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कर्नाटक : भीड़ और भगदड़ को कंट्रोल करने के लिए बने कानून की क्या है खासियत?

बेंगलुरु के चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम में हुई भगदड़ के बाद पेश किए जा रहे विधेयक में नियमों के उल्लंघन पर तीन साल तक जेल की सजा की सिफारिश की गई है

बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में मची भगदड़ की तस्वीर
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में मची भगदड़ की तस्वीर
अपडेटेड 23 जून , 2025

IPL 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की जीत के बाद बेंगलुरु के चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम में जश्न मनाने के लिए 4 जून को एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारी भीड़ जुटी थी.

कुछ ही देर बाद यहां मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई. इस भगदड़ को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही कर्नाटक सरकार ने कार्यक्रमों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक नया कानून प्रस्तावित किया है.

इस तरह की घटना भविष्य में नहीं हो, इसके लिए राज्य सरकार ‘कर्नाटक भीड़ नियंत्रण विधेयक 2025’ विधानसभा में पेश करने की तैयारी कर रही है. इसका लक्ष्य  राज्य में होने वाले किसी कार्यक्रमों और सामूहिक समारोहों के स्थान पर भीड़ को नियंत्रित करना है.

साथ ही राजनीतिक रैलियों, सम्मेलनों और अन्य कार्यक्रमों या सामूहिक समारोहों में भीड़ को सही तरह से मैनेज करने के साथ ही कंट्रोल करना है. हालांकि, इस कानून के दायरे में "रथ यात्रा, रथोत्सव, पल्लक्की उत्सव, तेप्पड़ा तेरु, उरुस या किसी भी धर्म, जाति या पंथ से संबंधित किसी भी धार्मिक आयोजनों को नहीं रखा गया है.”

19 जून को मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को लेकर चर्चा हुई. इसके बाद अगली कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए प्रस्तुत होने वाले ड्राफ्ट बिल में भीड़ प्रबंधन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं यानी SOP के जरिए दिशानिर्देश दिए गए.

इसमें भीड़ के कारण किसी भी आपात स्थिति से निपटने के प्रोटोकॉल के अलावा हर इंसान को रिजर्व सीट पर बैठने की व्यवस्था, मजबूत सुरक्षा प्रणाली और एंट्री पॉइंट पर बेहतर चेक-इन व्यवस्था की बात कही गई है.

इस नियम को बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि भीड़ का प्रवाह सुचारू हो और रास्ते में किसी भी तरह की बाधा न आए. इस ड्राफ्ट बिल के मुताबिक, “हर स्थान की क्षमता, प्रवेश/निकास मार्गों, आपातकालीन निकासी विकल्पों और संचार प्रणालियों की व्यवस्था आदि के आधार पर किसी कार्यक्रम के आयोजन की इजाजत दी जाएगी.”

अगर आयोजन स्थल सुरक्षा मानकों के मुताबिक नहीं होगा तो बड़े आयोजनों की मेजबानी की अनुमति नहीं दी जाएगी. किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय पुलिस स्टेशन आयोजन को स्थगित या रद्द कर सकता है या उसके स्थान को बदल सकता है.

आयोजनकर्ताओं द्वारा नियमों के उल्लंघन करने पर “तीन साल तक की जेल या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना” हो सकता है. बिल में प्रस्ताव है कि आयोजनकर्ता को राजनीतिक रैली, जात्रा, सम्मेलन आदि जैसे आयोजनों में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति या मृतकों को मुआवजा देना होगा. अगर आयोजनकर्ता मुआवजा नहीं देता, तो सरकार इसे भू-राजस्व बकाया के रूप में वसूल सकती है और आयोजनकर्ता की संपत्ति को नीलाम कर सकती है.

आरसीबी की जीत के बाद जश्न के दौरान हुई दुखद भगदड़ की घटना में दर्जनों लोगों की जान जाने के बाद स्थानीय प्रशासन और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. इन विरोधों के कारण सिद्धरामैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार बैकफुट पर जाने को मजबूर हुई थी.  

कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए स्वतः संज्ञान लिया. इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने अपने करीबी सहयोगी और राजनीतिक सलाहकार के. गोविंदराजू को बर्खास्त कर दिया और शहर के पुलिस आयुक्त सहित पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया.

घटना के एक दिन बाद आरसीबी के प्रतिनिधियों और एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया. इस बीच, जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अलग जांच चल रही है और सरकार ने रिटायर्ड जज जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा की अगुआई में एक जांच समिति गठित की है.

विपक्षी दलों ने भी कांग्रेस सरकार पर हमला बोला और विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें सरकार को इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की गई.

अजय सुकुमारन

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