कभी देश के डेढ़ दर्जन से ज्यादा राज्यों में अकेले दम पर शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी की इस वक्त देश के महज तीन राज्यों में सरकार है. कुछ दिनों पहले हिमाचल कांग्रेस में मची कलह शांत ही हुई थी कि अब कर्नाटक में एक बार फिर सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डी शिवकुमार आमने-सामने हैं.
राज्य के दो बड़े कांग्रेसी नेताओं के बीच जारी तनाव ने यह जाहिर किया है कि कर्नाटक कांग्रेस के भीतर सबकुछ सही नहीं है. दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 29 जुलाई को विधानसभा स्थित अपने कक्ष में पार्टी विधायकों के साथ एक बैठक की.
इस बैठक में हर विधानसभा के लिए 50 करोड़ रुपये के विकास अनुदान के आवंटन पर चर्चा हुई. हालांकि, इस अहम बैठक से डी. शिवकुमार को बाहर रखा गया था. डिप्टी सीएम के अहम बैठक में शामिल नहीं होने पर दोनों शीर्ष नेताओं के बीच बढ़ती दरार को लेकर नई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.
कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और पार्टी विधायकों के बीच हुई बैठक के बाद सुरजेवाला ने सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों के साथ विचार-विमर्श किया. इसके बाद हर विधानसभा के लिए इन अनुदानों की घोषणा की गई.
सूत्रों ने बताया कि आलाकमान ने कर्नाटक प्रभारी को कांग्रेस के दोनों सीनियर नेताओं और नाराज विधायकों को विश्वास में लेने की सलाह दी थी.
हालांकि, इसके बावजूद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शिवकुमार को इस प्रक्रिया में शामिल किए बिना ही बैठक जारी रखने का फैसला किया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, विधायकों ने कहा कि उपमुख्यमंत्री को शामिल न किए जाने से वे "चिंतित" हो गए थे.
इस बीच, कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने मुख्यमंत्री के फैसले का बचाव करते हुए साफ किया कि पिछले कार्यकाल में भी इसी तरह की निर्वाचन क्षेत्र-स्तरीय बैठकें हुई थीं.
उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री जिलेवार विधायकों से मिले और उनसे बात की. विधायकों को 50 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं. अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के मुद्दों और पार्टी के विकास पर भी चर्चा की गई. यह कोई नई बात नहीं है. पिछले कार्यकाल में भी, जब मैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष था, मुख्यमंत्री पार्टी कार्यालय आए थे और हमने सभी विधायकों से मुलाकात की थी."
उन्होंने आगे कहा, "हम पांच साल के कार्यकाल के मध्य में हैं. अगले ढाई साल में क्या किया जा सकता है, इस पर चर्चा होगी. उपमुख्यमंत्री अस्वस्थ हैं, वरना वे आ जाते." हालांकि, डी. शिवकुमार ने उसी वक्त अपने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसके बाद मुख्यमंत्री की बैठक से उनकी अनुपस्थिति के वास्तविक कारण पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
यह पहला मामला नहीं है जब शिवकुमार को बजट से जुड़े अहम बैठकों से बाहर रखा गया है. इससे पहले भी इस साल की शुरुआत में सीएम सिद्धारमैया ने बजट से जुड़े बैठकों से डिप्टी सीएम को बाहर रखा था. तब सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक सचिव बसवराज रायरेड्डी, के गोविंदराज और नजीर अहमद के अलावा प्रमुख योजना अधिकारियों के साथ बैठक की थी.
इस बार, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के सामान्य कार्यालय के बजाय, मुख्यमंत्री ने विधानसभा स्थित अपने कक्ष से विधायकों से परामर्श कर रहे हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि यह डी. शिवकुमार को दरकिनार करने की एक सोची-समझी साजिश है.
सीएम की ओर से किए जा रहे उपेक्षा के बावजूद, डी. शिवकुमार बिना विचलित हुए 29 जुलाई को बेंगलुरु विकास विभाग सहित अपने विभागों से संबंधित विभागीय समीक्षा बैठकों में हिस्सा लेने वाले हैं.