश्मीर पर्यटन विकास निगम प्रदेश में पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे की व्यवस्था देखता है. इस संस्था ने बुकिंग को आसान बनाने की कोशिश की है. इसके लिए निगम ने ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर्स के साथ भी बातचीत की है.
सीएम अब्दुल्ला ने अपने यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पश्चिम बंगाल का भी दौरा किया. 10 जुलाई को कोलकाता में आयोजित पर्यटन एवं व्यापार मेले (TTF) को संबोधित किया. इस मेले में राज्य के 175 ट्रैवल एजेंटों ने भाग लिया था.
अब्दुल्ला ने अपने संबोधन में कहा, "हम एक आशा और उम्मीद का संदेश लेकर यहां आए हैं. हम आपसे यह आह्वान करने आए हैं कि आप न केवल जम्मू-कश्मीर पर विश्वास करें, बल्कि पहलगाम के बाद के परिदृश्य को देखने के लिए भी आएं. जम्मू और कश्मीर दोनों जगहों पर पर्यटन दोबारा से शुरू हो गया है."
बंगाल में इस अभियान के पीछे का उद्देश्य दुर्गा पूजा की छुट्टियों से पहले पर्यटकों को आकर्षित करना था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राज्य के लोगों से जम्मू-कश्मीर जाने का आग्रह किया और साथ ही अब्दुल्ला के निमंत्रण पर कश्मीर आने का भी वादा किया.
पूर्वी क्षेत्र के लिए टीएएआई के अध्यक्ष अंजनी कुमार धानुका ने इंडिया टुडे से कहा, “केवल परिवार का मुखिया ही अपने घर को व्यवस्थित कर सकता है और उसकी सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यही किया है और करते आ रहे हैं. हम जम्मू-कश्मीर सरकार के आतिथ्य और स्वागत के लिए आभारी हैं. अब समय आ गया है कि बीती बातों को भुलाकर आगे बढ़ा जाए."
ट्रैवल एजेंट्स सोसाइटी ऑफ कश्मीर (TASK) के अध्यक्ष मोहम्मद इब्राहिम सियाह ने कहा, “अहमदाबाद में होने वाला आगामी यात्रा और व्यापार मेला गुजराती पर्यटकों को आकर्षित करने में काफी कारगर साबित होगा. कोलकाता की तरह ही हम सीएम उमर अब्दुल्ला से भी इस मेले में शामिल होने का अनुरोध करेंगे.”
- कलीम जिलानी