बुधवार को यानी 24 जनवरी के दिन पूरा पटना शहर जदयू समर्थकों से अटा पड़ा था. कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर पार्टी ने राजधानी के वेटनरी ग्राउंड में बड़ी रैली आयोजित की थी और उस रैली में दो लाख के करीब लोग पहुंचे थे. मगर उस दिन पूरे बिहार में हर जगह चर्चा केंद्र सरकार द्वारा कर्पूरी ठाकुर को दिये गये भारत रत्न सम्मान की थी.
ज्यादातर लोगों का मानना था कि जदयू की इस बहुप्रतीक्षित और महत्वाकांक्षी रैली के ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा कर एक तरह से जदयू के मेगा शो का जादू कम कर दिया.
वैसे तो जदयू समेत बिहार की कई पार्टियां लंबे समय से 'जननायक' कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिये जाने की मांग करती रही हैं. मगर किसी को यह अपेक्षा नहीं थी कि नरेंद्र मोदी इस साल उन्हें भारत रत्न दे सकते हैं. खासतौर पर यह देखते हुए कि महज एक दिन पहले वे अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के भव्य समारोह में शामिल हुए थे और उस समारोह का ऐसा समा बंधा कि उसका असर आने वाले लंबे समय तक दिखने वाला है. ऐसे में महज एक दिन बाद वे मंदिर से मंडल और राम से कर्पूरी तक ऐसे आ जायेंगे, इसकी अपेक्षा किसी को नहीं थी.
यह ऐसी चौंकाने वाली घटना थी कि मंगलवार की रात बिहार के सीएम नीतीश कुमार को इसके लिए दो-दो बार ट्वीट करना पड़ा. पहले ट्वीट में उन्होंने केंद्र सरकार को बधाई दी थी, तो दूसरे ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री को भी अलग से बधाई दी और पहला ट्वीट डिलीट कर दिया. इसी तरह सुबह-सुबह पत्रकारों से पास राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की वीडियो बाइट पहुंची, जिसमें वे प्रधानमंत्री को इस काम के लिए बधाई दे रहे थे.
बुधवार की रैली में भी नीतीश कुमार ने अलग से इस काम के लिए प्रधानमंत्री को बधाई दी. कर्पूरी ठाकुर के पुत्र जदयू के राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर से पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद फोन पर बात की. हालांकि जदयू नेता संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग पर ही केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया है. वे 2007, 2017, 2018, 2019 और 2021 में पांच दफे केंद्र सरकार से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिये जाने की अनुशंसा कर चुके थे.
इसी तरह डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट करके कहा कि हमारी दशकों पुरानी मांग पूरी हुई है. राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा, “केंद्र सरकार तब जागी जब बिहार सरकार ने जाति जनगणना करवाया और आरक्षण का दायरा बढ़ाया. डर से ही सही राजनीति को दलित-बहुजन सरोकार पर आना पड़ा.” बुधवार को ही पटना के एसके मेमोरियल हॉल में राजद के कर्पूरी ठाकुर जयंती समारोह में लालू और तेजस्वी के भाषण का फोकस भारत रत्न के इर्द-गिर्द रहा.
यह सच है कि बिहार में हाल ही में हुई जाति आधारित गणना और उसके बाद आरक्षण के दायरे को बढ़ाये जाने की वजह से राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग के वोटरों का महत्व बढ़ा है. एक तरह से मंडल-2 का दौर शुरू हुआ है. जाति आधारित गणना के जरिये यह पता चला कि बिहार में 36 फीसदी आबादी अति पिछड़ों की है. इसके बाद बिहार सरकार ने राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 फीसदी कर दिया. इसमें अति पिछड़ों के लिए 25 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया. कर्पूरी ठाकुर को बिहार में अति पिछड़ी जाति के लोग अपना नेता मानते हैं. वे अति पिछड़ी मानी जाने वाली नाई जाति से आते थे. जाति गणना के बाद से बिहार में अति पिछड़ों के कई सम्मेलन हुए, इन सम्मेलनों में कर्पूरी ठाकुर ही आइकन थे.
राष्ट्रीय अति पिछड़ा संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी कहते हैं, “जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न मिलने का मतलब है गरीब, शोषित और वंचितों को सम्मान देना. उनकी विचारधारा को सही ठहराना. खासकर गरीब, शोषित अति पिछड़ा वर्ग की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान को आधार प्रदान कराना. इससे सिर्फ अति पिछड़े ही नहीं पूरा बिहार सम्मानित हुआ है. जननायक के सम्मान से भारत रत्न का भी सम्मान बढ़ा है. प्रधानमंत्री मोदी ने अति पिछड़ा वर्ग का दिल जीत लिया है. यह अति पिछड़ा वर्ग को लगातार धीरे-धीरे कमजोर करने वाले सामाजिक न्याय वाली बिहार सरकार के मुख पर तमाचा है. निश्चित तौर पर इस फैसले का अति पिछड़ों पर असर होगा.”
हालांकि जदयू की रैली में कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर ने 2024 के चुनाव में नीतीश कुमार को जिताने की अपील की, मगर यह दिलचस्प रहा कि रैली में अपने संबोधन में नीतीश कुमार वंशवाद पर देर तक प्रहार करते रहे.
इधर दिल्ली में कर्पूरी ठाकुर जयंती समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "मोदी जी ने 22 जनवरी को रामकाज किया और 23 जनवरी को गरीबकाज. पहले सिर्फ परिवार के करीबी नेताओं का ही सम्मान होता था. मोदी जी ने जननायकों का सम्मान किया है."
बीते कुछ महीनों से विपक्ष जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मोदी सरकार को लगातार घेरता दिख रहा था लेकिन कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले के बाद मोदी सरकार के लिए इस गोलबंदी को तोड़ना आसान हो सकता है.